वाल्ट ह्विटमैन की कविता ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कुँवर नारायण
एक असफल योरपीय क्रांतिकारी के प्रति
हिम्मत मेरे भाई, हिम्मत ऐ बहन!
हारना मत—बचाना है आज़ादी को जैसे भी हो सके :
वह कोई ऐसी चीज़ नहीं जो कुचली जा सके
दो एक, या अनेक, विफलताओं से
या लोगों की उपेक्षा और कृतघ्नता से,
या बेईमानी से,
या ज़ोर-ज़बरदस्ती, सिपाही, तोप, दंड के अध्यादेशों से।
हमारा विश्वास देशकाल से परे धरोहर है सब की,
वह किसी को आमंत्रित नहीं करता, वादा नहीं करता,
वह एक सौम्यता और प्रकाश,
दृढ़ और शांत, हताशा से परे,
धैर्यपूर्ण प्रतीक्षा है कि उसका वक़्त आए।
इनमें विद्रोह का आह्वान भी है,
क्योंकि मैं दुनिया के हर उस विद्रोही का कवि हूँ जो झुका नहीं,
और जो, जहाँ से भी गुज़रा मेरे साथ, शांति और व्यवस्था को छोड़ते हुए गुज़रा,
और जब भी ज़रूरी हुआ अपने प्राणों पर खेल गया।]
लड़ाई चलती है पूरे ज़ोर-शोर से, धावा बोलना
पीछे हटना,
कमीना जीतता, या समझता है कि जीतता,
जेल, फाँसी के तख़्ते, गला घोंटना, हथकड़ियाँ, बेड़ियाँ, ज़ंजीरें, गोलियाँ
सब अपना काम करते,
जाने-अनजाने वीर न जाने कहाँ खो जाते,
बड़े-बड़े वक्ता और लेखक निर्वासित घुटते रहते
विदेशों में,
उनका दावा दब जाता, समर्थ आवाज़ें रुँध कर रह जातीं
उनके ही ख़ून में,
नौजवानों की निगाहें ज़मीन में गड़ जातीं
जब वे आपस में मिलते;
लेकिन फिर भी आज़ादी दुनिया से नेस्तनाबूद तो नहीं हो गई, न ही
हर तरफ़ कमीने ही कमीने छा गए।
याद रखो आज़ादी कहीं से भी सबसे पहले नहीं जाया करती,
न ज़रा बाद में, न ज़रा और बाद में,
वह इंतिज़ार करती रहती पहले सब कुछ के चले जाने का, और तब
एकदम बाद में वह जाती है।
जब बाक़ी नहीं रह जातीं नेताओं और शहीदों की यादें भी
दुनिया के किसी हिस्से में जब लोगों की आत्माएँ मर जाती हैं
और उनमें ज़िंदगी का अहसास बाक़ी नहीं रहता
तब, केवल तब आज़ादी या उसका विचार भी
दुनिया के उस हिस्से से कूच कर जाता है
और कोई कमीना वहाँ एकछत्र राज करने लगता।
तो फिर हिम्मत योरोप के ओ क्रांतिवाहक, क्रांतिवाहिनी!
आख़िरी दम तक, आख़िरी दम तक।
मैं नहीं जानता तुम किस ओर हो,
मैं नहीं जानता मैं ख़ुद किस ओर हूँ
न यही कि क्या किधर है,
लेकिन उसे सावधानी से खोजूँगा—
हर तरह असफल होते हुए भी
हार में, ग़रीबी में, भ्रांतियों में, क़ैदख़ानों में—
क्योंकि ये सब भी महान हैं।
क्या जीत ही महान होती है?
होती होगी—
पर अब मुझे लगने लगा है कि ऐसे भी मौक़े होते हैं
जब पराजय महान होती है,
जब मृत्यु और व्याकुलता महान होती है।
वाल्ट ह्विटमैन (1819-1892) की अत्यंत समादृत अमेरिकी कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविता ‘न सीमाएँ न दूरियाँ’ (विश्व कविता से कुछ अनुवाद, वाणी प्रकाशन, प्रथम संस्करण : 2017) शीर्षक पुस्तक से साभार है। कुँवर नारायण (1927-2017) सुप्रसिद्ध हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं।