शीह पी-शु की कविताएँ ::
अनुवाद : देवेश पथ सारिया
धमाका
ज़मीन के नीचे छुपी हुई गैस
जंग द्वारा दमन का सामना नहीं कर पाई
वह चाहती थी बाहर आना
लेकिन कोई रास्ता न था
वह ज़मीन के नीचे थी
वह किसी को दिखाई न दी
सतह की हलचल में खो गई
इस तरह हुआ
धमाका धमाका धमाका
धमाका हमारी समस्याओं में
धमाका हमारे सत्यों में
धमाका हमारे आलस में
धमाका मनुष्यों के जीवन में
धमाके में तहस-नहस हो गए घर
हमारी निस्पृहता में धमाका
लपटें आकाश के अंधकार में
छेद किए डालती हैं।
दुपहर
एक
मेरी माँ, जो अपनी याददाश्त खो रही है
हर दुपहर, सड़क की ओर मुँह कर बैठ जाती है
और आती-जाती कारों को टकटकी लगाकर देखती है
वह ढूँढ़ती है
और सँभालकर रख लेना चाहती है
अपना अतीत।
दो
माँ बड़बड़ाती रहती है
भाई की पतलून पर
कमज़ोर पड़ गई सिलाई के बारे में
और आख़िरकार सुई-धागा ले लेती है
बड़ी कर्मठता से
हर टाँके के साथ
वह सी देना चाहती है
अपनी बची हुई याद।
ताइवान के सीका हिरण का विलाप
फ़ॉरमोसा की इस सुंदर धरती पर
कभी हम वन में सानंद विचरण करते थे
हम मनुष्य से ज़्यादा क़रीब थे इस द्वीप के
क्या ख़ूबसूरती के एवज़ में दुःख मिलना चाहिए?
क्या दुर्लभ को शिकार बनाया जाना चाहिए?
क्या विलुप्त हो जाना ही हमारा भाग्य है?
मनुष्य का लालच
मनुष्य की ख़ूँख़ार प्रवृत्ति
हमारे शाखादार सींगों को पहन
शहर के जंगल में अकड़कर चलने की लालसा
फिर भी मनुष्य नाक़ाबिल
अंदरूनी बदसूरती छुपाने में
हमें नहीं किया जा सकता
प्रत्यारोपित या प्रतिस्थापित
एक दिन हम रह जाएँगे
केवल फ़्रेम किए गए
पर्वतों और वनों के दृश्यों में क़ैद।
स्टेशन
कुछ लोग अलविदा कहते हैं
कुछ लोग फिर आ मिलते हैं
जीवन के स्टेशन पर
तुम आते हो और मैं जाती हूँ
आओ, पीछे छोड़ देते हैं
कौतुक और उदासी
चमकीले संतरी और उदास नीले-बैंगनी
रंगों से बनाते हैं
एक डगर
दुखांत-सुंदर।
गुलदान के फूल का आक्रोश
मुझे डाल से तोड़ा गया
और प्राकृतिक समायोजन का उल्लंघन कर
मनचाहे तरीक़े से मोड़ा गया
मैं कैसे जीवित रह सकता हूँ
गुलदान के थोड़े से पानी पर
बिना मिट्टी के
बिना ज़रा-सी भी धूप के
मुझे कचरे में मत फेंको
बचे हुए कुछ घंटों में
मैं चाहता हूँ
धूप का आनंद लेना
और फिर मिट्टी में मिल जाना।
शीह पी-शु का जन्म साल 1953 में ताइवान में हुआ। 2006 में बैंक से रिटायर्ड शीह दक्षिणी ताइवान के काओशोंग शहर में रहती हैं और सामाजिक सेवा में संलग्न हैं। वह ताइवान मॉडर्न पोएट्री एसोसिएशन और ‘ली पोएट्री’ पत्रिका के सदस्यों में से है। देवेश पथ सारिया हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : देवेश पथ सारिया