राफ़ाएल अल्बेर्ती की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : तनुज
तुम्हारे लिए मैं क्या-क्या छोड़ आया हूँ
सिर्फ़ तुम्हारे लिए मेरी जाँ!
मैं छोड़ आया हूँ अपना वह घना जंगल,
गुम हुई अपनी किशोर वाटिका,
नींद में अचेत पड़ा एक प्यारा कुत्ता।
मेरे सारे महत्त्वपूर्ण वर्ष मैं छोड़ आया हूँ
वे निर्वासित हो चुके हैं लगभग—
इस एक सर्द जीवन में…
मैं छोड़ आया हूँ एक स्पंदन,
एक कौतूहल,
एक अबूझ आग की प्रतिभा।
मैं छोड़ आया हूँ निराशा पर पसरी अपनी छाया
विदाई के ख़ून से सनी हुई वे दो आँखें।
एक उदास कबूतर हुआ करती थी नदी के किनारे
जिसे मैं छोड़ आया हूँ अपने हाल।
अपने प्रिय घोड़े को रणभूमि की धूल में लिपटा हुआ
छोड़ आया हूँ मैं वह समुद्र-गंध।
मैं छोड़ आया हूँ—तुम्हें निहारने भर की निरंतरता!
मेरी जाँ! जो कुछ भी मेरा था,
मैं सब कुछ तुम्हारे लिए ही तो छोड़ आया हूँ।
और इतनी अधिक पीड़ा सहने के बदले
मुझे चाहिए पूरा का पूरा ‘रोम’
आख़िरकार मैंने इन तमाम ख़ूबसूरत चीज़ों को
सिर्फ़ तुम्हें पाने भर के लिए ही तो छोड़ा है…
भोर का नामकरण
हे भोर! मैं तुम्हें देने वाला था कई-कई नाम
(मगर एक संदिग्ध सुर्ख़ हमले के साथ)
तुम हो वह भूल सपना,
कभी न प्रस्थान करने वाली देवदूत,
दरख़्तों पर बारिश—मिथ्या
आत्मा के वे किनारे जहाँ बुलाई जाती हैं तमाम नदियाँ—
अनिश्चित, संशयशील, ठहरी हुईं…
हे विभाजित सितारो! या
रौशनी के विमूढ़ विलाप
या बे-आवाज़ दर्पण?
न!
मुझे लगता है कि तुम्हारा सही नाम होगा—
बर्फ़ के पानी के भीतर उभरा हुआ एक ग़लत प्रतिबिंब।
सड़क
तुम हमेशा ही इतनी गंभीर क्यों दिखती हो मेरी प्रिय सड़क?
तुम्हारे पास हैं चार धूसर रंग के खच्चर
और सबसे आगे खड़ा वह सफ़ेद घोड़ा
हरे पहिए वाली वह सुंदर गाड़ी
और ये तमाम राहें
सब कुछ तुम्हारा ही तो है
मेरी प्रिय सड़क—
बताओ तुम्हें अब और किसकी किस चीज़ की ज़रूरत है?
अगर मैं एक किसान पैदा हुआ होता
अगर मैं एक किसान पैदा हुआ होता
या मेरा जन्म होता एक मल्लाह के घर,
मुझे यहाँ रहने की क्यों ज़रूरत आन पड़ती?
और अगर यह वह सही जगह नहीं है
तो मैं कहाँ रहना चाहता हूँ?
सबसे सुंदर शहर और दिन
जिसके लिए मैंने शायद ही कभी प्रार्थना की हो…
सबसे शानदार दिन—ख़ामोशी!
मैं वहाँ ओझल हो चुका होऊँगा!
अगर मेरी आवाज़
अगर मेरी आवाज़ त्याग दे भूमि पर प्राण,
इसे ले जाना तुम समुद्र के नीचे
और छोड़ आना वहाँ किनारे के पास…
ले जाना इसे तुम समुद्र के नीचे
और घोषित करना तुम मेरी इस आवाज़ को
गोरों के युद्ध में उस जहाज़ का सरदार।
ओह! मेरी सुशोभित सुंदर आवाज़
तुम्हें पाता हूँ मैं,
तुम्हारे नवीन अधिकार-चिह्न के साथ।
मेरे हृदय पर जैसे ठहरी हुई एक आस्था
सितारों के ऊपर, हवाओं के ऊपर
ऊपर इन हवाओं के मानो एक पंख…
लोर्का के लिए
जाओ जाकर ग्रहण करो तुम सारे मैदानों और शहरों को
जो तब्दील हो चुके हैं पानी के एक बड़े सारंग में
बनो तुम समुद्र की वह चमचमाती हुई भोर
जल-तरंगों पर तैरता हुआ किसी नीलकंठ का घोंसला
और हो सकता है मेरे मंद पड़ने तक
नहीं थमे मेरी तुमसे उम्मीदें
विराट अकेलेपन में एक समाप्त बंशी की सुप्त ध्वनियाँ
जो ज़ख़्मी हो चुकी हैं हवाओं के द्वारा
वे सब चाहती हैं—
तूफ़ान की सोहबत में तुम्हारी आवाज़
तुम मुझे छोड़ दो लिखने के लिए—
मेरे पास यह दुर्बल, ठंडी पड़ चुकी बंशी
इन गतिशील जल पदार्थों के ऊपर मेरा नाम
कराहने दो तुम इन हवाओं को, तन्हाइयों को, नदियों को
मेरा नाम अब घुल चुका है—तुम्हारी बर्फ़ के भीतर
मुड़ रहा हूँ मैं इन ऊँची-ऊँची ढालों पर
हे फुहारों के सारंग!
पहाड़ी प्रवाहों के नरेश!
राफ़ाएल अल्बेर्ती (1902–1999) संसारप्रसिद्ध स्पैनिश कवि हैं। वह ‘जनरेशन 27’ नामक क्रांतिकारी कलावादी संगठन के अभिन्न अंग रहे। अपनी मार्क्सवादी प्रतिबद्धताओं की वजह से ‘स्पैनिश सिविल वार’ के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए poetsofmodernity से चुनी गई हैं। तनुज हिंदी की बिल्कुल नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : निर्वासित कल्पनाओं का यह देश कब सोएगा गहरी नींद