पूर्णेंदु पत्री की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
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रूखे मौन के आवरण से ढक लिया अपना आप
प्रोमिला मन्हास की कविताएँ :: डोगरी से अनुवाद : कमल जीत चौधरी
एक विषाद से भरा मनुष्य रहता है हमेशा हास्यमय भीड़ में
शक्ति चट्टोपाध्याय की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक
अब तक मुझे हराए रखा है तुम्हारी ताक़त ने नहीं, तुम्हारी दहशत ने
सलमा की कविताएँ :: अनुवाद : जे सुशील
जन्म के वक़्त मैं रोई थी किस भाषा में अब याद नहीं, पर वही थी शायद मेरी भाषा
कविताएँ :: मनीषा जोषी
पूरी रात में लिखी गई एक अधूरी नज़्म
नज़्में :: मुमताज़ इक़बाल