कविताएँ ::
विकास गोंड
एक रात
एक रात उम्र से बड़ी है
एक रात जिसमें सितारों की चमक
फ़िलिस्तीन के बीमार बच्चों की तरह पीली पड़ गई है
एक रात जिसमें डूब रही है मुसाफ़िरों भरी नाव
एक रात जिसमें तुम जा रहे हो हमेशा के लिए
एक रात तमाम रातों से ज़्यादा भयावह है
एक रात पढ़ रहा हूँ तुम्हारे लिए लिखी कविता
एक रात रात नहीं त्रासदी है।
थोड़ी-सी ज़मीन चाही थी हमने
करोड़ों आकाशगंगाओं के बीच
इस ब्रह्मांड के किसी एक उपग्रह के
किसी एक देश के
किसी एक राज्य के
किसी एक गाँव में
हमने चाही थी मिलने के लिए
थोड़ी-सी जगह
थोड़ी-सी हवा
थोड़ा-सा आकाश
लगभग तुम्हारे और अपने पंजों के बराबर ज़मीन
प्रेम के लिए बहुत कम ज़मीन बची है
इस धरती के पास
इस देश में ग़रीबी रेखा से नीचे वालों का प्यार
अक्सर सिर्फ कहानी
या एक तमाशा बनकर सिमट जाता है
इस देश में बलात्कार करने से नहीं
प्यार करने से बाप की इज़्ज़त जाती है
मज़ाक़ बनाकर रखा है इंसान का।
विकास गोंड नई पीढ़ी के कवि हैं। उनसे vikasgond051@gmail.com पर बात की जा सकती है।
शानदार कविताएँ हैंl मगर बहुत कम हैंl
सार्थक कविताएँ