एलिस वॉकर की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
कुछ उम्मीद मत करो
कुछ उम्मीद मत करो
कंजूसी से जियो
हैरान होने के लिए तैयार रहो।
दया की ज़रूरत पड़ने पर
अनजान बन जाओ
या अगर दया
लुटाई जा रही हो
केवल ज़रूरत भर ही लो
याचना की इच्छा को दबा दो
फिर ज़रूरत को ख़त्म कर दो।
अपने छोटे से दिल
या किसी सितारे से
बड़ा कुछ पाने की इच्छा मत करो,
दुलार और उदासीनता से
जंगली निराशा को शांत करो
इसे गर्म कपड़ा बनाओ
अपनी आत्मा के लिए।
इसकी वजह जानो
कि इतना लघुमानव
मौजूद ही क्यों है
इतना डरा हुआ निर्बोध
लेकिन कुछ उम्मीद मत करो
कंजूसी से जियो
हैरान होने के लिए तैयार रहो।
इच्छा
मेरी इच्छा
हमेशा वही है; जीवन मुझे
जहाँ भी रखे :
मैं अपने पंजे
और जल्द ही अपने पूरे शरीर को
पानी में डुबा देना चाहती हूँ।
मैं एक मोटी-सी झाड़ू से
बुहारना चाहती हूँ सूखे पत्ते
सूखे फूल
मृत कीड़े
और धूल।
मैं उगाना चाहती हूँ कुछ।
असंभव लगता है कि इच्छा
भक्ति में बदल सकती है कभी-कभी,
लेकिन ऐसा हुआ है।
और इस तरह मैं बच गई :
कैसे मेरे दिल के बग़ीचे का छेद
प्यार से देखभाल करने पर
पूरा दिल बन गया
इसे भरने के लिए।
किसी की प्रिया मत बनो
किसी की प्रिया मत बनो,
बहिष्कृत हो जाओ।
जीवन के
विरोधाभासों को
अपने चारों ओर लपेट लो
शाल की तरह,
पत्थरों से बचने के लिए
ख़ुद को गर्म रखने के लिए।
लोगों को देखो
ख़ुशी से पागलपन का
शिकार होते हुए;
उन्हें तुम्हारी ओर संदेह से देखने दो
और तुम संदेह से उत्तर दो।
बहिष्कृत हो जाओ,
अकेले चलकर ख़ुश रहो
(जो ठीक नहीं लगता)
या भीड़ भरे नदी तल को
ढँक जाने दो
और क्रोधी मूर्खों से।
जिस नदी किनारे
हज़ारों मारे गए
आहत दिलेर शब्द
कहने पर
वहाँ ख़ुशदिल जलसा करो।
लेकिन किसी की प्रिया मत बनो,
बहिष्कृत हो जाओ।
अपने मृतकों के साथ
रहने के लायक़ बन जाओ।
याद है
याद है
जब हमने सप्ताहांत तक के लिए
सब कुछ निपटाया
और हमें कैसे
पता था?
तुम ले गए थे
चाय का वह प्याला
जोड़ने के लिए
अपने घर पर
जिसे मैंने
तोड़ दिया था
असावधानी से।
इससे पहले कि मैं मंच से जाऊँ
इससे पहले कि मैं मंच से जाऊँ
मैं सिर्फ़ वह गाना गाऊँगी
जिसे मुझे वास्तव में गाना था।
यह गीत है
मैं क्या हूँ।
जी हाँ : मैं में मैं
और
तुम शामिल हैं।
हम हैं।
मुझे हम दोनों से प्यार है
हमारे ख़ून की हर बूँद
हमारी कोशिकाओं के हर परमाणु से
हमारे लहराते कण,
—हमारे होने के निडर झंडे हैं जो—
यह महत्त्वपूर्ण नहीं है।
उन लोगों की तरह मत बनो जो सब कुछ माँगते हैं
उन लोगों की तरह मत बनो जो सब कुछ माँगते हैं :
तारीफ़, परिचय, मेरी किराये की लिमोसिन में
मुफ़्त सवारी। वे सब कुछ माँगते हैं, लेकिन कभी भी
कुछ भी नहीं देते बदले में।
उन लोगों जैसे बनो जो भीड़ भरे कमरे से
देख सकते हैं मेरे पाँवों में दर्द और
पैर के मरहम को
अगर मैं खुश हूँ
कोई बात नहीं क्योंकि घूरना
मुस्कुराने का सबसे अच्छा तरीक़ा है
और मुझसे
बात करो।
हमारे शहीद
जब लोगों ने
कोई जीत हासिल की है
चाहे छोटी
या बड़ी
क्या तुम कभी सोचते हो
उस समय
शहीद
कहाँ होंगे?
वे जिन्होंने बलिदान दिया
अपना
किसी अज्ञात को
जीवन में लाने के लिए
जो फिर भी अधिक क़ीमती है
उनके अपने ख़ून से।
मुझे हमारे ऊपर मँडराते हुए
उन लोगों के बारे में सोचना अच्छा लगता है
चाहे वे जहाँ भी इकट्ठा हुए हों
रोने और ख़ुश होने के लिए;
मुस्कुराते हुए और हँसते हुए,
वास्तव में उल्लास में
ताली देते हुए।
उनका ख़ून सूख गया है
और गुलाब की पंखुड़ियाँ बन गया है।
अपने गाल पर जो खरोंच महसूस करते हो
वह सिर्फ़ तुम्हारे आँसू नहीं हैं
बल्कि ये हैं।
उन्होंने जो किया है
उसके बाद
शहीदों को कभी अफ़सोस नहीं होता।
हैरानी की बात है
वे कभी क्रोध नहीं करते हैं।
कितना रहस्यमय है
जिस तरह से वे रहते हैं
हमारे ऊपर
हमारे बग़ल में
हमारे अंदर;
वे कैसे चमकाते हैं
मानव-सूर्योदय
और हमें उन पर बहुत गर्व है।
जब तुमने मुझे ग़रीब समझा था
जब तुमने मुझे ग़रीब समझा था,
मेरी ग़रीबी शर्मसार कर रही थी।
जब ब्लैक होना अवांछनीय था
हमें सबसे अच्छा यही लगा
कि मैं घर पर रहूँ।
जब उग्र सपने देखने और कड़ी मेहनत के बल पर
चमत्कार से
जीवन ने हमारी हर इच्छा पूरी कर दी
तुम्हें मैं तुम्हारे अमीर दोस्तों की तरह
अनाड़ी
समृद्ध;
अशिष्ट,
असंगत रूप से धनी लगी।
अभी भी ब्लैक हूँ,
अब
मेरे पास हर चीज़
और तरह-तरह की चीज़ें बहुत अधिक हैं।
धिक्कार है मुझे : मैं
सफल हो गई! कौन
जाने कैसे काला रंग अचानक स्वीकार्य हो गया?
प्रचलन में आ गया!
क्या किया जाए?
(फ़िलहाल के लिए)
अब लगता है भाग्य ने
ख़ारिज कर दिया है
अधम विफलता को
बहरहाल?
अब उस चाँदनी और रात ने
मुझे आशीर्वाद दिया है।
अब वह सूर्य
किसी भी तरह की
आलोचना से अभिज्ञ,
अडिग रूप से चमकता है
चुंबन के जादू ने बनाया है
मेरे चेहरे के
अँधेरे और उज्ज्वल आश्चर्य को।
फूलों को पागलपन में बदलना
हमारे जो पूर्वज मर गए और तेल बन गए
हमारी तरफ़ देखे बिना—
युगों पहले,
हम हमेशा उन्हीं के हैं।
तुम्हारे लिए और मेरे लिए भी
आवाज़ उठाते हुए, फाँसी पर लटके हुए, रोते हुए।
यह हमारा दु:ख है
भारी, निर्मम,
हमें भटकाता हुआ
हालाँकि, प्रतिरोधी है वह,
चीज़ों की सड़ी और वीभत्स
तह के प्रति :
हमारा दु:ख
हमें घर ले जाता है।
एलिस वॉकर (जन्म : 1944) समादृत अमेरिकी कवयित्री और कथाकार हैं। उन्हें उनके सबसे मशहूर उपन्यास ‘द कलर पर्पल’ के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार और 1983 में नेशनल बुक अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनकी रचनात्मक दृष्टि आर्थिक कठिनाई, नस्लीय आतंकवाद और अफ़्रीकी-अमेरिकी जीवन तथा संस्कृति के लोक-ज्ञान में निहित है। उन्होंने यह ज़ाहिर किया है कि ब्लैक स्त्री के जीवनानुभव श्वेत और मध्यवर्गीय स्त्रियों की अपेक्षा न सिर्फ़ अलग हैं, बल्कि उसके शोषण की परिस्थितियाँ भी अधिक जटिल हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए poemhunter.com से चुनी गई हैं। सरिता शर्मा से परिचय के लिए यहाँ देखें : मैं चाहता हूँ कि तुम उतने कमज़ोर हो जाओ जितना कमज़ोर मैं हूँ