कजाल अहमद की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : जितेंद्र कुमार त्रिपाठी

कजाल अहमद

पत्र

एक सरल पृष्ठ पर
चाँद ने भेजी कुछ पंक्तियाँ
सूरज के घर

‘‘इतने लंबे समय के
इंतिज़ार के बाद भी
मुझे शर्म आती है तुमसे पूछने में :
तुम मुझसे निकाह क्यूँ नहीं कर लेते?’’

और सूरज
जो था महज़ एक तारा
उसने जवाब दिया :

‘‘इतने साल तुमसे छुपते हुए
मैं तुम्हें बताना नहीं चाहता
कि मुझमें हिम्मत नहीं है’’

अकेली पृथ्वी

न तो ब्रह्मांड के श्वेत निकाय
उसे सुप्रभात कहते हैं
न ही हस्तनिर्मित तारे
उसे चूमते हैं

पृथ्वी—
कहाँ हैं,
वे सारे गुलाब
उत्तम भाव रहित दफ़्न
जो मर-मिटे
मेरी झलक और ख़ुशबू के लिए?

ये मटमैली गेंद अकेली है
इतनी अकेली कि
जैसे ही वह देखती है
चाँद का पैबंद पहनावा
वह जान जाती है—
सूरज बहुत बड़ा चोर है
जो जलता है—
असंख्य किरणों के साथ
जो उसने संग रखी हैं—
ख़ुद के लिए
और जो देखता है
चाँद और पृथ्वी को—
एक किराएदार की तरह।

बरसात

वह चमकाती है बिजलियाँ
और प्रसारित करती है गर्जन
वह निरस्त करती है सूखे को
कैलेंडर की छुट्टियों में
वह रोती है सारे खड़े हुए पेडों के लिए
और सारे बैठे पत्थरों के लिए
वह देती है ज़िंदगी
पर डुबो देती है
मेरी जीने की इच्छा को

मैंने आज़माया है हर दंतकथा को
एक लबादे की तरह
और यह बरसात वह लबादा है
जो कभी नहीं भाई मुझे।

फल-विक्रेता का दर्शन

एक

मेरे मित्र,
तुम ख़ुबानी की तरह थे
अपने पहले टुकड़े में
मैंने थूक दिया जिसके
मूल और सार को।

दो

मेरे प्रिय,
कभी कभी
तुम संतरे-से होते हो

कपड़े उतारने लगते हो अनायास ही

और कभी-कभी तुम होते हो
सेब-से
खाने-योग्य—
छिले या बिना छिले हुए भी।

तीन

तुम एक अजनबी,
मुझे यक़ीन है
तुम तरबूज़ जैसे हो

मैं तब तक नहीं जान पाऊँगी तुम्हें
जब तक मैं तुम में
पारगामी न हो जाऊँ—
किसी चाक़ू की तरह।

पड़ोसी

तुम हो एक फल काटने वाले चाक़ू की तरह
ऐसा कोई समय नहीं
जब तुम
हमारे खाने की मेज़ पे न हो

किंतु मुझे माफ़ करना अगर मै कहूँ
तुम केवल समय की बर्बादी हो।


कजाल अहमद (जन्म : 1967) कुर्दिश कवि-लेखक-पत्रकार हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद के लिए poetrytranslation.org से ली गई हैं। जितेंद्र कुमार त्रिपाठी से परिचय के लिए यहाँ देखें : जागो उस घर में जो नष्ट होने वाला हो

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