तरुणा खत्री की रेखाकृतियाँ और कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : लता खत्री
![Taruna Khatri' art work](https://sadaneera.com/wp-content/uploads/One-day-300x260.jpg)
नार्सिसस
डोलना—जानने और न जानने के बीच,
संतुष्ट होना और न होना
एक कविता लिखने पर।
पर्याप्त है आज रात के लिए।
क्या पर्याप्त है रात के लिए?
तो विचारों को जाने दिया जाए।
मैं नहीं जानती ये आत्मजागृति है
जिसके कारण मुझे तसल्ली है,
या मैं उतर रही हूँ,
अधूरा प्रयास करने वालों की भीड़ में।
प्रार्थना करती हूँ दूसरा कारण न हो,
मगर जानती हूँ यह पहला ही है।
स्वयं से प्रेम करना नहीं आना चाहिए,
अनावश्यक घृणा की क़ीमत पर,
नहीं आना चाहिए
ऐसे कर्त्तव्य के साथ
जो ज़्यादा सच्चा दिखने के लिए,
कभी-कभी प्रेम न करने के लिए बाँधे,
कि कहीं में एक और ‘नारसिसस’-सी न लगूँ।
भाड़ में जाए नीति-कथाएँ
यह मेरी नदी है,
जो दिखलाती है,
उसी में मैं आनंदित होती हूँ—
एक नर्म-मुलायम प्रेम से।
![Reading by Taruna Khatri art work](https://sadaneera.com/wp-content/uploads/Reading-1-300x198.jpg)
अचार
हथेलियों का लाल रंग
फैला दिया एक ब्रेड पर—
अचार के रूप में,
और खा गई अपना ग़ुस्सा।
निगल लिया उसे भी
गले में उठते हुए दर्द के साथ।
![Octopus's Garden by Taruna Khatri art work](https://sadaneera.com/wp-content/uploads/Octopuss-Garden-300x192.jpg)
प्रायश्चित
मैंने अपने विचारों को प्रतीक्षा करवाई,
एक पंक्ति में,
साधारण, सांसारिक चीज़ों के पीछे।
अब वे मुझे सम्मोहित कर रहे हैं,
इस गुप्त रूप से माफ़ी माँगने के लिए।
लिख रही हूँ एक क्षतिपूर्ति उनके बदल में,
अनुमान है : माफ़ कर दी गई हूँ।
तरुणा खत्री कविता और कला के संसार से संबद्ध हैं। वह आर्किटेक्चर की छात्रा हैं। हिंदी में उनके प्रकाशन का यह प्राथमिक अवसर है। उनसे taruna4197@gmail.com पर बात की जा सकती है। लता खत्री हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। वह जोधपुर में रहती हैं। उनसे khatrilata1970@gmail.com पर बात की जा सकती है।