कवितावार में पॉल वेरलेन की कविता ::
फ़्रेंच से अनुवाद : मदन पाल सिंह
रोज़मर्रा के उबाऊ सरल कामों में लगा नम्र जीवन
रोज़मर्रा के उबाऊ सरल कामों में लगा नम्र जीवन
अपना स्वयं के चुनाव का कार्य है जिसे बहुत प्रेम चाहिए,
त्रस्त दिन के बाद ख़ुशमिज़ाज रहना,
मज़बूत होकर, विकट-छुद्र हालातों में भी रहना प्रफुल्लित,
न ध्यान दो और न सुनो बड़े शहरों के कोलाहल को
सिर्फ़ पुकार सुनो, हे मेरे प्रभु! मीनार से आती घंटी की आवाज़ों की
और इस शोर में स्वयं एक आवाज़ करना
बचकानी कोशिश के भ्रष्ट परितोष का परिणाम है,
पातकियों के घर में करना शयन करते हुए पश्चाताप!
केवल शांति चाह कर भी बात गढ़ते रहना
और धैर्य की विकट परीक्षा में बढ़ते जाना समय का छोर
जीवन की सरल बातों पर इतनी हाय-तौबा, तंगदिली और पश्चाताप!
और ये सारे सेवाभाव-परवाह
दरिद्र धर्म तथा छद्म नैतिकता की सेवा में तत्पर हैं!
मेरे इष्टदेव ने कहा—‘‘छी, अरे यह तो घमंड का तुच्छ व्यापार है!’’
पॉल वेरलेन (1844–1896) संसारप्रसिद्ध फ़्रेंच कवि हैं। यहाँ प्रस्तुत कविता ‘तुमने क्या किया, यहाँ अपने यौवन का’ (जीवनी और कविता : पॉल वेरलेन, लेखन एवं अनुवाद : मदन पाल सिंह, सेतु प्रकाशन, दिल्ली) से साभार है। मदन पाल सिंह भारत और फ़्रांस में शिक्षित हिंदी लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : रवानगी