कविताएँ ::
तनुज

तनुज

एक

जहाँ खुरचे जा रहे हो
स्वप्निल नेत्रों के बंद फूल

भरा जा रहा हो अँधेरा
पृथ्वी के प्रत्येक कमरे में

इस अकुलाहट की सबसे भव्य परिणीति—
जहाँ मृत्यु हो

ऐसे समय में कहाँ तक इतिहास-सम्मत है यह कहना :
मैं कवि हूँ और तुमसे प्रेम करता हूँ!

दो

चली ही जाओ
जो तुम्हें लगता है
तुम जा सकोगी उठकर
यहाँ से सदा के लिए…

हाँ! मैं आश्वस्त हूँ
स्मृतियों के धब्बे
नहीं उठ सकेंगे कभी
जहाँ-जहाँ भी तुम बैठी थीं—
के ऊपर से…

कोई कहीं नहीं जा सकता—
एक बार साथ बैठ जाने के बाद

सब जाते हैं आकाश की तरफ़
और झरते हैं नितांत
कपास के हल्के फूलों की स्मृति में
वसंत की सफ़ेद क़मीज़ पर—
आस्तीन के आस-पास…

तीन

आत्माओं के दाह-संस्कार में
शामिल हैं हम-तुम

अधनींद में चलते रहे हैं लोग

अतृप्ति के दमन की नींव पर
टिकी हुई है सभ्यता

तुम रोए नहीं
कई-कई दिन तक
नहीं फटकने दिए
मन के आर-पार सपने

दुनिया के हर रोमांटिक प्रतीकों से
कर गए इस तरह कूच

(जैसे चौंकना भूल गए हो तुम
मन की अनंत हड्डियों के टूट जाने से)

निर्वासित कल्पनाओं का यह देश
कब सोएगा गहरी नींद?

कब देखेंगी ये आँखें
वह अंतहीन लंबी यात्रा—
सिर्फ़ चूमकर
तुम्हारी हथेलियों पर पसरी
इन टेढ़ी रेखाओं को?

चार

एक दिन देह गिर जाएगी—
देवताओं के आकाश से
एक दिन झर जाऊँगा मैं—
किसी कवि के आख़िरी एकांत में

एक दिन पुकारना याचना की मुद्रा से नहीं
अपितु एक ज़रूरी विदा की तरह
कौंध जाएगा तुम्हारे-मेरे बीच

पत्थर की अमूर्त छाया को नहीं
नदी को देखने के लिए कूद जाऊँगा
एक दिन पूर्णतः नदी में

एक दिन तुम मान लोगी आत्म-पुष्पा
कि मैं तुमसे कितना प्रेम करता हूँ!

पाँच

कितनी पीड़ाएँ हैं
मेरे और तुम्हारे
इसी एकांत के मध्य

जब-जब सोचता हूँ कि
इसी देश में रहा करते हैं
तुम्हारे पूर्व-प्रेमी।

छह

मृतात्माओं का देश
कौंध भर का अकेलापन
फिर भी जीवन
फिर भी जीवन

अभी जैसे उठ खड़ी होगी
भूतल की छातियों से
टिमटिमाती हुई एक देह
मानो अतृप्ति को आकार मिला है
और एक नीरव अवकाश
तरुण वेदनाओं को।

सात

स्वर्ग के उदास देवता
नहीं लीप सकते वसंत
हर एक घास के ऊपर

तुम मेरी अगली कविता की प्रेरणा नहीं हो…

वापसी!
तुम मनुष्य बन सकी अगर
तब आत्मा का रंग
कविता के साथ भेजी गई तस्वीर में
सड़क पर छितरे हुए इन फूलों- सा रखना!

तनुज की कविताओं के प्रकाशन का यह प्राथमिक अवसर है। वह विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन से हिंदी में स्नातक कर रहे हैं। उनसे tanujkumar5399@gmail.com पर बात की जा सकती है।

4 Comments

  1. Pramod मार्च 12, 2021 at 7:25 अपराह्न

    सुन्‍दर कव‍िताएं हैं।

    Reply
  2. महेंद्र कुमार 'वाक़िफ़' मई 9, 2021 at 2:11 अपराह्न

    बहुत प्यारी कविताएँ हैं, तनुज !

    Reply
    1. रानी सिंह फ़रवरी 15, 2022 at 4:59 पूर्वाह्न

      उम्दा कविताएँ!

      Reply
  3. Pankaj Jha जून 6, 2021 at 2:42 पूर्वाह्न

    बहुत अच्छी कविताएं हैं भाई…❤️

    Reply

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