हाना आरेन्ट के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद : सरिता शर्मा

philosophe Hannah Arendt
हाना आरेन्ट

पूर्णतावादी शासन का आदर्श विषय कायल नाजी या समर्पित कम्युनिस्ट नहीं, बल्कि वे लोग हैं जिनके लिए तथ्य और कल्पना; सच और झूठ के बीच भेद खत्म हो गया है.

जब बुराई को अच्छाई के साथ प्रतिस्पर्धा करने दी जाती है, तो बुराई में भावात्मक जनवादी गुहार होती है जो तब तक जीतती रहती है जब तक कि अच्छे पुरुष और स्त्रियां दुर्व्यवहार के खिलाफ एक अग्र-दल के रूप में खड़े न हो जाएं.

राजनीतिक रूप से, तर्क की कमजोरी हमेशा से यह रही है कि जो लोग कम बुराई को चुनते हैं, वे बहुत जल्द भूल जाते हैं कि उन्होंने बुराई को चुना है.

यह दुखद सच्चाई है कि सबसे ज्यादा बुराई उन लोगों द्वारा की जाती है जो कभी भी अच्छे या बुरे होने का मन नहीं बना पाते हैं.

मैं इस नियम का पालन करती हूं : सबसे खराब के लिए तैयार रहो, सबसे अच्छे की उम्मीद रखो; और जो होता है उसे स्वीकार कर लो.

जब आप विदेश में होते हैं तो जीवन को प्यार करना आसान होता है. जहां आपको कोई नहीं जानता और आपके जीवन पर सिर्फ आपका नियंत्रण होता है, आप किसी अन्य समय की तुलना में अपने खुद के अधिक स्वामी होते हैं.

कोई विचार खतरनाक नहीं है, सोचना खुद में ही खतरनाक है.

एकपक्षीय शिक्षा का उद्देश्य कभी भी धारणा को मन में बिठा देना नहीं, बल्कि किसी भी प्रकार की धारणा बनाने की क्षमता को नष्ट कर देना रहा है.

विचारहीनता और बुराई के बीच अजीब परस्पर निर्भरता है.

बीसवें और तीसवें दशक के सर्वसत्तावादी अभिजात वर्ग का सबसे बड़ा फायदा तथ्य के किसी भी बयान को उद्देश्य के प्रश्न में बदल देना था. इसलिए, प्राधिकरण का सबसे बड़ा दुश्मन अवमानना है, और इसे कमजोर करने का सबसे पक्का तरीका हंस देना है.

रूढ़ोक्तियों, सामान्य वाक्यांशों, अभिव्यक्ति और आचरण के पारंपरिक, मानसिक कोडों के अनुपालन को हमें वास्तविकता से बचाने के लिए सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त है.

क्षमा कार्य और आजादी की कुंजी है.

मेरा यह मानना है कि आजकल भले मानव का अस्तित्व केवल समाज के सीमांत पर ही संभव है, जहां आदमी को भूखे मरने या मौत तक पत्थरबाजी का जोखिम उठाना पड़ता है. इन परिस्थितियों में, विनोदपूर्णता बहुत मदद करती है.

क्रांतिकारी क्रांतियां नहीं करते हैं. क्रांतिकारी वे होते हैं जो जानते हैं कि ताकत कब गलियों में गिरी होती है और फिर वे इसे उठा सकते हैं.

सिर्फ भीड़ और अभिजात वर्ग ही सर्वसत्तावाद के आवेग से आकर्षित हो सकते हैं. जनसाधारण को प्रचार द्वारा जीतना पड़ता है.

बुराई उदासीनता पर फलती-फूलती है और इसके बिना अस्तित्व में नहीं हो सकती है.

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हाना आरेन्ट (14 अक्टूबर 1906 – 4 दिसंबर 1975) जर्मन मूल की विश्वप्रसिद्ध अमेरिकी दार्शनिक और विचारक हैं. सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं. उनसे sarita12aug@hotmail.com पर बात की जा सकती है. यहां प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए azquotes.com से चुने गए हैं. अनाइस नीन के कुछ उद्धरण यहां पढ़ें :

लोगों को बचाया नहीं जा सकता है, उनसे सिर्फ प्यार किया जा सकता है

1 Comments

  1. ज्योति मिश्रा नवम्बर 6, 2020 at 6:59 अपराह्न

    बहुत ही अच्छे विचार हैं इनके और सरिता मैम को खासतौर पर शुक्रिया जिनके बेहतरीन और सरल अनुवाद के कारण हम विदेशी रचनाकारों को भी जानने और उनको पढ़ने का लाभ उठा पाते हैं |

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