नस्लवाद पर ::
स्कॉट वुड्स
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मलयानिल
समस्या यह है कि गोरे लोग नस्लवाद को सोची-समझी घृणा के रूप में देखते हैं, लेकिन असल में नस्लवाद इससे कहीं ख़तरनाक़ है। नस्लवाद सामाजिक और राजनीतिक ढाँचे की पीढ़ियों पुरानी एक जटिल प्रणाली है, जिसमें बाक़ियों के ख़र्च पर गोरे अपना काम जारी रख सकें। गोरों को भले इसका एहसास हो या नहीं। नस्लवाद एक बेहद घातक सांस्कृतिक बीमारी है। यह इतनी तेज़ और कपटी है कि यह परवाह नहीं करती कि क्या आप गोरे व्यक्ति हैं, जो काले लोगों को पसंद करते हैं? अगर हैं भी तब भी यह बीमारी ऐसा एक तरीक़ा खोज निकालेगी, जिससे कि आप अपने दिलो-दिमाग़ को ऐसा बना लें कि आप उन लोगों को कुछ अलग तरह देखेंगे जो आपके जैसे नहीं दिखते। हाँ, नस्लवाद नफ़रत की तरह दिखता ज़रूर है, लेकिन नफ़रत की सिर्फ़ एक अभिव्यक्ति मात्र है। प्रिविलेज यानी विशेषाधिकार एक और है। एक्सेस यानी पहुँच दूसरी है। अज्ञान है। उदासीनता है। और इसी तरह कई और अभिव्यक्तियाँ हैं। हालाँकि लोग जब कहते हैं कि कोई भी नस्लवादी पैदा नहीं हुआ है, तो मैं उनसे सहमति जताता हूँ; लेकिन नस्लवाद वही शक्तिशाली प्रणाली तो है जिसमें हम पैदा होते हैं और उसे तुरंत अपनाते हैं। यह हवा में पैदा होने जैसा है, आप साँस के साथ इसे ग्रहण करते हैं। यह कोई सर्दी-ज़ुकाम नहीं है जिससे आप छुटकारा पा सकते हैं। कोई स्कूल नहीं है, जहाँ से आप जाति-विरोधी प्रमाणपत्र पा सकते हैं। यह सामाजिक-आर्थिक जाल और सांस्कृतिक मूल्यों का एक समूह है जो हर बार जब आप दुनिया के साथ बातचीत करने लगते हैं, किसी न किसी रूप में बाहर आता है। यह आपकी नाव में भरा हुआ वह खारा पानी है जिसे आपको डूबने से बचने के लिए लगातार बाहर फेंकना पड़ता है। मुझे पता है कि यह बेहद कठिन काम है, लेकिन यह वह क़ीमत है जो हर चीज़ पर अपना स्वामित्व रखने के लिए आपको चुकानी है।
स्कॉट वुड्स (जन्म : 1971) अमेरिकी कवि-लेखक हैं। मलयानिल पत्रकारिता से संबद्ध हैं। उनकी मेधा और प्रतिभा के विविध पक्ष हैं। उनसे themalayanil@gmail.com पर बात की जा सकती है।