कवितावार में हबीब तनवीर की कविता ::

हबीब तनवीर

रामनाथ का जीवन चरित्र

रामनाथ ने जीवन में कपड़े पहने कुल छह सौ गज़
पगड़ी पाँच
जूते पंद्रह
रामनाथ ने अपने जीवन में सौ मन चावल खाया
सब्ज़ी दस मन
फ़ाक़े किए अनगिनत
शराब दो सौ बोतल
पूजा की दो हज़ार बार
रामनाथ ने अपने जीवन में धरती नापी कुल जुमला पैंसठ हज़ार मील

सोया पंद्रह साल
प्यार की रातें उसे मिलीं दो-ढाई हज़ार
उसके जीवन में आईं बीवी के सिवाय कुल पाँच औरतें
एक के साथ पचास की उम्र में प्यार किया और प्यार किया नौ साल

सत्तर फीट कटवाए बाल
सत्रह फीट नाख़ून
रुपया कमाया दस हज़ार या ग्यारह
कुछ रुपया मित्रों को दिया कुछ मंदिर को
और छोड़ा आठ रुपए और उन्नीस नए पैसे का क़र्ज़
बस यह गिनती रामनाथ का जीवन है
इसमें शामिल नहीं चिता की लकड़ी, तेल, कफ़न
तेरही का भोजन

रामनाथ बहुत हँसमुख था उसने पाया एक संतुष्ट सुखी जीवन
चोरी कभी न की
कभी-कभार अलबत्ता कह देता बीवी से झूठ
गाली दी, दो तीन महीने में एक-आध
एक च्यूँटी भी नहीं मारी
बच्चे छोड़े सात
भूल चुके हैं गाँव के सब लोग उसकी हर बात
रामनाथ!

***

हबीब तनवीर (1 सितंबर 1923–8 जून 2009) समादृत रंगकर्मी-कलाकार हैं, लेकिन उन्होंने कभी-कभी कविताएँ लिखकर भी ख़ुद को और बहुत कुछ को व्यक्त किया है। यहाँ प्रस्तुत कविता पढ़ते हुए रघुवीर सहाय की कविता ‘रामदास’ की याद आ सकती है। इन दोनों कविताओं की ज़मीन एक लगती है, पर हबीब तनवीर की इस कविता में आए विवरण ‘रामदास’ से अलग हैं। यह कविता 1962 में लिखी गई थी, जबकि ‘रामदास’ का रचना-काल 1970-1975 के मध्य का है। यहाँ प्रस्तुत कविता ‘हबीब तनवीर : एक रंग व्यक्तित्व’ शीर्षक पुस्तक में पूर्व-प्रकाशित है।

1 Comment

  1. रोहित ठाकुर सितम्बर 2, 2018 at 9:17 पूर्वाह्न

    सामान्य जीवन के विविध पक्षों पर केन्द्रित यह कविता जीवन के लोक तत्व को प्रकट करती हुई आती है । कविता का कथ्य नवीन नहीं है पर कविता में यह स्वाभाविक सा जीवन का व्यापार बिलकुल नये भावबोध को स्पष्ट करती है ।

    Reply

प्रतिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *