कविताएँ ::
संदीप रावत

संदीप रावत

एक

हम आवाज़ हैं जिन्हें कोई नहीं सुन रहा
चलने की आवाज़ें पृथ्वी की प्रार्थनाएँ हैं
प्रार्थनाओं का किसी से कोई संबंध नहीं
क्योंकि वे प्रार्थनाएँ हैं चाहनाएँ नहीं

अकेले कहाँ जा रहे हो यह सवाल कहीं नहीं है

‘मैं नहीं जानता यहाँ क्या कर रहा हूँ’
से बना है संसार, इंद्रधनुष, जल, सपना, दरख़्त, गगन और संगीत…

दुनिया नहीं बोलती—यहाँ—सिर्फ़ दुनिया की पुरानी आदतें बोलती हैं

क्या बोलती हैं?

कुछ नहीं, बोलना एक मद्धम-सी आग है, धुआँ है, अँधेरा है
और किसी चोट का निशान

आकाश तारों भरा है और शरीर आदतों भरा
बंद दरवाज़ों से भरा हुआ मन है और
खुले दरवाज़े मुझे आँसू और संगीत से भर देते हैं

देखता हूँ कि मैं सिर्फ़ समय के साथ रहता हूँ
बिछड़ा हुआ
किसी पल से

वह पल जिसे सदियाँ लगती हैं पल होने में

इस घर में कुछ नहीं, परदे हैं,
मगर न जाने कितने
न जाने कितने परदे चाहिए सच को,
जबकि कुछ नहीं है वो
एक सच, जो हर चीज़ में आ बसा
मगर उसने कहीं तिल भर भी जगह नहीं घेरी

एक सच जिसके साथ उलझनें रहती हैं
जिन्हें गिनती नहीं आती
मगर सपने आते हैं—टूटे हुए और उबासियाँ भी

एक भाषा है ख़ाली स्थान पर पड़े परदे जैसी
एक नींद है जो बीच में से सफ़ेद है
यहाँ-वहाँ बग़ैर पानी वाली ख़ामोशियाँ हैं, विचार हैं
एक अँधेरा है जिसके बिना
मैं नहीं बता सकता मुझे किधर जाना है

विशाल एक कविता है छू-छू कर
जिसका अनुमान लगाते हैं अंधे शब्द
मगर कविता को सदा बे-अनुमान-ओ-गुमनाम रहना है
और दिल को पहुँचना नहीं कहीं इसलिए

पता नहीं कौन कहाँ तक ऐसे दिल को सँभाल सकता है

दो

आसमान से गिरता हुआ सागर है दिल
हज़ारों सूरज भटक रहे हैं
प्रेम के भ्रमण-पथ पर अंधकार में
एक रात हमें जागना चाहिए
आश्चर्य की तरफ़ खुलने वाली बचपन की खिड़की पर

कल्पना दस्तक है नए संसार की
सोच, नींद में बोलने की एक आदत के सिवा
भला और क्या है

एक रोज़ शाम के रंगों ने मुझे गूँगा कर दिया और फिर बताया कि मुझे अपने भीतर विचार की जगह सिर्फ़ खिड़कियाँ बनानी चाहिएँ और ख़ुद को पेड़ों ही पेड़ों से भर लेना चाहिए किसी के भी निकट बैठते हुए

आकाश धरती का नीला ध्यान है
प्यार करना आकाश निहारना है—
अपने ही भीतर बिजलियों, बादलों, सितारों, रंगों और सन्नाटों के इकलौते घर को निहारना

तुम्हारी याद आने से पूर्व ही पानियों, हवाओं, पहाड़ियों और लोमड़ियों के एक झुंड से भर जाता हूँ मैं
तुम्हारी ओर क़दम उठाने की इच्छा हवा और प्रकाश मिला पानी है जो आकाश होना चाहता है
पत्ते गिरते हुए और मेघ घुमड़ते हुए रचते रहते हैं तुम्हारे ही घर की पगडंडियाँ

चाँदनी की ख़ामोशी सारे शहर की बातों में से सीढ़ियों और रास्तों को मिटा देती है
प्रेम में डूबी तुम्हारी आँखें उस दरख़्त में बदल जाती हैं जिसके तले बैठे हैं बुद्ध
जब चूमता हूँ तुम्हारी आँखें तो वे तब्दील हो जाती हैं पृथ्वी की सबसे अनछुई जगह में
जहाँ दरवेशों, कवियों और प्राचीन जनजातियों से मिलता हूँ मैं

तुम्हारा नाम लिखता हूँ तो मेरा हाथ एक बीज में बदल जाता है, उसी से फूटी हुई हरी कोंपल है मेरा दिल
तुम्हारा नाम लिखता हूँ तो मेरा हाथ बदल जाता है एक शंख में, स्मृति मेरे हाथ के शंख में काँपता कोई शंखनाद है सफ़ेद
तुम्हारा नाम लिखता हुआ मेरा हाथ दूर कहीं गुफा में बैठा कोई साधु है अज्ञात
तुम्हारा नाम लिखता हुआ मेरा हाथ एक गौरैया के पीछे-पीछे घुटनों के बल चलता हुआ एक बच्चा है

एक असंभव कविता हैं तुम्हारी आँखें
तुम्हें देखता हूँ लगता है जैसे हज़ार तर्जुमों के बाद भी बचा रह गया हो कविता में काव्य

क्योंकि मैंने पेड़ों पर रस से पकती हुई ख़ुबानियों को देखा है
इसलिए प्रेम और काव्य में मुझे सबसे अधिक चुप रहना चाहिए
और सुननी चाहिए आसमान छूते बैल के सींगों, मधुमक्खियों,
केंचुओं और चूहों के बिलों से बनी हुई एक प्रार्थना


संदीप रावत की कविताओं के ‘सदानीरा’ पर प्रकाशित होने का यह तीसरा अवसर है। वह इस दौर के उन चुनिंदा कवियों में से एक हैं, जिनकी कविताओं की प्रतीक्षा रहती है। यह कहना इसलिए भी ज़रूरी है कि अब हिंदी की लगभग सभी पीढ़ियों के कवि प्रतीक्षाओं को स्वाहा करके स्वयं बहुत प्रस्तुत और प्रदर्शित हैं। वे इतने अधिक फ़रमाइशी और नुमाइशी हो चले हैं कि उनमें कोई नवीनता और उज्ज्वलता नज़र नहीं आती है। इस स्थिति में संदीप रावत सरीखे कवियों का होना राहत की बात है। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखिए : आँसू गहराई की आकस्मिकता है

5 Comments

  1. प्रमोद अगस्त 7, 2023 at 5:42 पूर्वाह्न

    बहुत सुन्‍दर कव‍िताएँँ हैं। शुक्रिया ।

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  2. Mukesh pandey अगस्त 7, 2023 at 8:04 पूर्वाह्न

    संदीप हमेशा से एक पूर्ण कवि रहे हैं। इन दस सालों में दुनिया 360 डिग्री घूम गई पर संदीप का ठहराव टस का मस नही हुआ। बेहतरीन। ❤️✨

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  3. Harshvardhan अगस्त 7, 2023 at 12:43 अपराह्न

    Bahut hi accha lga Sandeep yah sundar Kavita padhke… Dhanyavaad🙏

    Reply
    1. विकास अगस्त 22, 2023 at 2:33 अपराह्न

      प्रतिभावान कवि के रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

      Reply
  4. सत्यव्रत रजक अगस्त 9, 2023 at 12:36 अपराह्न

    सुंदर कविताएँ

    Reply

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