क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
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एक मुट्ठी जुगनुओं का प्रकाश लेकर ख़ाली मैदान में जादू दिखा रहा है अंधकार
पूर्णेंदु पत्री की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
रात में प्रेम चढ़ जाता है चाँद पर और उछाल देता है मछलियाँ पानी के आसमान में
कविताएँ :: सुजाता गुप्ता
मैंने आज़माया है हर दंतकथा को एक लबादे की तरह
कजाल अहमद की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : जितेंद्र कुमार त्रिपाठी
आवाज़ लगाने से भी कम होती है दूरी
कविताएँ :: शिवम तोमर
रूखे मौन के आवरण से ढक लिया अपना आप
प्रोमिला मन्हास की कविताएँ :: डोगरी से अनुवाद : कमल जीत चौधरी