सिमोन द बोउवार के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद : सरिता शर्मा
डायरी कितनी अजीब होती है : जो चीज़ें आप लिखना छोड़ देते हैं, वे लिखे हुए से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती हैं।
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पुरुष को मनुष्य के रूप में और स्त्री को स्त्री के रूप में परिभाषित किया जाता है—जब भी वह मनुष्य की तरह व्यवहार करती है, उस पर पुरुष की नक़ल करने का आरोप लगाया जाता है।
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…उसके पंखों को काट दिया जाता है और फिर उस पर उड़ना न आने का इल्ज़ाम लगाया जाता है।
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अगर आप बहुत लंबी उम्र तक जीते हैं, तो आप हर जीत को हार में बदलते हुए पाएँगे।
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किसी के जीवन का मूल्य तभी तक है जब तक वह प्रेम, दोस्ती और करुणा के द्वारा दूसरों के जीवन को मूल्यवान बनाता है।
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शरीर कोई चीज़ नहीं, बल्कि एक स्थिति है : यह दुनिया पर हमारी पकड़ है और हमारी योजना की रूपरेखा है।
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अपने जीवन को आज ही बदल डालो। भविष्य का जुआ मत खेलो, बिना किसी देरी के अभी इस काम में लग जाओ।
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क्षमताएँ स्पष्ट रूप से तब प्रकट होती हैं, जब उन्हें प्राप्त कर लिया गया हो।
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अगर स्त्री का मुद्दा इतना बेतुका है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरुष के अहंकार ने इसे चर्चा का विषय बना लिया है।
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पति को पा लेना एक कला है, उसे पकड़कर रखना कठिन कार्य है।
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प्रेम और प्रशंसा के पात्र बनो, ज़रूरी हो जाओ और कुछ बनकर दिखाओ।
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चूँकि हम अलग हो गए हैं, हमें सब कुछ अलग करता है, यहाँ तक कि हमारे एक-दूसरे से जुड़ने के प्रयास भी हमें दूर कर देते हैं।
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राजनीति से दूर रहना ख़ुद में एक राजनीतिक दृष्टिकोण है।
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दमन अपनी उपयोगिता बताकर स्वयं को बचाने की कोशिश करता है।
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ऐसे व्यक्ति से नफ़रत करना बहुत थका देता है जिससे आप प्रेम करते हैं।
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हर सफलता के पीछे आत्मसमर्पण छुपा हुआ है।
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कुछ चीज़ें जिन्हें मैं प्यार करती थी ग़ायब हो गई हैं। मुझे और बहुत-सी चीजें दे दी गई हैं।
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जिस दिन मैं नहीं लिखती, वह कसैला स्वाद छोड़ देता है।
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सिमोन द बोउवार (9 जनवरी 1908–14 अप्रैल 1986)) संसारप्रसिद्ध फ़्रांसीसी लेखिका, अस्तित्ववादी दार्शनिक और स्त्रीवादी विचारक हैं। ‘द सेकंड सेक्स’ उनकी एक बहुचर्चित कृति है। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए www.goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और स्त्रीवादी लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :