इडिथ सदरग्रान की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रचण्ड प्रवीर

इडिथ सदरग्रान

दिन ठंडा होने लगता है साँझ के वक़्त

एक

दिन ठंडा होने लगता है साँझ के वक़्त
मेरे हाथ की गर्माहट को सोख लो
मेरे हाथ में बहारों का गर्म ख़ून है।
मेरा हाथ थामो, मेरी सफ़ेद बाँह लो
साथ ही मेरे कंधों की बेक़रारी…
कितना अच्छा लगता है,
एक अकेली रात, रात आज जैसी
तुम्हारा भारी सिर मेरे सीने पर।

दो

तुमने अपने प्यार का लाल गुलाब फेंका
मेरी सफ़ेद गोद में—
अपने दहकते हाथों में मैं मसलती हूँ
तुम्हारे प्यार का लाल गुलाब जो जल्द कुम्हला जाएगा
ओ बेरहम बादशाह,
मैं तुम्हारा ताज क़ुबूल करती हूँ जो तुम मुझे देते हो
जो मेरा सिर मेरे दिल की तरफ़ मोड़ देता है…

तीन

मैंने अपने मालिक को आज पहली बार देखा
काँपते हुए मैंने उनको झट पहचाना
अब मैं उनका भारी हाथ महसूस करने लगी हूँ
अपनी नाज़ुक बाँह पर…
कहाँ हैं मेरी कुमारियों वाली खिलखिलाहट,
ऊँची भौंहों से सजी मेरी नाज़नीं-आज़ादी?
अब मैं उसकी मज़बूत गिरफ़्त महसूस करने लगी हूँ
अपने काँपते बदन के चारों ओर
अब मैं हक़ीक़त की कर्कश आवाज़ सुनती हूँ
अपने नाज़ुक, नाज़ुक ख़्वाबों के ख़िलाफ़।

चार

तुमने एक फूल चाहा
और तुम्हें एक फल मिला
तुमने एक झरना चाहा
और तुम्हें एक सागर मिला
तुमने एक औरत चाही
और तुम्हें एक रूह मिली—
तुम मायूस हुए!

इडिथ सदरग्रान (1892-1923) का जन्म सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में हुआ। उन्होंने स्वीडिश भाषा में कविताएँ लिखीं और महज़ 31 वर्ष की उम्र में हुई अपनी मृत्यु से पूर्व अपने पाँच कविता-संग्रह प्रकाशित करवाए। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए scandipoetry.com से चुनी गई हैं। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 23वें अंक में पूर्व-प्रकाशित है। प्रचण्ड प्रवीर कथा और दर्शन के इलाक़े में सक्रिय हैं। उनसे और परिचय तथा ‘सदानीरा’ पर इस प्रस्तुति से पूर्व प्रकाशित उनके काम-काज के लिए यहाँ देखें : भिन्नकहीं ऐसी बातें भी की जाती हैंएक पत्थर किसी का नहीं होताउस दिन के लिए जो कभी नहीं आताशिशु की ख़ुशीअगर तुम कभी मेरी आत्मा का सौदा करने लगो

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