पाब्लो नेरूदा की कविता ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आशुतोष दुबे

पाब्लो नेरूदा की यहाँ प्रस्तुत कविता (Ode to Conger Chowder) निकानोर पार्रा के उनके सम्मान में दिए गए स्वागत भाषण में से लेकर अनूदित की गई है। इस भाषण में उनकी और भी, प्रायः लंबी कविताएँ पार्रा ने शामिल की हैं। एक अरसा पहले यह भाषण ‘आलोचना’ में छपा था।

— आशुतोष दुबे

पाब्लो नेरूदा

कांगर शोरबे का गीत

चीले के
अशांत समुद्र में
रहती है गुलाबी कांगर ईल
सफ़ेद माँस वाली
विशाल मछली
और चीले के मर्तबानों में
तट पर पैदा हुआ शोरबा
प्रचुर, रसेदार और फ़ायदेमंद
ले जाइए रसोईघर में
यह छिली हुई कांगर ईल
इसकी चमकदार त्वचा
निकल आती है दस्ताने की तरह
और झलक उठते हैं समुद्र के अंगूर
चमकती है नर्म कांगर ईल
नग्न
तैयार हमारी भूख के लिए
अब ले आइए
कुछ लहसुन
पहले सहलाइए
इस क़ीमती गजदंती आब को
सूँघिए
उसकी ग़ुस्सैल गंध
और तब मिलने दीजिए
कटी हुई लहसुन को
टमाटर और प्याज़ से
जब तक कि सुनहरा न हो जाए प्याज़
इस बीच पका लीजिए
शानदार झींगे
भाप में
और जब वे हो जाएँ तैयार
और उनकी गंध
हो जाए गाढ़ी सालन में
बना है जो समुद्र के रस
और साफ़ पानी से
जो देता है प्याज़ की रोशनी
तब
छोड़िए कांगर ईल को इसमें
और डूबने दीजिए सौंदर्य में
ताकि यह सिकुड़ जाए
और सराबोर हो जाए
तेल के मर्तबान में
अब हमें सिर्फ़ मिलाना है क्रीम को
इस अमृत में
जैसे एक भरा पूरा गुलाब
और धीरे से ले जाना है
इस ख़ज़ाने को आँच पर
जब तक कि यह शोरबा
चीले का यह सत्व
पक नहीं जाता और
धरती और समुद्र की ख़ुशबुओं का ये
ताज़ातरीन गठबंधन
चला नहीं जाता
खाने की मेज़ पर
ताकि पहचान सकें आप
इस तश्तरी में
स्वर्ग को।

आशुतोष दुबे हिंदी के सुपरिचित कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : आलोचना का अकाल

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