नस्र :: तसनीफ़ हैदर
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‘हर सहूलत अपनी ज़ात से नई पेचीदगियों को जन्म देती है’
‘हर सहूलत अपनी ज़ात से नई पेचीदगियों को जन्म देती है’
सबसे बड़ा ख़ौफ़ सच हो गया
नज़्में :: शारिक़ कैफ़ी
कहानी क्या कहती है
नस्र :: तसनीफ़ हैदर
आग देखी आब में
साक़ी फ़ारुक़ी की नज़्में :: लिप्यंतरण : अनुराधा शर्मा
मेरा शऊर मेरा जहन्नुम है
नज़्में :: विनीत राजा