लैंगस्टन ह्यूज की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सारुल बागला
एक
यह बहुत पहले की बात है
अब तो भूल चुका हूँ मैं अपना स्वप्न।
मेरे सामने था
सूर्य की तरह रोशनी से नहाया हुआ मेरा ख़्वाब
फिर आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ती गई
मेरे और मेरे ख़्वाब के बीच की दीवार
जब तक कि उसकी ऊँचाई आकाश को नहीं छूने लगी।
दीवार है
दीवार की छाया है
और उस छाया में क़ैद मैं
अब मुझ तक नहीं आती मेरे ख़्वाब की रोशनी।
सिर्फ़ है दीवार
सिर्फ़ है दीवार की छाया
और मेरे ये हाथ
जिन्हें मैं ख़ुद भी नहीं देख सकता
दीवार को भेदने वाले मेरे हाथ!
मेरे ख़्वाब तक पहुँचने वाले मेरे हाथ!
मेरी मदद करो इस अँधेरे को भेदने में
मेरी मदद करो इस रात को जीतने में
मेरी मदद करो इस छाया के पार जाने में
जहाँ हैं सूरज के हज़ार रंग
जहाँ हैं सूरज के हज़ार चमकते ख़्वाब।
दो
मैं भी गाता हूँ अपने देश (अमेरिका) का गीत।
मैं हूँ तुम्हारा अश्वेत सहोदर
जब भी वे आते हैं
मुझे भेज देते है किचेन में खाने के लिए।
मैं हँसता हूँ
ख़ूब जी भर खाता हूँ
और मज़बूत बनाता हूँ अपना शरीर।
कल जब मैं होऊँगा उनकी तरफ़
वे आएँगे
तब किसी में साहस नहीं होगा
कि मुझे कह—“तुम किचेन में खाने जाओ”
फिर वे देखेंगे कि मैं कितना ख़ूबसूरत हूँ
और शर्मिंदा होंगे।
मैं भी, मैं भी हूँ अपना देश।
तीन
आज नहीं आएगा लोकतंत्र
इस साल भी नहीं आएगा
समझौते और भय के साथ
कभी नहीं आएगा।
मुझे भी दूसरों की तरह अधिकार है
अपने दो पैरों पर खड़े होने का
अपनी ज़मीन पर खड़े होने का।
सुनते-सुनते थक गया हूँ कि
आने दो चीज़ों को उनके तरीक़े से
कल नया दिन होगा
मुझे नहीं चाहिए आज़ादी जब
बंद हो चुकी होगी मेरी साँस
मैं कल की रोटी की उम्मीद पर
नहीं जीता रह सकता।
बहुत मज़बूत हैं आज़ादी के बीज
और इसकी सख़्त ज़रूरत है मुझे।
मैं भी रहता हूँ इस देश में
मुझे भी आज़ादी की उतनी ही प्यास है
जितनी कि तुम्हें।
चार
तुम्हारे बोलने से पहले जान जाता हूँ
तुम्हारी ख़ामोशी का सुर।
अब मुझे ज़रूरत नहीं है
कि शब्द सुने ही जाएँ।
तुम्हारी ख़ामोशी में
पिन्हा हैं वे सारे गीत
जिन्हें सुनने की हसरत जागती है
कभी भी मुझमें।
लैंगस्टन ह्यूज (1901-1967) बीसवीं सदी के प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण अमेरिकी कवि हैं। उनके पूर्वजों ने अमेरिकन इतिहास में ग़ुलामी की पीड़ा झेली थी, इसलिए उन्होंने आस-पास के रंगभेद को अपनी कविताओं का केंद्र बनाया। हालाँकि उनकी कविताओं और बाक़ी लेखन का क्षितिज बहुत विस्तृत है और अश्वेत-जीवन के तमाम पहलुओं की बुनावट प्रस्तुत करता है। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए poemhunter.com से ली गई हैं। सारुल बागला से परिचय के लिए यहाँ देखें : रात दिन को हसरत से देखती अगर देख सकती │ शब्दों को इतना ख़ौफ़नाक कभी नहीं पाया था