वक्तव्य ::
कार्ल सेगन
अँग्रेज़ी से अनुवाद :: पल्लवी व्यास
इस दूरस्थ बिंदु से पृथ्वी कुछ विशेष न लगे, लेकिन हमारे लिए यह बेहद ख़ास है। एक बार फिर से ज़रा उस बिंदु के बारे में सोचिए जो यहाँ है। यह हमारा घर है। यह ख़ुद हम हैं। इसी पर है वह हर एक शख़्स जिससे तुम प्रेम करते हो, जिन्हें तुम जानते हो, जिनके बारे में कभी भी सुना हो तुमने, हर एक इंसान जो कभी भी था, जिन्होंने यहाँ ज़िंदगियाँ बिताईं, हमारी ख़ुशियों और पीड़ाओं का कुल जमा, हज़ारों आश्वस्त धर्म, विचारधाराएँ और आर्थिक सिद्धांत, हर एक शिकारी और घुमंतू, हर एक वीर और कायर, हमारी सभ्यता का हर एक सर्जक और विध्वंसक, हर एक राजा और रंक, हर एक प्रेम में डूबा जवान जोड़ा, हर एक माँ और पिता, आशावान बच्चा, आविष्कारक और अन्वेषक, हर एक नैतिक मूल्यों वाला शिक्षक, हर एक भ्रष्ट राजनीतिज्ञ, हर एक ‘सुपरस्टार’, हर एक ‘सुप्रीम नेता’, हमारी प्रजाति के इतिहास के हर एक पीर और पापी यहीं हुए हैं—सूरज की किरणों में बिखरे धूल के एक कण पर।
इस विशाल ब्रह्मांडीय रंग-भूमि पर पृथ्वी एक बहुत ही छोटा-सा मंच है। सोचिए, उन ख़ून की नदियों के बारे में जो सेनापतियों और सम्राटों ने बहाई हैं; ताकि गर्व और विजय के उन्माद में वे पल भर के स्वामी बन सकें—इस बिंदु के किसी छोटे से हिस्से भर का।
सोचिए, कभी न ख़त्म होती क्रूरताओं के बारे में जो इस बिंदु के किसी एक कोने के निवासी करते हैं, बमुश्किल अलग दिखने वाले इसके ही किसी दूसरे कोने के निवासियों पर। इनकी बार-बार की ग़लतफ़हमियाँ। कितने बैचेन हैं ये एक दूसरे को मारने के लिए। कितनी उत्कट हैं इनकी नफ़रतें।
हमारे तेवर, हमारा काल्पनिक आत्म-महत्त्व, हमारे मुग़ालते कि इस ब्रह्मांड में हमारा कोई विशेष स्थान हैं, इन सबको चुनौती देता है—यह ज़र्द रोशनी वाला सूक्ष्म बिंदु। इस अनंत ब्रह्मांडीय अंधकार में हमारा ग्रह एक अकेला नन्हा-सा कण है। हमारी अस्पष्टताओं में—इस अत्यंतता में—कहीं कोई संकेत नहीं है कि मदद कहीं और से आएगी—हमें हम ही से बचाने के लिए।
पृथ्वी ही इकलौती ज्ञात दुनिया है, अब तक, जो ज़िंदगी को पनाह देती है। कहीं कोई जगह नहीं है, कम से कम निकट भविष्य में, जहाँ हमारी प्रजाति पलायन कर सके। यात्रा मुमकिन है। बसना अभी नहीं। चाहे अच्छा लगे या न लगे, इस पल, पृथ्वी ही है जहाँ हम अपना रुख़ कर सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एस्ट्रानॉमी एक विनम्र बनाने और चरित्र निर्माण करने वाला अनुभव है। हमारे नन्हे संसार की इस दूर की छवि से बेहतर कोई नमूना नहीं है—मानवीय अहंकार की मूर्खताओं का। मेरे लिए यह हमारी ज़िम्मेदारी रेखांकित करता है—एक दूसरे के साथ ज़्यादा सहृदयता निभाने की और इस ज़र्द नीले बिंदु को बचाने और सँजोने की—उस एकमात्र घर को जिसे हम जानते हैं।
कार्ल सेगन (1934–1996) संसारप्रसिद्ध अमेरिकी खगोल विज्ञानी हैं। यहाँ प्रस्तुत वक्तव्य (पेल् ब्लू डाॅट मॉनलॉग्) हिंदी अनुवाद के लिए यहाँ से चुना गया है : ‘Lost’ lecture by Carl Sagan. इसकी शुरुआत इस लिंक में तक़रीबन 1:02:22 से होती है। इस माॅनलाॅग् को उनकी ‘पेल् ब्लू डाॅट’ शीर्षक पुस्तक में भी सम्मिलित किया गया है। पल्लवी व्यास से परिचय के लिए यहाँ देखें : अटारी और उसकी कीलें