कविताएँ :: सुभाष तराण
Posts tagged लोक
मुझे लगभग मर चुकी उस भाषा को बचाना है
कविताएँ :: जसवंत सिंह
भरी-भरी जगहों में ख़ाली-ख़ाली
कविताएँ :: रवि यादव
दुनिया के संविधान में अनागरिकों की एक लिखित नियमावली होनी चाहिए
कविताएँ :: जावेद आलम ख़ान
अवध में अ
कविताएँ :: अरुण आदित्य
उम्र एक जादुई पत्थर है जो हमारे सिरहाने रखा हुआ है
कविताएँ :: गार्गी मिश्र