कविताएँ ::
नीरज
गुलाब की मृत्यु
उसकी देह का भूगोल
दब-कुचलकर इतिहास बन चुका है
समय के खनन से
जब उसकी अस्थियाँ निकाली जाएँगी
पुरातत्त्ववेत्ता भरभराकर रो पड़ेगा
उसमें बची जीवटता देखकर
कितना भार रहा होगा उसकी देह पर
होता रहेगा एक लंबा सर्वेक्षण
होगी तमाम तरह की जाँच-परख
उसके सूखे हुए रक्त को देख
मना कर देगा फोरेंसिक विज्ञान
मारे जाने का कारण बताने से
इस संदिग्ध मृत्यु का रहस्य
वे ही बताएँगे
जो हत्यारे हैं
कि कैसे विधर्मियों की ख़ूनी टाप की आहट से
दफ़ना दिया उसे
बताएँगे वही
जिसने घाघ बनकर यह दुष्कृत्य किया
न्याय कहता है
फूटेगा!
एक रोज़
वह रहस्य
वे दिखने लगेंगे रक्त से रँगे
कई चेहरों की परतें उखड़ जाएँगी
केवल
एक किताब खुलने पर।
ठीक पहले
दु:खों के
इतने काले काल में
हम पूर्व दृश्यों में गड़ जाते हैं
जब हमें याद आता है
कि जैसा भी था
बहुत सुंदर था जीवन
इस हादसे से ठीक पहले।
तुम्हारे बाद
तुम्हारे जाने के बाद
जो पतझड़ आया
वह अभी तक गया नहीं
और जितने वसंत आए
वे मुझसे अछूते रहे
तुम्हारे बाद
जो कुछ भी मिल रहा है
या फिर मिलेगा
सब नेपथ्य का
संगीत है।
वियोग में कहन
वे ताकते रह गए
थके हुए स्वरों में चीख़ते
वे लड़खड़ाते हुए पीछे भागते
रोक लेने के
सारे आयामों का यत्न करते हुए
किंतु
सब में चूक ही गए
वियोग में कहन है :
दुख था उन्हें
वे आजीवन इस जोह में रहीं
कि एक रोज़ किसी बेला में कोई लौटेगा
जो रख देगा इन ख़ाली हथेलियों पर अपनी हथेली
चढ़ जाएगी एक तह उँगलियों की उँगलियों पर
निराशा की निशा छँटेगी
उषा होगी
प्रेम का उदय होगा?
लेकिन
सुबह नहीं हुई
सब के सब आशाओं में ही मारे गए
आधी रात को।
आज
आज के दिन का सूरज
आज की रात का चाँद
यही आज की नियति है
कल के दिन का सूरज
कल की रात का चाँद
उन पर कल ही
विश्वास किया जा सकता है
आज वे केवल एक झूठी कल्पना हैं।
नीरज (जन्म : 2000) की कविताओं के विधिवत् प्रकाशन का यह प्राथमिक अवसर है। उनसे kumneeraj005@gmail.com पर बात की जा सकती है।
नीरज भईया जी की कविताओं में एक टीस है जो वो अपनी कविताओं में ही खोजने का प्रयत्न करते हैं । कविता के समापन तक आते आते खोज लेते हैं उसे और जीवन को सरल सुंदर बना देते हैं अपनी कविताओं से ।
मुबारक हो भईया 🍁
यूं ही लिखते रहो आगे बढ़ते रहो ।
दुनिया के सारी खुशियां आपको मिले मैं ये नहीं कहूंगा मैं कहूंगा खुशियों के साथ साथ तमाम दूसरों के दुःख देखें और महसूस कर उन्हें अपनी कवियाओं में उकेरे ।
धन्यवाद भईया 🍁
आपका छोटा भाई
अभिषेक पटेल ‘नभ’
कविताएँ बहुत सुंदर हैं।
भाषापन की सहजता में जीवन के निहितार्थ को समझाने की ये मौलिकता, कविताई के लिए उतनी है जरूरी है जितनी जरूरत है इस जीवन को दृष्टिबद्ध कर लेने का चेष्ठित दृष्टिकोण की। यही मौलिकता कविता का पुष्ट होने का मापदण्ड है और नीरज जी ऐसी कविताई की मौलिकता हैं। बहुत शुभकामनाएँ।
कविताएँ बहुत सुंदर हैं नीरज भाई लिखते रहो 🌹