एतेल अदनान की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रत्यूष पुष्कर

एतेल अदनान

लहर

एक लंबी रात मैंने बिताई है
सोचते हुए कि यथार्थ कहानी है
मानव-जाति की

पराजित के लिए पराजित खोज

मेरी आत्मा को बेतरतीब करती ध्वनियाँ आती हैं

मैं अंतरिक्ष का लचीलापन महसूस करती हूँ,
पढ़ती जाती हूँ वे किताबें जो उसने लिखी
उन युद्धों पर जो उसने देखे।

क्यों ऋतुएँ जो नियमितता से पालन करती हैं
अपने निर्धारित समय का,
अपनी ऊर्जा से हमें वंचित रखती हैं?

क्यों सर्दी का पीछा करते हैं—
सर्दी के कुछ और दिन?

हम उस टिमटिमाहट का संचार करने आए हैं
जिससे हमारा आना हुआ; उसे नाम देने
हम एक स्थायी यात्रा का संबोधन करते है,
वह जो बन चुका
उसका बनना…

XLIV अरब के महाप्रलय से

तुम कहाँ चाहते हो कि भूत रहें?

हमारे सजग समय में दु:स्वप्न का निर्माण करते फूल हैं
हमने मौन के महाद्वीप जलाए, राष्ट्रों का भविष्य
लड़ाकों की साँसे गाढ़ी होकर बैलनुमा हो गईं

उन साँसों में ही जलते मांस की चिंगारियाँ हैं
और तारों की मूर्च्छा भी

हम गिलगमेश को एक टैंक पर सूली पर चढ़ा देते हैं,
वाइकिंग-II मंगल पर पहुँच जाता है
इमाम अली परमाणु विस्फोट पर नाचता है
वे बादल शापित हैं जो पानी से झिझकते हैं
वे अरब शापित हैं
जो लंबे मरियल यूकेलिप्टस के पेड़ से गिरते हैं

XXXIX अरब के महाप्रलय से

जब जीवित मृत देह पर सड़ते हैं
जब लड़ाकों के दाँत चाक़ू बन जाते हैं
जब शब्द अपने अर्थ खोकर ‘आर्सेनिक’ बन जाते हैं
जब आक्रामक के नाख़ून पंजे बन जाते हैं
जब पुराने मित्र हत्याकांड में शामिल होने की जल्दबाज़ी करते हैं
जब विजेता की आँखें ज़िंदा सीपियाँ बन जाती हैं
जब पुरोहित हथौड़े उठाकर सूली पर चढ़ाने लग जाते हैं
जब अधिकारी दुश्मनों के लिए दरवाज़ा खोल देते हैं
जब पहाड़ी लोगों के पाँव हाथीनुमा हो जाते हैं
जब केवल क़ब्रगाहों पर उगते हैं गुलाब
जब वह मरने से पहले ही फ़िलिस्तीनी का कलेजा खा लेते हैं
जब सूरज का मक़सद केवल कफ़न हो जाना होता है

मानुष-धारा बढ़ जाती है

यह अधूरा कारोबार

यह अधूरा कारोबार—मेरे
बचपन का
यह मरक़त झील
मेरी यात्रा के दूसरे छोर से
स्वर्ग के पदानुक्रम पर मंडराती है

एक ताड़-वन
रातोंरात गिर गया एक
अनचाहे बाग़ के लिए जगह बनाने को
तब से
बुख़ार और सूजन
मुझे एक नदी में तब्दील कर देते हैं

दुरारोह थीं गलियाँ
हवा जहाज़ों से आगे भागती…

निस्संदेह चिड़ियों की मृत्यु थी
चंद्रमा गुज़र चुका था

उसकी मौत की अगली सुबह
उसके कड़वे अंत से परे उसका पीछा करते
उसकी माँ उसकी क़ब्र तक
आ पहुँची :
उसने उसकी हड्डियाँ क्रम से अलग कर
कीचड़ में फेंक दीं :
औरतें रात को आईं
और घोषणा की कि रैम्बो उनका अपना है।

उस रात ग़ज़ब गर्जनाएँ थीं
यह अद्भुत था

लौरेल और लाइलक
मेरे माथे के चारों ओर पुष्पित होते हैं
क्योंकि मैंने सूर्य का सामना किया था

देखो, कोलराडो नदी
फूल से लदे किनारों के बीच बहती है
मैं अपनी यात्राएँ दुहराती हूँ
उस संपन्नता को ढूँढ़ने जो
तुम्हारी अनुपस्थिति को जीत गई
तुम्हें और प्रेम न करके ख़ुश थी मैं
जब तक कि सूर्यास्त पूर्व तक नहीं पहुँचा
और मेरे राफ़्ट के टुकड़े कर दिए
वहाँ और भी नदियाँ भूमिगत थीं—
मृत फूलों से सजी हुईं
ठंड थी, ठंड,
हाँ ठंड थी—

पीड़ा और मशीनगन की आग के संयोग तले
फूल ग़ायब हो गए
वे उसी असत् स्थिति में हैं
जिसमें एमिली डिकिन्सन

हम मृत
संवाद करते हैं
हमारे बग़ीचों में
हमारे अस्तित्व के
अभाव के बारे में।

माली नीले और सफ़ेद फूल लगा रहा है
ठंड से बचने के लिए
कोई एंजल मेरे साथ आकर बस गई है
धरती पर तापमान बढ़ रहा है
लेकिन हम अपने ऊपर कोई अचल पाला पहने बैठे हैं
हर कोई अपना मरण ऐसे ढो रहा है
मानो कोई बढ़ती प्रेत-छाया

मैंने सुबह का अख़बार
कॉफ़ी-मग के बग़ल में छोड़ दिया
तापमान कुछ 85°F था साल जैसा और
मैं खिड़की तक गई और पता चला
फूल रात भर में खिल आए थे
युद्ध में गिराई गई लाशों की जगह लेने के लिए

दुश्मन अंगारे और छल-बल लिए चले आए थे—
योह्मोर के बाग़ में मृतकों के नाम नेस्तनाबूद करने के लिए

ऐसा इसीलिए बिल्कुल नहीं है कि
वसंत अतिसुंदर है
कि हम अँधेरों में जो होता है
वह लिखेंगे नहीं

एक तितली मरने के लिए
पहाड़ के पाँव पर
दो पत्थरों के बीच आ गई
उस पर
पहाड़ ने अपनी छाया गिरा दी
ढक लेने के लिए
रहस्य मौत का।


एतेल अदनान (जन्म : 1925) कवि, लेखक और चित्रकार हैं। उनका जन्म बेरूत, लेबनान में हुआ। एक ग्रीक-ईसाई माँ और सीरियाई मुसलमान पिता के घर जन्मीं एतेल ने बचपन से ही ग्रीक और अरबी में बोलना सीखा। पाँच साल की उम्र में स्कूली शिक्षा की शुरुआत के साथ फ़्रेंच उनकी प्राथमिक भाषा हो गई। उन्होंने सेन रफ़ेल डोमिनिकन कॉलेज में 1958 से 1972 तक दर्शन पढ़ाया, जहाँ अल्जीरियाई स्वाधीनता संग्राम से जुड़ाव होने के बाद उन्होंने फ़्रेंच साहित्य के राजनीतिक निहितार्थ का विरोध किया। इस विरोध को संबोधित कर सकने के लिए उन्होंने अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों की दिशा को विजुअल आर्ट और ऑयल पेंटिंग की तरफ़ मोड़ दिया, किंतु वियतनाम युद्ध के बाद उन्होंने दुबारा कविताएँ लिखना प्रारंभ कर दिया—इस बार फ़्रेंच की जगह अँग्रेज़ी में। वह एक नए फ़्रेंच अख़बार अल-सफ़ा की सांस्कृतिक संपादक बनने के बाद दुबारा लेबनान लौटीं। लेबनानी सिविल वार के बाद अदनान पेरिस जाकर बस गईं, जहाँ उन्होंने ‘सित्त्त मरी रोज़’ (1977) उपन्यास लिखा, जिसे फ़्रांस-पेज-अरब्स अवार्ड मिला। मौलिक रूप से फ़्रेंच में लिखा गया और विश्व की कई भाषाओं में अनूदित यह उपन्यास जेंडर और राजनीति के पारस्परिक संबंध के बारे में है। 1979 में एतेल अदनान कैलिफ़ोर्निया आ गईं। उनकी कविताएँ अतियथार्थवादी कल्पनाओं और शक्तिशाली मेटाफ़ोर्स का समावेश करती हैं और भाषाओं के अंतर्गत औपचारिक प्रयोगों से एक लीप लेती हुई प्रकट होती हैं। अप्रत्याशित और प्रयोगशील तकनीकों से निर्वासन और राजनैतिक, सामाजिक और जेंडर आधारित अन्यायों को संबोधित करती हैं। वह सौसालितो और पेरिस में अपनी पार्टनर, कलाकार और लेखक सिमोन फ़तल के साथ रहती हैं। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के क्वियर अंक में पूर्व-प्रकाशित। प्रत्यूष पुष्कर से परिचय के लिए यहाँ देखें : वयस्क मुझसे सलाह माँगते थे और औरतें आकाशवाणी

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