कुछ लांदेज ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद और प्रस्तुति : नीता पोरवाल
लांदेज (landays) पारंपरिक काव्य-रूप है जो दोहे की तरह दो पंक्तियों के होते हैं। ये अफ़ग़ानिस्तान में पश्तून स्त्रियों के द्वारा गाए जाते हैं। ये मुँहज़ुबानी बोले जाने वाले दोहे उनके जीवन के झंझावातों और ऊहापोह की ओर साफ़ इशारा करते हैं। इन दोहों में अमूमन बाईस अक्षर होते हैं। नौ पहली पंक्ति में और तेरह दूसरी में। दोहा मा या ना की आवाज़ पर ख़त्म होता है। कभी-कभी वे तुकांत भी होते हैं। ये दोहे अपनी ख़ूबसूरती, अश्लीललता और बेहतर समझ के लिए ही नहीं, बल्कि युद्ध, विछोह, दुःख, बंदिशों, वतन या मुहब्बत को लेकर अपने तीक्ष्ण और भेदी कहन के लिए जाने जाते हैं। अगर इन दोहों के बारे में एक वाक्य में कहा जाए तो ये छोटे पर विषधर की तरह ज़हरीले होते हैं। कई दोहे बिस्तर और युद्ध में पुरुषों की कायरता को लेकर उन्हें चिढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। सामूहिक और गुमनाम ये दोहे हज़ारों साल पहले संभवतः आर्यन ख़ानाबदोशों द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में लाए गए थे। यहाँ प्रस्तुत अनुवाद अरबी से मार्जोलिजन दे जगर कृत के अँग्रेज़ी अनुवाद (afghanmagazine.com) पर आधृत है।
— नीता पोरवाल
लांदेज (landays)
जब बहनें साथ बैठती हैं, तो हमेशा अपने भाइयों की तारीफ़ करती हैं
पर जब भाई साथ बैठते हैं, तो अपनी बहनों को दूसरों को बेच देते हैं
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पिता, मैं तो तुम्हारी अपनी बेटी थी,
तुमने मुझे एक बूढ़े आदमी को बेच दिया, अल्लाह करे, तुम्हारा घर तबाह हो जाए
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जंग हो अगर, तो हमारे दो भाई होने चाहिए
एक शहीद होने के लिए, दूसरा कफ़न डालने के लिए
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माँ, जेलख़ानेनुमा घर की खिड़की पर आओ
इससे पहले कि मैं फाँसी पर चढ़ूँ, मुझसे बात करो
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तुम बारूद से काले हो या ख़ून से लाल,
पर मेरा बिस्तर दाग़दार करने के लिए घर बिल्कुल मत आना
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एक जाँबाज़ योद्धा के अलावा तुम और कुछ हो भी नहीं सकते
क्या तुम वही हो जिसने पश्तून माँ का दूध पिया है?
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अगर मेरे माशूक़ ने अपने वतन के लिए जान क़ुर्बान कर दी
तो मैं अपनी लटों से उसका कफ़न सिलूँगी
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तुम अपनी उम्र छिपाने के लिए अपने गंजे सिर के चारों ओर पगड़ी लपेटते हो,
पर क्यों, तुम ज़िंदा ही कब थे?
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मेरे अल्लाह, तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?
और लोग तो कैसे खुलकर घूम रहे हैं और मैं कली की तरह बंद बैठी हूँ?
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विधवाएँ पीर की मज़ार पर मिठाई ले जाती हैं,
पर मैं अल्लाह के लिए पॉपकॉर्न ले जाऊँगी और अपनी मौत की दुआ माँगूँगी
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मेरा शरीर मेरा है,
पर इस पर हक़ दूसरों का होता है
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अल्लाह तुम्हें नदी किनारे का फूल बना दे
जिससे मैं जब पानी भरने आऊँ तो तुम्हारी महक ले सकूँ
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मैं अपने माशूक़ के ख़ून से एक टैटू बनवाऊँगी
और हरे-भरे बग़ीचे के हर गुलाब को शर्मसार कर दूँगी।
नीता पोरवाल सुपरिचित और सम्मानित अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : अफ़ग़ानी कविता संसार