मिकोआई रेय की कविताएँ ::
अनुवाद : सरिता शर्मा

मिकोआई रेय (1505-1569) | तस्वीर सौजन्य : wikipedia

तीन व्यक्तियों—ज़मींदार, ग्राम-प्रधान और पादरी—के बीच संक्षिप्त संवाद

ज़मींदार

मेरे प्रिय ग्राम-प्रधान, क्या चल रहा है!
क्या यह पादरी हम पर तिरस्कार से हँसता है?
वह ज़्यादा गाता नहीं है, लेकिन उसे घंटी बजाना पसंद है,
उसने अपना अंतिम प्रवचन बहुत पहले दे दिया था,
जहाँ तक शाम को गिरजाघर में हमारी उपासना की बात है,
हर कोई अपने से मतलब रखता है :
कोई चिल्लाएगा, कोई गाएगा;
फिर भी शायद ही कोई और कभी आता हो।
प्रार्थना-पुस्तक से पाठ आप कभी नहीं सुनेंगे :
बहुत संभव है वह कहीं आस-पास सोया हुआ हो;
कभी-कभी पादरी के गाने के वक़्त उल्लू ज़ोर-ज़ोर से गाता है;
क्योंकि पादरी का सिर भारी है।
फिर भी जब पादरी प्रचार करते हैं वे डाँटते हैं,
हालाँकि वे बहुत कम पढ़ाते हैं।
भगवान ही जानता है कि चीज़ें कैसे चल रही हैं,
हम स्वर्ग के द्वार पर कैसे पहुँचेंगे :
मुझे आशा है कि हममें से कोई भी नहीं रहेगा
नर्क में पादरी के साथ!

ग्राम-प्रधान

प्रिय महोदय, हम सीधे-सादे आम जन हैं,
हम बेचारे, कभी भी क्या जान सकते हैं?
हम मानते हैं कि उससे पूर्ण उद्धार हो जाता है,
जो वह हमें अपने उपदेशों में बताते हैं :
अगर मैं उन्हें अच्छे भजन के लिए
सिर्फ दशमांश दान देता हूँ,
तो मैं पापी आदमी, फिर भी जीवित रहूँगा,
मैं पैरों और पूरे शरीर के साथ स्वर्ग पहुँचूँगा।
या अगर वह रात के खाने के समय आते हैं
और उन्हें मेज़ पर रोटी मिल जाती है,
वह इसे जल्दी से साफ़ करेंगे,
और मुझे चुटकी भर नमक देंगे,
मानो मुझे दौरा पड़ गया हो!
उन्हें लगता है कि मुझे खाने की ज़रूरत नहीं है।
तब वह मुझ पर जल छिड़केंगे,
इसलिए मैं भगवान के साथ चलता हूँ।
हालाँकि, वास्तव में बदतर क्या है,
बेचारे ग्राम-प्रधान, तुम्हें अपने पर्स का इस्तेमाल करना चाहिए!
और फिर भी इससे पहले कि वह अपना हाथ उठाएँ,
ऐसा लगता है कि वह अनुदान देखना चाहेंगे।
मुझे विश्वास है कि जब मैं पूरे बक़ाया को चुका दूँगा,
मुझे भी संतों के बीच में स्थान मिल जाएगा।

पादरी

क्या यह ग्राम-प्रधान ज़ोर से चिल्ला रहा है?
हम उसके मुँह को किस चीज़ से बंद कर सकते थे?
अगर हमारे पास बढ़िया बीयर का जग होता,
हम बुद्धिमान मिस्त्री को चुप करा सकते थे।
अवश्य ही तीसरी शराब के बाद
वह मोक्ष पर ज़ोर नहीं देगा।
क्या पुजारी आपके कार्यों में बाधा डालता है,
जब वह आपको सही दिशा दिखाता है?
प्रभु ने हमें ये सबक़ सिखाए हैं :
आप सीखना चाहते हैं,
दूसरों को सिखाना चाहते हैं।
ये सबसे प्रमुख नसीहतें हैं
प्रभु के बारे में, इस तरह की हरकतें।
आपने पूरी दुनिया में ढिंढोरा पीट दिया है,
कि इस दशमांश का एक हिस्सा आपने साझा किया।
आपने भगवान के बारे में सुना होगा,
कि जब वह यहाँ, इस दुनिया में थे,
सभी आज्ञाओं की पुष्टि करने के बाद,
उन्होंने लोगों की भलाई के लिए,
पादरियों को बुलाकर
उनके माध्यम से सभी को भगवान के बारे में
घोषणा करने के लिए कहा।
और हम, धार्मिक लोग,
आपके प्रतिनिधियों के रूप में कार्य करते जा रहे हैं।
भगवान ने आपको पादरी की मदद करने का कर्त्तव्य दिया,
आपको ग़रीब बनाए बिना,
हालाँकि उनकी भरपूर भलाई से
आपका हाथ शायद ही कभी उदार हो,
और आप हमें धन प्रदान करते हैं,
जो उनकी कृपा से मिला था।
जरा ध्यान दीजिए, मेरे प्यारे भाई,
कार्यकर्ता के रूप में पुजारी क्या करता है:
उसे सब कुछ त्यागना पड़ता है,
आपकी भलाई का ख़याल रखने के लिए,
और बस आपका उद्धार करने के लिए,
संपत्ति को त्याग दिया।
आप निश्चित रूप से जानते हैं कि हर शिल्पकार को
हमेशा भुगतान की आवश्यकता होती है।
और यह एक पवित्र ख़र्च है,
जो तब उदार वेतन लाता है।
नरमी से बात करो, आपने मेरा अपमान किया,
आप भागने की कोशिश करते हैं,
लेकिन तैयार नहीं हैं।
सावधान रहें कि कहीं अपनी राह भटक न जाएँ,
आज आपका शासन करने का दिन नहीं है।

ज़मींदार

प्रिय पादरी, ऐसा करना अच्छा होगा,
लेकिन ऐसा लगता है कि आपने यह सब ग़लत पढ़ लिया;
आप बहुत हठपूर्वक चल रहे हैं,
और अपने आपको भगवान का प्रतिनिधि कहते हैं।
यह सच है, आप भगवान के चरवाहे हैं,
कुछ मामले में उनके सचिव हैं,
लेकिन कभी-कभी,
जब आप इस झुंड के ठीक पीछे चल रहे होते हैं
तो आप भेड़ों का पीछा करते हैं।
भले ही झुंड बहुत बड़ा न हो,
जब आप ऊन पर अपना हाथ रखते हैं,
सच में, आजकल इन सब भेड़ों को
कोई भी आसानी से मूड़ सकता है।
आजकल, सच में, सीधे लोग
बेकार का ख़तरा मोल लेते हैं,

उन्होंने सचमुच ख़ुद को मूर्ख बनाया,
इस बात में अपनी पूरी आस्था रखकर,
कि अगर पुजारी दिशा नहीं देगा,
तो कोई भी मोक्ष नहीं दिलाएगा।

जब लोग चर्च के मेले में आते हैं,
सब झाड़ियों की बाड़ें वहाँ रौंद दी जाती हैं।
चर्च में पादरी गरजता और चीख़ता है
क़ब्रिस्तान के मैदान में शराब का पीपा चरमरा रहा है,
कोई टोकरी हिला रहा है,
दूसरा ढोल और मुरली तैयार कर रहा है।
एक और है, जिसकी गर्दन बाहर निकली हुई है,
‘‘गायक, आपकी सेहत के लिए!’’
ज़ोर से कहते हुए सुना जाता है।
मुर्ग़ियाँ ज़ोर से कुड़कुड़ाती हैं,
सूअर घुरघुराते हैं,
लोग वेदी पर रखे अंडे गिनते हैं।
हमने निश्चय ही भोग प्राप्त कर लिया है,
क्योंकि हमने श्रद्धा के साथ गाया था!
राजा डेविड ने वैसा नहीं किया था,
जब उसने वीणा बजाते हुए परमेश्वर के नाम की स्तुति की थी।
इसलिए वे गहरे विश्वास के साथ चले जाते हैं
कि वे इस दान से जीत गए।
वे मिलकर इनाम भी लेते हैं :
उनमें से हर एक का कंठ भरा हुआ है;
इस मुआवज़े से शायद उनका
रात के भाषण तक काम चलेगा।
एक आदमी शाम को उपासना के समय तक
अपनी गर्दन को झुकाकर ज़मीन को एक रेखा में जोतता है।
उसे सिर के बल बाड़ तक ले जाया गया;
उसने अपने भोग को पचाया नहीं,
क्योंकि उसने इसे ग्रहण नहीं किया था,
दूसरा भागकर बच निकला।
और इसलिए आज ये आम लोग
बहुत सारी ग़लतियाँ करने का साहस करेंगे,
जब वे पादरी से सहमत होते हैं
वे प्रभु के बेटे की बहुत कम परवाह करते हैं,
वह क्रोधित नहीं होगा—
और भगवान चुप रहेगा।

गणतंत्र
शिकायत करते हुए

मैं दूर से ही देख रहा हूँ,
अगर एक आदमी का अस्तित्व है,
कौन मुझे प्यार से देखेगा,
क्योंकि मेरे देश का विनाश निकट है।


यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के पोलिश कविता अंक में पूर्व-प्रकाशित। सरिता शर्मा से परिचय के लिए यहाँ देखें : गहरी नदियाँ शांत बहती हैं

प्रतिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *