कविता ::
भगवत रावत

नया साल
कितना अच्छा रहा कि पिछले पूरे एक वर्ष में
आपको कभी किसी बात पर क्रोध नहीं आया
कितना अच्छा हुआ कि किसी भी घटना से
आया नहीं आपके रक्त में रत्ती भर उबाल
कितना अच्छा रहा कि आप समयानुकूल
बुरी से बुरी ख़बर पर भी उत्तेजित नहीं हुए
कितना अच्छा रहा कि इस वर्ष भी आपके मन में
उठा नहीं कोई उल्टा-सीधा सवाल
कितना अच्छा रहा कि आप कहीं फँसे नहीं
बुद्धिमानी से काटे आपने अपने सारे जाल
कितना अच्छा रहा कि सरकारी ख़र्चे पर आप भी हो आए विदेश
वेतन के अलावा भी निरंतर बढ़ी आपकी आय
पिछले वर्ष की ही तरह आप फले-फूलें इस बरस भी
इसी तरह आपको मुबारक हो यह नया साल
रहें सदा आप झंझटों, झगड़ों-टंटों से दूर
दूर से ही भाँपते रहें क़रीब आने वाले की चाल
समझदारी से क़ायदे-क़ानूनों के भीतर सब काम करें
आने नहीं दें अपने ऊपर आँच, उठने नहीं दे कोई वबाल
सरकारें आएँ-जाएँ, बवंडर उठे, आते रहें भूचाल
आप खड़े रहें वहीं धैर्य से अविचलित
इस वर्ष भी रहें आप सदा की तरह निर्लिप्त-निर्विकार
पिछले वर्ष से भी अधिक मंगलमय हो आपका यह वर्ष।
भगवत रावत (1939-2012) हिंदी के सुपरिचित कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविता ‘कथादेश’ (मार्च-2005) से साभार है।