बातें ::
रॉबर्तो बोलान्यो
से
कार्मेन बोयोषा
अनुवाद : संध्या कुलकर्णी
रॉबर्तो बोलान्यो लैटिन अमेरिकी उपन्यासकारों के चुने हुए विशिष्ट समूह से संबंध रखते हैं. चिली और मेक्सिको शहर बोलान्यो के प्रिय विषय हैं. इसके अतिरिक्त संवेदनहीन युवा कवियों पर भी उन्होंने लेखन किया है. साल 1953 में चिली में जन्मे बोलान्यो ने अपनी किशोरावस्था मेक्सिको में बिताई और सत्तर के दशक में स्पेन की ओर प्रस्थान किया. उन्होंने मारियो सेंतियागो के साथ Infrarealist Movement की स्थापना की. 1999 में उन्हें उपन्यास The Savage Detectives के लिए Romulo goligo’s Prize मिला जो इससे पहले गैब्रियल गार्सिया मार्केज और मारियो वर्गास ल्योसा को प्रदान किया गया था, साथ ही उन्हें प्रतिष्ठित Herald Prize भी प्राप्त हुआ.
रॉबर्तो बोलान्यो बहुत ज्यादा लिखने वाले साहित्यिक जीव रहे. उन्हें कोई छूट लेना बर्दाश्त नहीं रहा. वह ऐतिहासिक घटनाओं से बहुत प्रभावित रहे और उनकी इच्छा उनकी त्रुटियां ठीक करने की रही. मेक्सिको से उन्हें मिथिकीय आधार प्राप्त हुए और चिली से यथार्थ की अग्नि, और उत्तरी स्पेन के पास के एक शहर ब्लेन में रहकर वह काम करते रहे और इस तरह वह दोनों स्थानों की नकारात्मकता से दूर रहे. अन्य कोई उपन्यासकार वृहद् शहर मेक्सिको की जटिलताओं और चिली शहर के युद्ध-भय को इतनी तीक्ष्ण व्यंग्यात्मकता और बौद्धिकता से लिख नहीं पाया है.
प्रस्तुत बातचीत ब्लेन और मेरे घर मेक्सिको से ई-मेल के माध्यम से साल 2001 के मध्य हुई.
[कार्मेन बोयोषा]
कार्मेन बोयोषा
लैटिन अमेरिका में प्राय: दो तरह के लेखन की परंपरा है, औसत पाठक जिसकी तरफ झुकता है. जैसे अगर कहा जाए तो परस्पर विरोध की हद तक प्रतिस्पर्धी समझा जा सकता है Adolfo Bioy Casares जिनका Cortazar उत्तम कहा जा सकता है, और दूसरी ओर वास्तविकता को आधार बनाकर किया लेखन Vargaas lyosa का Teressa La Paaraa. लैटिन अमेरिका की hellowed हेलोएद परंपराएं हमें बताती हैं कि लैटिन अमेरिका का दक्षिण भाग कुछ काल्पनिक लुगदी किस्म के साहित्य का केंद्र हैं, जबकि, उत्तरी हिस्सा यथार्थवादी साहित्य का घर है. जहां तक मैं सोचता हूं आप इन दोनों संभावनाओं से पूरित हैं. आपके उपन्यास और कथा-कथन एक तरफ अविश्वसनीय और फंटास्टिक हैं और दूसरी और तीव्र यथार्थ को विवेचित करती सच्चाइयों से प्रतिकृत भी. जब मैं इसका कारण खोजता हूं तो मैं इसमें यह जोड़ने से खुद को नहीं रोक पा रहा कि, क्योकि, आप लैटिन अमेरिका के दो भौगोलिक किनारों पर रहे हैं और आप चिली और मेक्सिको दोनों हिस्सों पर बड़े हुए हैं, आप इस विचार को सिरे से खारिज करते हैं या ये आपको अपील करता है? ईमानदारी से कहूं तो मुझे ये विचार खासा खुलासे करता हुआ लगता है, लेकिन साथ ही यह मुझे असंतुष्ट भी रखता है. बेहतर और महान लेखक बिएओ सीजर्स, और वर्गास ल्योसा इन दो धाराओं से एक ही धारा की दिशा लेते रहे हैं, लेकिन उत्तर के विशेष दृष्टिकोण से देखें जहां अंग्रेजी ज्यादा बोली जाती है तो किसी एक धारा की ओर ही झुकाव महसूस होता है.
रॉबर्तो बोलान्यो
मैं सोचता हूं कि यथार्थवादी जो हैं, वे दक्षिण से आए हैं. मेरा मतलब देश के दक्षिण कोने से है, और जो फंटास्टिक लेखक है, वह लैटिन अमेरिका के उत्तरी और मध्य भाग से आए हैं. अगर आप इस वर्गीकरण को ध्यान से देखते हैं तो किसी भी परिस्थिति में आप इसे कभी भी गंभीरता से नही लेंगे. बीसवीं शताब्दी का लैटिन अमेरिकी साहित्य नकल और महान मोनूमेंट्स के नकार से प्रेरित रहा है, और इक्कीसवीं शताब्दी में भी कुछ समय तक ये उसी पर आधारित रहा. सामान्य रूप से देखें तो मानव या तो नकल करता है या नकारता है. कभी-कभी नगण्य को ही नहीं, बल्कि बहुत से अदृश्य खजाने भी. हमारे पास बहुत कम लेखक हैं जिन्हें मुश्किल से फंटास्टिक लुगदी लेखन में सिद्धहस्त कहा जा सकता है, शायद एक भी नहीं, क्योंकि कुछ अन्य कारणों के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर प्रगतिशील देश इसे उबरने की इजाजत नहीं देते.
प्रगतिशील देश केवल महान साहित्य के काम को ही इजाजत देते हैं. छोटे काम इस एकरस और प्रलयकारी दृश्य में एक फालतू किस्म का ऐश्वर्य हैं, और यह इस बात की ओर बिल्कुल इंगित नहीं करता कि हमारा साहित्य महान कामों से भरा पड़ा है, बल्कि इसके बरअक्स लेखक इन अपेक्षाओं से मुलाकात करना चाहता है, फिर यथार्थ… वही सत्य जो इसे खड़ा करता है और अंततः वही इसका अंतिम प्रारूप बनाने में समर्थ होता है. मैं सोचता हूं कि केवल दो ही देश ऐसे हैं जो इस विश्वसनीय साहित्यिक धारा को समाहित करते हैं— अर्जेंटीना और मेक्सिको.
जहां तक मेरे लेखन का प्रश्न है, मुझे नहीं पता मुझे क्या कहना चाहिए, मैं सोचता हूं कि यह यथार्थवादी है. मैं फंटास्टिक लेखक कहा जाना पसंद करूंगा, जैसे फिलिप के डिक, मगर जैसे-जैसे समय बीत रहा है. मैं बड़ा हो रहा हूं मुझे फिलिप के डिक भीतर कहीं गहरे ज्यादा यथार्थवादी दिखाई देते हैं, और मुझे लगता है कि आप मुझसे सहमत होंगे. देखा जाए तो प्रश्न यथार्थवादी और फंटास्टिक लुगदी के बीच का भी नहीं है, यह भाषा और उसकी संरचना का है, एक दृष्टिकोण से मुझे नहीं मालूम कि आप टेरेसा दे ला पारा को बहुत पसंद करते हैं. जब मैं निकारागुआ में था तब लोग उनके बारे में बहुत बात करते थे, यद्यपि मैंने उन्हें कभी पढ़ा नहीं.
टेरेसा दे ला पारा एक महान महिला लेखिका हैं और जब आप उन्हें पढेंगे तो आप इसे स्वीकार करेंगे. आपकी बात पूरी तरह इस बात को सहमति देती है कि जो विद्युत लैटिन अमेरिकी लेखन में प्रवाहित है, वह क्रमबद्ध नहीं है. मैं यह नहीं कहूंगा कि यह कमजोर है, क्योकि यह अचानक उस कौंध से दूर हो जाती लगती है जिसने कॉन्टिनेंट के एक कोने से दूसरे कोने तक आग सुलगाई थी, तब और अब हम पूरी तरह इस बात पर सहमत नहीं हो सकते जिसे वास्तव में साहित्य का अधिकृत काम कहा जा सके. सभी विभाजन विवादित मालूम होते हैं, जब मैं दक्षिण के बारे में सोचता हूं. जब आप लेखकों के बारे में बात कर रहे होते हैं तो रैंकिंग कोई महत्व नहीं रखती.
कार्मेन बोयोषा
आपकी कहानियों, उपन्यासों और आपकी कविताओं में भी पाठक अंकों की गणना करता है. यह आपकी कथ्य-संरचना का महत्वपूर्ण भाग है. मेरा यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आपके लेखन का कोई कोड है, लेकिन फिर भी यहां आपके कहन के रसायन की चाभी उस तरीके में निहित होती है जिसमें आप प्रेम और घृणा को उन घटनाओं में मिश्रित करते हैं जिन्हें आप लिखते हैं… यहां रॉबर्तो बोलान्यो का रसायनज्ञ गुरु कैसे काम करता है?
रॉबर्तो बोलान्यो
मैं विश्वास नहीं करता कि कुछ और इजाफा मेरे अंकों में मेरा लेखन करता है, जो किसी अन्य लेखक के पन्नों पर न हो… मैं जोखिम उठाता हूं बहुत ही बारीक से बारीक विवरण को अतिवादी दृष्टिकोण से रचकर (जो मुझे लगता है कि मेरे कहन में निहित होता है) जब मैं लिखता हूं, तब जो चीज मुझमें दिलचस्पी जगाती है, वह लेखन ही होता है— उसकी शैली, लय और कथ्य… मैं हंसता हूं कुछ लोगों के रुख पर, उनकी कार्य-प्रक्रिया पर, महत्वपूर्ण विषयों पर साधारणतः केवल इसलिए कि जब वे इस तरह की वाहियात बातें झेलते हैं, जो उनके अहम् से उपजी होती हैं तो आप सिर्फ हंस सकते हैं और कोई राह नहीं होती. सभी तरह का साहित्य एक खास दृष्टिकोण से राजनीति ही है, मेरा मतलब है कि प्रथम दृष्टि में इसकी प्रतिछाया राजनीति पर दिखाई देती है, और दूसरी बात यह एक राजनीतिक कार्यक्रम भी होता है. पूर्व अप्रत्यक्ष उल्लिखित यथार्थ उस स्पष्टतः दु:स्वप्न की ओर जिसे हम यथार्थवादी कहते हैं, दोनों स्थितियों में साहित्य को ही नहीं बल्कि समय को भी पूरी तरह मृत और नेस्तनाबूद करता है, और बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में संरक्षित होता है, और अपनी निरंतरता में सब अवरोधों के बावजूद बचा रहता है, और मानवीय आंकलन से देखें तो निरंतरता में बचा रहना एक भ्रम ही है, और एक कमजोर आड़ जो हमें एक गहरे गड्ढे में गिरने से बचाए रखती है, और मेरा विचार है कि जो भी लिखता है लेखन की समझ से ही लिखता है, और भला आप क्यों लिखते हैं? बेहतर है कि आप मुझे न बताएं, मुझे विशवास है कि आपका उत्तर मुझसे अधिक प्रवाहपूर्ण और विश्वसनीय होगा.
कार्मेन बोयोषा
ठीक है. मैं आपसे कुछ भी कहने नहीं जा रहा हूं, और न सिर्फ इसलिए कि ये कुछ अधिक विश्वसनीय होगा कि अगर कुछ कारण है भी कि मैं क्यों नहीं लिखता हूं तो ये लेखन की समझ से अलग होगा. मेरे लिए लेखन का अर्थ खुद को युद्धक्षेत्र में पूरी तरह डुबो देना है, शरीर के टुकड़े करना, शवों के अवशेष के बीच उलझना और लड़ाई के क्षेत्र को अक्षत रखना, जीवंत रखना. और जो आप कहते हैं ‘अंक निश्चित करना’ ये मुझे आपके काम में दूसरे किसी लैटिन अमेरिकी लेखक की अपेक्षा अधिक तीव्रता से दिखाई देता है.
पाठक की आंखों में ये एक इशारे से कुछ अधिक है. यह एक ध्वस्त करने की कार्रवाई है. आपकी किताबों में उपन्यास का अंदरूनी काम एक क्लासिक अंदाज में चलता है : एक नीति-कथा एक कल्पना पाठक को जकड़े रखती है और इस हद तक उन घटनाओं में जो आपके कहन के पार्श्व में आप अतिसत्यता के साथ रचते हैं, लेकिन फिलहाल इसे छोड़ते हैं. कोई भी जिसने आपको पढ़ा हो आपके लेखन के विश्वास पर संदेह रख सकता है. यह पहली चीज है जो पाठक को आकर्षित करती है. कोई भी जो लेखन के अतिरिक्त आपके उपन्यास और कहानियों में कुछ देखना चाहे, उदहारण के लिए एक संबद्धता, और किसी खास विचारधारा से संबंध या अनुकरण, तो संतुष्टि नहीं पाएगा. जब मैं आपको पढ़ता हूं तो मैं इतिहास की तरफ नहीं देखता, उनके पुनर्कथन, दुनिया के किसी कोने के किसी हिस्से का इतिहास. अगर आप किसी परंपरा-विशेष से संबद्ध हों तो आप इसे क्या कहेंगे? आपके वंशानुगत पेड़ की जड़ें कहां हैं? और इसकी शाखें किस दिशा में प्रवृत होंगी?
रॉबर्तो बोलान्यो
सत्य यह है कि मैं लेखन में इन सब चीजों पर विश्वास नहीं करता. स्वयं से आरंभ कर एक लेखक होना आनंददायक है, नहीं, आनंद ठीक शब्द नहीं है. यह एक क्रिया है जो मेरे खुशनुमा पलों को साझा करती है, लेकिन मैं और चीजों के बारे में भी जानता हूं जो इससे भी ज्यादा आनंद देने वाली हैं, साहित्य मेरे लिए इसी तरह खुशनुमा है जैसे बैंक-डकैती हो जाए, उदाहरण के लिए, या फिल्म का निर्देशन, या एक जिगोलो बन जाना और फिर से एक बच्चा बन जाना कम या ज्यादा, सॉकर टीम के साथ खेलना. लेकिन दुर्भाग्य से बच्चा बड़ा हो जाता है, बैंक-डकैत मारा जाता है, निर्देशक दिवालिया हो जाता है और जिगोलो बीमार… और फिर कोई और विकल्प नहीं रह जाता है सिर्फ लिखने के… मेरे लिए ‘लिखना’ विपरीत शब्द है, ठीक इंतजार के, इंतजार के बजाय लेखन हो सकता है. मैं गलत हूं, यह संभव है कि लिखना इंतजार का ही दूसरा रूप हो, चीजों का देर करना, मैं कुछ और तरह से सोचता हूं, जैसे मेरे मापदंड के बारे में मैं नहीं जानता, जैसे कि हर एक का होता है. मैं आपसे यह कहते हुए काफी दुविधा महसूस कर रहा हूं. एकदम प्रत्यक्ष है : Francisko de aldana, Jorge Manique, Cerventas , The chroniclers of indies, Sor Juana ines de la Cruze, Frey Servando, Teresa de Mier, Pedro Henrique Urena, Ruben Derio, Alfanso Rayes, Borges…
मैं स्पैनिश भाषा के यथार्थ से परे न जाकर कुछ नाम लूंगा, साहित्य के अतीत में अधिकार जताने में, बिल्कुल संक्षिप्त रूप से अवश्य खुशी होगी, मुश्किल से दो या तीन लेखक होंगे (और हो सकता है केवल एक किताब) अगर कहूं तो मैं अपने लेखन में बिल्कुल ईमानदार हूं और दूसरी तरफ मैंने पढ़ा बहुत है. बहुत सारी किताबें मुझे खुश करती हैं.
कार्मेन बोयोषा
क्या यह मध्यस्थता नहीं होगी आपके लिए आपके साहित्यिक वंशजों के नाम लिए जाएं जिन्होंने काफी कुछ स्पैनिश में लिखा? आप खुद को हिस्पेनिक परंपरा (स्पेनिश इतिहास से जुड़ी) का मानते हैं क्या? एक अलग तरह की धारा अन्य भाषाओं से? जबकि स्पैनिश साहित्य का एक बड़ा हिस्सा (खासतौर से गद्य) अन्य धाराओं से संवाद कर रहा हो, मैं कहना चाहूंगा कि यह आपके केस में भी दोनों तरह से सत्य है.
रॉबर्तो बोलान्यो
मैं उन लेखकों का नाम लूंगा जिन्होंने अपने मापदंड को सीमित करने के संदर्भ में स्पैनिश में लिखा. मैं उन राष्ट्रीय दैत्यों की तरह नहीं हूं जो सिर्फ वही पढ़ते हैं जो उनके पैतृक देश में निर्मित होता है. मुझे फ्रेंच साहित्य में दिलचस्पी है, पास्कल में जिसने अपनी मृत्यु से पूर्व अपनी मृत्यु देखी, उनकी निराशा और विषाद के साथ उनके संघर्ष जो मुझे कुछ और से अधिक प्रेरणादायी लगते हैं, और फोरियर का यूटोपिया और भी कुछ अनाम गद्य, कुछ विशिष्ट प्रभाव वाले और कुछ बुनावट वाले. मुझे 1880 के आस-पास कुछ अमेरिकन साहित्यकार भी अच्छे लगते हैं, खासतौर पर ट्वेन और मेलविले और एमिली डिकिन्सन और व्हिटमन की कविताएं और एक दौर मेरी किशोरावस्था का ऐसा भी गुजरा है जब मैं केवल एडगर एलन पो को ही पढ़ता था. मैं पश्चिम का साहित्य खासा पसंद करता हूं. इससे काफी जुड़ाव भी महसूस करता हूं.
कार्मेन बोयोषा
आप केवल पो को पढ़ते थे? वह हम सबके आदर्श रहे हैं, पो वायरस हमारी पूरी पीढ़ी को घेरे में लिए था. मैं देख सकता हूं कि आप भी उस संक्रमण के शिकार थे, लेकिन मैं फिर से आपके लेखन की और लौटता हूं और आपकी कल्पना भी एक कवि की तरह करता हूं. आप खुद अपना प्लाट चुनते हैं, या प्लाट आपका पीछा करता है? और अगर ये दोनों बातें ही सही नहीं हैं तो क्या होता है?
रॉबर्तो बोलान्यो
प्लाट एक अजीब विषय है. मैं विश्वास करता हूं कि कुछ अपवाद भी हो सकते हैं. किसी खास पल में कोई कहानी आपको चुने और आपको शांत न रहने दे, लेकिन सौभाग्य से यह कोई खास महत्व की बात नहीं… उसकी गठन और संरचना हमेशा आप पर ही निर्भर रहती है, और बिना इसके कोई किताब नहीं होती, और अधिकतर मामलों में ऐसा ही होता है. हम कह सकते हैं कि कहानी और प्लाट अचानक ही आते हैं. वे उस खास मौके के यथार्थ पर निर्भर होते हैं जो अव्यवस्थित होते हैं, या एक यथार्थ के लगातार होते शोरगुल से भरे (कुछ लोग इसे विध्वंस भी कहते हैं) और जो गठन है कह सकते हैं कि वह बुद्धिमानी से चुना जाता है. यूलिसीस ने मौत के विरुद्ध युद्ध में बुद्धिमानी, चतुराई और मौन सभी तरह के शस्त्रों का प्रयोग किया. इसमें गठन कृत्रिम दिखाई देता है, कहानी एक चट्टान की तरह दिखाई देती है, या एक चिली देश के रूपक को लेकर चलती है. यह बात नहीं है कि मुझे खड़ी चट्टान पसंद नहीं है, पर मैं उसे एक पुल से देखना चाहूंगा.
कार्मेन बोयोषा
जो स्त्री-लेखक हैं वे मेरे इस प्रश्न से परेशानी महसूस करती हैं, लेकिन मैं इसे आपसे मजबूरी में पूछने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूं, क्योंकि काफी बार पूछ लिए जाने के बाद भी इसे अवश्यंभावी मानता हूं और साथ ही अप्रसन्न करने वाली रूढ़ि के रूप में भी देखता हूं : आपके काम में कितनी सामग्री ऐसी है जिसे आत्मकथात्मक माना जा सकता है? यह किस हद तक खुद का व्यक्तित्त्व माना जा सकता है?
रॉबर्तो बोलान्यो
एक खुद का व्यक्तित्व? किसी हद तक नहीं. खुद के व्यक्तित्व के लिए एक खास किस्म का अहं होना जरूरी है— एक असीम इच्छा खुद को देखने कि बार-बार… एक वृहद दिलचस्पी कि आप क्या हैं और क्या थे. साहित्य पूरी तरह आत्मकथाओं से भरा पड़ा है. इनमें से कुछ बहुत अच्छी भी हैं, लेकिन खुद का व्यक्तित्व आंकना अक्सर काफी बुरा होता है. इसमें कविता में कहे गए खुद के व्यक्तित्व भी शामिल हैं जो प्रथमतः ज्यादा उपयुक्त जेनर में हैं— किसी भी गद्य की अपेक्षा. क्या मेरा काम आत्मकथात्मक है? एक तरह से देखें तो क्यों नहीं होना चाहिए? कोई भी काम, इसमें एपिक को भी देखा जाए तो वे भी किसी न किसी तरह आत्मकथात्मक ही होते हैं. जैसे ‘इलिअड’ में हम देखते हैं कि एक शहर की फौज का आपसी समझौता और भाग्य, और साथ ही देखते है अचिलिस परियम और हेक्टर का भाग्य भी… . और ये सारी आवाजें और चरित्र प्रतिध्वनित होते हैं लेखक की आवाज में, उसकी विश्रांति में.
कार्मेन बोयोषा
जब हम युवा कवि थे और एक ही शहर में रहते थे (मेक्सिको शहर में सत्तर के दशक में) आप सभी युवा कवियों के समूह के लीडर थे. Infrarealist जिसको अपने मिथकीय चरित्र के रूप में The Savage Detectives के रूप में वर्णित किया है. हमें बताइए कि कविता के क्या मानी हैं Infrarealist समूह के लिए? Infrarealist लोगों के मेक्सिको के बारे में…?
रॉबर्तो बोलान्यो
Infrarealist के मानी देखा जाए तो सिर्फ कवि ही नहीं, इसमें काफी लोग और कलाकार शामिल हैं, सभी तरह के लोग और कलाकार. असल में शुरुआत में इसमें केवल हम दो लोग ही थे मारियो सांतियागो और मैं, हम दोनों यूरोप गए 1977 में एक रात रोसेलान फ्रांस में पोर्ट वेंडर्स स्टेशन के पास जो एकदम पेरिप्ग्नान के पास ही है, कुछ खतरनाक किस्म की घटनाओं के बाद जो गतिविधि थी, हमें लगा इसे बंद हो जाना चाहिए.
कार्मेन बोयोषा
आपकी नजर में इसे भले ही बंद हो जाना चाहिए था, लेकिन यह कई तरह से हमारी स्मृति में आज भी जीवित है. आप दोनों ही साहित्यिक दुनिया में आतंक का पर्याय थे. मैं एक संभ्रांत किस्म की गंभीर साहित्यिक दुनिया का हिस्सा था, मेरी दुनिया आकृतिविहीन और आपस में जुड़ी हुई नहीं थी, मुझे किसी सुरक्षित जगह की जरूरत थी स्थापित होने के लिए.
मुझे उत्सवधर्मी काव्य के पठन-पाठन में रुचि थी जो पूरी तरह रूढ़ियों से भरे थे जिनका मैं आदी था और आप इन सबको भंग करने की और प्रवृत्त थे. मेरे पहले कविता-पाठ के समय जो गांधी बुक स्टोर में था, जब मैं वहां से वापस हो रहा था 1974 में मैं ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि सच में मुझे यकीन नही था ईश्वर में, लेकिन उस समय मुझे किसी की जरूरत थी जिसे मैं पुकार सकता और मैं उससे मांग रहा था कि कहीं से Infrarealist न आ जाएं.
मैं जनता के बीच पढ़ने से डरा हुआ था, मुझे लगता था कि आधा पढ़ने के बीच ही Infrarealist आ जाएंगे. मेरा शर्मिंदा होना उस डर के आगे कुछ भी नहीं था जो मैं ऐसा हास्यास्पद महसूस किए जाने के कारण महसूस करता था. लेकिन मुझे अब वापस बोलान्यो और उसके काम की ओर लौटना चाहिए. आप कथोपकथन के विशेषज्ञ हैं, मुझे याद नहीं कि कोई आपके उपन्यासों को काव्यमय कहता हो, और फिर आप एक कवि भी हैं. इन दोनों का संयोजन आप किस तरह करेंगे?
रॉबर्तो बोलान्यो
निकोनार पार्रा कहते हैं कि जो सर्वश्रेष्ठ उपन्यास हैं वे मीटर में लिखे गए हैं, और हेराल्ड ब्लूम कहते हैं कि बीसवीं शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ काव्य गद्य में लिखा गया है. मैं दोनों पर विश्वास करता हूं, और दूसरी और मैं खुद को एक सक्रिय कवि के रूप में सोचने में कठिनाई महसूस करता हूं. मेरी समझ यह है कि एक सक्रिय कवि वह है जो कविता लिखता हो. मैं आपको अपनी कुछ ताजा कविताएं भेजता हूं और मुझे डर है कि वे असहनीय हैं, लेकिन हां आप दया कर या विचार कर झूठ बोलेंगे. मुझे नहीं लगता उनमें कविता जैसा कुछ है. खैर जो भी है, महत्वपूर्ण यह है कि पढ़ते रहना चाहिए, यह ज्यादा जरूरी है. पढ़ना हमेशा ही लिखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है.
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bombmagazine.org पर Margaret Carson के अंग्रेजी अनुवाद में प्रकाशित बातचीत का किंचित संपादित प्रारूप. संध्या कुलकर्णी हिंदी कवयित्री और अनुवादक हैं. उनसे sandhyakulkarni007@gmail.com पर बात की जा सकती है. यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 18वें अंक में पूर्व-प्रकाशित.