ऐन सेक्सटन की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश‌ पथ सारिया

ऐन सेक्सटन │ तस्वीर सौजन्य : sites.utexas.edu

कवि ने कहा विश्लेषक से

लफ़्ज़ मेरा कारोबार हैं‌
लफ़्ज़ होते हैं‌ चिप्पियों की मानिंद
या फिर यूँ कहना बेहतर होगा
कि वे होते हैं मधुमक्खियों के झुंड की तरह
मैं मानती हूँ कि मुझे बुनियादी बातों ने तोड़ा है
जैसे कि लफ़्ज़ों को गिना जाए
अटारी पर मृत पड़ी मधुमक्खियों की तरह
उनकी पीली आँखों और सूखे पंखों को अलग कर दिया जाए
यह मुझे भूल जाना चाहिए हर दफ़ा
कि कैसे एक लफ़्ज़ का सिरा दूसरे से जुड़ता है
कैसे इस तरह दिशाएँ मिलती हैं
जब तक कि मैं ऐसी कोई चीज़ न हासिल कर लूँ
जिसे पाने का मैंने इरादा किया हो…
पर, अस्ल में ऐसा कुछ हुआ नहीं।

तुम्हारा काम मेरे लफ़्ज़ों पर नज़र रखना है
लेकिन मैं कुछ भी स्वीकार नहीं करने वाली
मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करती हूँ
मसलन, मैं तारीफ़ कर सकती हूँ
उस निकल मशीन की,
जिसमें से नेवाडा में एक रात
तीन घंटियों की टनटन के साथ
जादुई जैकपॉट निकला था
वह उस करामाती स्क्रीन पर प्रकट हुआ था

लेकिन अगर तुम इसे
बताते हो कुछ और
तो मैं कमज़ोर पड़ जाती हूँ
और याद करने लगती हूँ
कि पैसे की कल्पना करते हुए
किस तरह मेरे हाथों ने महसूस किया था—
मज़ेदार, अजीबोग़रीब और भरा-भरा सा।

अकेली हस्तमैथुनकर्ता का गाथागीत

प्रेम-प्रसंग के अंत में हर बार मौत होती है
वह (मेरा शरीर) मेरी कार्यशाला है
फिसलती हुई आँखें,
अपने क़बीले की हद से बाहर
मेरी साँसें तुम्हें गया हुआ पाती हैं
मुझे भय लगता है देहाकांक्षियों से
मैं त्रस्त हो जाती हूँ
रात को, अकेली, मैं बिस्तर से प्रणय रचाती हूँ

उँगली दर उँगली, अब वह (देह) मेरी है
वह बहुत दूर नहीं है
वह छुअन की दूरी पर है
मैं उसे एक घंटी की तरह बजाती हूँ
उस कुंज में जहाँ तुम उस (देह) पर सवार होते थे
मैं झुक जाती हूँ
तुमने मुझे उधार माँगा था फूलों की सेज पर
रात में अकेली मैं बिस्तर से प्रणय रचाती हूँ

मेरे प्रेमी, इस रात को ही लो
जब हर प्रेमी जोड़ा साथ है
एक-दूसरे के ऊपर पड़े हुए वे,
पलटते हुए ऊपर और नीचे
स्पंज और पंखों पर उपस्थित भरपूर
घुटनों के बल झुकते और धक्का देते
सिर से सिर जोड़ते वे
रात में अकेली मैं बिस्तर से प्रणय रचाती हूँ

मैं अपने शरीर से इस तरह मुक्त होती हूँ
मानो एक तकलीफ़देह चमत्कार
क्या मैं सपनों के बाज़ार का पर्दाफ़ाश कर सकती हूँ?
मैं अपनी देह फैला लेती हूँ
मैं सलीब पर चढ़ जाती हूँ
तुमने इसे पुकारा था मेरी नन्ही बेर
रात में अकेली मैं बिस्तर से प्रणय रचाती हूँ

फिर आई काली पुतलियों वाली मेरी प्रतिद्वंद्वी
पानी की स्त्री, किनारे पर उठान भरती
उसकी उँगलियों के पोरों पर है एक पियानो
उसके होंठों पर है शर्मिंदगी
और उसकी वाणी है जैसे बंसरी
और मुड़े हुए घुटनों वाली मैं, एक झाड़ू-सी
रात में अकेली, बिस्तर से प्रणय रचाती हूँ

वह तुम्हें यूँ ले गई
जैसे ख़रीदारी करने आई कोई औरत
छूट वाला माल ले जाती है रैक से
और मैं विखंडित हुई एक पत्थर की तरह
मैं वापस लौटाती हूँ तुमको
तुम्हारी किताबें और मछली पकड़ने का काँटा
आज का अख़बार बताता है
कि तुमने ब्याह रचा लिया है उससे
इधर मैं रचाती हूँ रात में अकेली प्रणय बिस्तर से

आज लड़के और लड़कियाँ एकाकार हो रहे हैं
वे ब्लाउज़ के बटन खोलते हैं और खोलते हैं पतलून की ज़िप
वे जूते उतारते हैं और बत्ती बुझा देते हैं
मद्धिम रोशनी में मौजूद ये लोग सरासर झूठे हैं
वे एक दूसरे का ग्रास बन रहे हैं
वे अघाए हुए लोग हैं
मैं हूँ अकेली, रात को बिस्तर से प्रणय रचा रही हूँ।

स्रोत : blog.bestamericanpoetry.com

बुढ़ापा

मैं सुइयों से डरती हूँ
रबर की चादरों और ट्यूब से डरती हूँ
मैं डरती हूँ अनजान चेहरों से
और अब मुझे लगता है कि मृत्यु क़रीब आ रही है
मौत की शुरुआत सपने जैसी होती है
बहुत सारी चीज़ें और मेरी बहन की हॅंसी
हम दोनों छोटी हैं,
पैदल चलती हुई
जंगली ब्लूबेरी इकट्ठी कर रही हैं
हम जा रही हैं डैमरिस्कोटा
ओह सूजन, वह रोने लगती है,
तुमने अपने नए कपड़ों पर दाग़ लगा लिया
मेरा मुँह भरा हुआ है—
कितना मीठा स्वाद है
और मीठा नीलाभ यह
ख़त्म होने को है
डैमरिस्कोटा की राह में

क्या कर रही हो तुम?
मुझे अकेला छोड़ दो!
तुम्हें दिख नहीं रहा कि मैं सपने में हूँ?
और सपने में तुम कभी
अस्सी साल के नहीं होते।

गृहिणी

कुछ औरतें घरों से विवाह रचाती हैं
इनमें एक अलग क़िस्म की ख़ाल होती है
जिसमें शामिल एक दिल है,
एक मुँह है, एक जिगर है
और मल का निकास है

दीवारें स्थायी और गुलाबी हैं

देखो, पूरे दिन किस तरह
बैठी रहती है वह
घुटनों के बल
बड़ी वफ़ादारी से ख़ुद को धोती हुई
पुरुष बलात् प्रवेश करते हैं
और माँ की मांसल देह से
पथभ्रष्ट जोनाह* की तरह निकाल लिए जाते हैं
लब्बोलुआब यह है
कि स्त्री उनकी माँ है।

  • जोनाह एक पैग़म्बर थे जिन्हें ईश्वर की अवज्ञा करने के फलस्वरूप एक मछली ने निगल लिया था। जोनाह द्वारा माफ़ी माँगने पर ईश्वर के आदेशानुसार मछली ने उन्हें उगल दिया था। इस कविता का भावानुवाद करने की कोशिश में ‘पथभ्रष्ट’ जैसे शब्द जोड़े गए हैं। इस कविता को बेहतर समझने के लिए यहाँ क्लिक करें :


ऐन सेक्सटन (1928-1974) का जन्म अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रांत में हुआ। उन्हें 1967 में Live or Die पुस्तक के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त हुआ। उनकी कविताओं में अवसाद के साथ उनके संघर्ष के निशान मिलते हैं। आत्महत्या के कई प्रयासों में विफल रहने के बाद उन्होंने कार्बन मोनोऑक्साइड प्वॉइज़निंग से आत्महत्या कर ली। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए Selected Poems of Anne Sexton से चुनी गई हैं। अनुवादक इन कविताओं के अनुवाद के दौरान उपयोगी परामर्श के लिए शिवम तोमर का आभारी हैं। देवेश पथ सारिया से परिचय के लिए यहाँ देखें : एक निरंतर भटकाती हुई यात्रा है निर्वासन

3 Comments

  1. कुमार मुकुल मई 20, 2022 at 5:50 पूर्वाह्न

    रचनाकार बहुत संवेदनशील हैं, जरूरी अनुवाद…

    Reply
  2. Aditi जनवरी 8, 2023 at 2:51 अपराह्न

    बेहद महसूस होने वाली कविताएं है कवियत्री द्वारा लिखी एक एक…अद्वितीय रचनाएं और अच्छा भावानुवाद

    Reply
  3. अनाम जुलाई 29, 2023 at 7:01 पूर्वाह्न

    सेक्सटन की ताकतवर अंग्रेज़ी कविताओं के समकक्ष अनुवाद बहुत कमज़ोर हैं।

    Reply

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