सुचिता खल्लाळ की कविताएँ :: मराठी से अनुवाद : सुनीता डागा
Posts tagged स्त्री विमर्श
राह भूले मुसाफ़िर से मत पूछिए उसका गाँव
आसावरी काकडे की कविताएँ :: मराठी से अनुवाद : सुनीता डागा
सारे शहर को तुमसे सीखनी चाहिए तन्हाई और ख़ूबसूरती
फ़ातिमा मेहरू की कविताएँ :: उर्दू से लिप्यंतरण : तसनीफ़ हैदर
मैंने रूप से नहीं वस्तु से किया था प्रेम
कविताएँ :: आरती अबोध
सारा इतिहास वर्तमान है
एलिस वॉकर के कुछ उद्धरण :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
भ्रम टूटने के दिन खड़े हैं बिल्कुल नुक्कड़ पर
प्रभा गणोरकर की कविताएँ :: मराठी से अनुवाद : सुनीता डागा