हुआन रामोन हिमेनेज़ के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद : अपूर्वानंद

andalusian poet juan ramón jiménez photo
हुआन रामोन हिमेनेज़

सच्चे लेखक का सिद्धांत : अच्छा काम, अच्छी कविता की तरह संक्रामक होता है। इसका आरंभ एक ख़ामोश कमरे में होता है। फिर यह लहर की तरह समाज में फैलता है और सामाजिक जीवन को बदल डालता है। एक व्यक्ति की पूर्णता की पिपासा से गहरा सामाजिक बदलाव जन्म ले सकता है।

एकांत में आपको वही मिलता है जो आप उस तक ले जाते हैं।

हम अपने देश का ‘पुनर्निर्माण’ बिना उसकी भाषा के पुनर्निर्माण के नहीं कर सकते। लोगों के बात करने का लहजा बदलिए और देखिए कि आपने उनके व्यवहार को बदल दिया है।

कवि इस संसार के अघोषित विधिनिर्माता होते हैं।

एकदम सही-सही बोलिए और तब आप कम बोलेंगे, शायद बिल्कुल नहीं—‘‘बोलने से बेहतर है, ख़ामोश रहना।’’

बोलने से बेहतर चुप रहना, चुप रहने से बेहतर स्वप्न देखना, स्वप्न देखने और सोचने से बेहतर है पढ़ना। जब हम पढ़ते हैं, चुप्पी स्वतः शांत हो जाती है, और हम किसी के संग सोच या स्वप्न देख सकते हैं।

कविता लिखना एक अलिखित काव्य की तैयारी करना है।

प्राय: लोगों के लिए समय एक किराये का घर है।

बढ़िया काम करने के लिए अनिवार्य है कि हम नॉस्टेल्जिया को पराजित करें—समय में कहीं और रहने की अस्पष्ट इच्छा को परास्त करें और वर्तमान को पकड़ कर रखें, और वर्तमान का पकड़ में आना मुश्किल है। जब हम उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाते हैं, हमारी समस्याएँ हमें कहीं और अतीत में या भविष्य में खींच ले जाती हैं। काम क्षणों को परिपक्व करने का एक तरीक़ा है—उन्हें गुरुता प्रदान करने का एक ढंग। काम के ज़रिए हम वर्तमान को टिकाऊपन की दावत देते हैं। अपने काम के ज़रिए वर्तमान को ग्रहण करो और फिर देखो, तुम्हारा काम हमेशा वर्तमान रहेगा।

कोई भी गहरा सत्य कभी भी चिल्लाकर नहीं बताया गया।

कला के मामलों में धीमे से बढ़ो : प्रत्येक क्षण को वह देने दो जो उसे देना है। वक़्त के आगे भागने की कोशिश न करो।

जब आपको जल्दबाज़ी लगे, और अधिक धीमे चलिए।

काम करने का अर्थ हड़बड़ी में ढेर सारा कुछ करना, या इससे भी अधिक, कई बार करना नहीं : इसका अर्थ है अद्वितीय, अत्यंत पूर्णता लिए हुए चीज़ों का सृजन करना।

चीज़ों को ख़राब ढंग से करने से आपको यह हक़ नहीं मिल जाता कि आप उस व्यक्ति से जल्दबाज़ी की माँग करें जो अधिक बढ़िया तरीक़े से काम करता है।

चीज़ों पर हम दबाव न डालें, हर चीज़ को अपने मुक़र्रर वक़्त पर आने दें, अपने निराले तरीक़े से, अपनी लयों को हमारी लयों में विलीन करते हुए।

अगर आप किसी और चीज़ के लिए एक को छोड़ते हैं, तो लय बदलिए… और उन तूफ़ानी लयों से सचेत रहिए जो हमें खींचकर नीचे घसीटे लिए जाती हैं।

कार्य का, जीवन की तरह ही, उत्तरोत्तर समाधान होता है।

‘खोए हुए’ दिन, कितने आविष्कारों से भरे हुए हैं।

हमें ‘इस बीच में’ की अद्भुत लय को पकड़ना सीखना चाहिए।

अपनी जीवन-तुला के पलड़ों पर विस्मरण को भी उतना ही वज़न दीजिए जितना स्मरण को। पलड़ों के संतुलन-बिंदु के प्रति सचेत रहिए।

हम हमेशा ही चिंतित रहते हैं, बदहवासी की हद तक, कि हम कुछ याद कर पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे। लेकिन हम याद रख पाते हैं या नहीं—इस बात का कोई मतलब नहीं। जो कुछ भी हमें याद है, हम भूल जाएँगे और वह भी जो हमें याद नहीं।

भूलना प्राय: प्राकृतिक है, याद रखना प्राय: कृत्रिम।

भूलना पुनर्जन्म की तरह है।

आइए, विस्मरण का सम्मान करें, विस्मरण की विलक्षणताएँ—जो हमें चिंतन की अनुमति देती हैं, हर दूसरी चीज़ से अलग, वर्तमान की अद्वितीयता।

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हुआन रामोन हिमेनेज़ (23 दिसंबर 1881-29 मई 1958) अंदलूसियन कवि हैं। वह साहित्य के लिए 1956 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हैं। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी कवि पंकज सिंह द्वारा संपादित पत्रिका ‘सोच’ के एक और एकमात्र अंक (वर्ष : 2003) से चुने गए हैं। अपूर्वानंद सुपरिचित हिंदी आलोचक-विचारक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं।

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