कवितावार में विंदा करंदीकर की कविता ::
मराठी से अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर

विंदा करंदीकर

28 जनवरी, 1980
आज का दिन मुझे मनाने दीजिए

आज आर. के. लक्ष्मण ने लिखी
आधुनिक भारत की सर्वश्रेष्ठ विद्रोही कविता
आधी रेखाओं में आधी शब्दों में :

‘‘नगरपालिका ने सफाई के लिए
कचरे के ढेर यहां से हटाए
तो हम भूख से मरेंगे’’

आज का दिन मुझे मनाने दीजिए

कचरे में से अन्नांश उठा कर
जीवित रहने का अधिकार
अपने संविधान में अंतर्भूत है क्या?
ऐसा न हो तो,
सार्वजनिक वस्तु की चोरी करने के अपराध में
अपनी सरकार इन लोगों पर
नालिश दाग सकती है या नहीं?

—इससे पहले कि जानकार इन प्रश्नों का निर्णय करें

मुझे आज का दिन मनाने दीजिए

***

विंदा करंदीकर (23 अगस्त 1918 – 14 मार्च 2010) मराठी के शीर्षस्थ कवि हैं. उनकी कविता क्रांति के स्वप्न की कविता के रूप में स्वीकार की गई है. विंदा की कविता कोमलता की अभिव्यक्ति और विद्रोह का जयगान एक साथ बनती है. यहां प्रस्तुत कविता संवाद प्रकाशन से प्रकाशित उनकी प्रतिनिधि कविताओं के हिंदी चयन ‘यह जनता अमर है’ से ली गई है. चंद्रकांत बांदिवडेकर प्रसिद्ध मराठी-हिंदी लेखक-अनुवादक हैं.

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