जॉन गुज़लोव्स्की की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया

जॉन गुज़लोव्स्की

शरणार्थी

हम पीछे छूट गए भाइयों द्वारा
लकड़ी के तख़्तों से बनाई
भारी संदूक़ों के साथ आए
आए बुचनवाल्ड और कातोविस से
और उससे भी पहले
मेरी माँ के असली घर ल्वो से

अपनी कटी-फटी जीभों के साथ
अपने दाँत जेब में रखे हुए
ख़ुद ही को गले लगाते
हमारे शरीर डरे गए शतुरमुर्ग़ की तरह कठोर

हम फ़टीचर ऊनी कपडे पहने हुए बच्चे थे
पैर घिसड़ते चलते
खाने या प्रार्थना करने या भीख माँगने की क़तारों में

याद करते हुए
हवा और दरख़्तों को
पोलैंड के खेतों के ऊपर आसमान को
हमने आने वाले जीवन के ख़्वाब देखे
शिकागो में, सेंट लुइस में
और विस्कॉन्सिन के सुपीरियर में

मुँह में
सिक्कों की तरह।

‘इकोज़ ऑफ़ टैटर्ड टंग्स’ से

उन्नीस की थी मेरी माँ

जाने कहाँ से आए सैनिक
मेरी माँ के खेत पर
एड़ियों से रौंदकर मार डाला उन्होंने
उसकी बहन के बच्चे को
मेरी नानी को गोली मार दी

एक बार गर्दन में गोली
फिर चेहरे पर कई ठोकरें

उन्होंने देखा मेरी माँ को
नहीं की इस बात की परवाह
कि वह कुँवारी थी
छोटे सफ़ेद फूलों वाली
नीली पोशाक पहने हुई

बलात्कार किया उसका
वह खड़ी नहीं हो सकी
सो नहीं सकी
बोल नहीं सकी

उसके मुँह में जबरन कपड़ा डालते समय
उन्होंने उसके दाँत तोड़ दिए

यदि उनके पास कैमरा होता
तो वे उसकी फ़ोटो खींचकर
भेजते उसे

ऐसे थे वे

मैं बताता हूँ
ईश्वर तुम पर कोई
उपकार नहीं करता

वह नहीं कहता
आज तुमने यह देखा है
पर कल तुम कुछ अच्छा देखोगे
और मुस्कराओगे इसे देख

यह बकवास है।

‘इकोज़ ऑफ़ टैटर्ड टंग्स’ से

युद्ध ने उसे जो सिखाया

मेरी माँ ने सीखा कि संभोग बुरा है
पुरुष निकम्मे हैं,
हमेशा सर्दी होती है
और खाने को कभी पर्याप्त नहीं होता

उसने सीखा कि यदि मूर्ख हो तुम
अपने हाथों से तुम सर्दी में नहीं बचा पाओगे ख़ुद को
यदि पतझड़ काट भी लो तो

उसने सीखा कि कैम्पों में सिर्फ़ युवा बचते हैं
बुज़ुर्ग पड़े रहते हैं रद्दी काग़ज़ों के ढेर की तरह
और बच्चे कम होते हैं चिकन और ब्रेड की तरह

उसने सीखा कि दुनिया टूटी हुई है
जहाँ पंछी नहीं गाते
और फ़रिश्ते भी ईश्वर का दिया दुःख नहीं सह पाते

उसने सीखा कि तुम शत्रु की यातना से
बचने की प्रार्थना नहीं करते
तुम प्रार्थना करते हो कि वे तुम्हें मार न दें।

‘इकोज़ ऑफ़ टैटर्ड टंग्स’ से

मेरे लिए पढ़ना क्या है

कुछ प्रिय किताबें हैं
जब उन्हें पढता हूँ
कभी-कभी
लगता है मेरी आँखें भर आती हैं
तुम समझते हो मेरा मतलब

तुम बैठे होंगे अपनी कार में
एक उपन्यास दुबारा पढ़ते हुए
अपनी पत्नी या पति का इंतज़ार करते
कि वह ख़रीददारी निपटा ले

और तुम (पढ़ते हुए) एक जगह पहुँचते हो
जो तुम्हारे बहुत क़रीब है
भले ही लिखा हो मनगढ़ंत
तुम्हें लगता है कि लेखक ने
किसी पूर्वजन्म में जिया है एक पल
जैसा दर्द तुमने भी जिया था किसी जन्म में

तुम थाम लेना चाहते हो
लिखने वाले का हाथ
उसे रखकर अपनी छाती पर
चुप रहते हो।

‘ट्रू कंफ़ेशन्स’ से

प्यार

तलाशो एक आदमी या औरत
और बताओ उसे
तुम कौन हो सच में
और उसे बताने दो
दिल की धूसर गहराई से
कि सच में कौन है वह

और फिर भी
अगर बना रहे
तो वह होगा प्यार

जो मैंने अभी कहा
कुछ ज़्यादा नहीं
काग़ज़ पर पड़े धब्बे से।

‘ट्रू कंफ़ेशन्स’ से

कोरोनाकाल में उम्मीद

उम्मीद दयालु है
उम्मीद है एक दरवाज़ा और खिड़की
उम्मीद पड़ोसी का वह बच्चा है जिसकी हम बचपन में अवहेलना करते हैं
उम्मीद बहुत देर से सीखा हुआ पाठ है
उम्मीद शुक्रवार और रविवार की सुबह है
उम्मीद इतनी तेज़ जाती ट्रेन है कि समय भी उसे न पकड़ पाए
उम्मीद दुःख का भाई है, कष्ट की बहन
उम्मीद दूर घास के चरागाह में चरती कोमल गाय है
उम्मीद हमारी माँ है।

एक अनजान शराबी औरत से नशे में बात करते हुए

पार्टी दूसरे कमरे में है
पर दालान चुप्पी के लिए सुरक्षित जगह है
और वह मुझे कहती हैं कि कुछ होता है सर्दियों में
जिनकी वजह से वे लौटते रहते हैं बार-बार
और मैं हँसता हूँ क्योंकि मुझे लगता है
कि उसने पापियों का ज़िक्र किया

तो मैं उससे दोबारा पूछता हूँ कि वह कहाँ से है
और वह बताती है कि कई चाँद है
जहाँ सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुँचती
किताबें जो कभी बरसात नहीं देखतीं
और मैं अपना सिर हिलाता हूँ

पर इससे कोई मदद नहीं मिलती
क्योंकि वह दुबारा शुरू हो जाती है :
बताती हुई अटारी पर खिड़की के बारे में
सपनों के तहख़ाने के बारे में
घर्षण की क़ीमत के बारे में
जब घर्षण का अभिप्राय सपने देखना हो

मैं बाथरूम जाने के लिए खड़ा होने की कोशिश करता हूँ
पर वह मुझे हड्डियों के पोखर में खींच लेती है
और अंततः मैं जान जाता हूँ कि उसकी बातों में तथ्य है।

‘ट्रू कंफ़ेशन्स’ से

याद करते हुए

क्या उसके पास अब भी वह ड्रेस है जो उसने उस दिन ख़रीदी थी,
एक स्ट्रीट आर्टिस्ट द्वारा पतले और धुँधले फूलों से चित्रित
जिसने हमसे बहुत ज़्यादा पैसा लिया था?

और वह कहाँ गई?
अच्छे दिनों में मैं सोचता हूँ कि हम अब भी साथ हैं
बुरे दिनों में, मैं जानता हूँ कि हमारे बीच की अँधेरी जगह हम ही हैं
कुछ नहीं कहते हम
आश्चर्य कि हमारे शब्द कहाँ ख़र्च हो गए
जो हमने कहे थे शनिवार की उस शाम
जब वह झूमती और घूमती रही थी

मैं आज भी उन गर्नज़ी1एक प्रकार का मवेशी, गाय जैसा। को देखता हूँ
देर अप्रैल की ठंड में
चिड़ियाघर के मैदानों की बाड़ से
टकराते हुए अपने सिर
मुलायम हथौड़े की तरह

क्या उसने कुछ कहा था?
मेरी तरफ़ देखा था किसी ख़ास अदा से?
मुझे याद है सिर्फ़ उसकी ड्रेस
और हवा जो मिशिगन झील से आकर उसके तन से गुज़रती थी
जैसे अनाकोंडा किसी फल के खोल पर नर्म पेश आता है।

‘ट्रू कंफ़ेशन्स’ से

मध्यरात्रि

कहीं कुछ लिखा है एमिली डिकिन्सन ने
जो शुरू होता है
लंबे, स्याह शब्द ‘मध्यरात्रि’ से
और समाप्त होता है दो ख़ामोश पंक्तियों पर—
‘‘ट्रेन बहुत धीरे गुज़रती है
पर दुःख कभी नहीं बीतेगा’’

मैंने इसे पहली बार पढ़ा था जब,
मैं अठारह साल का छात्र था
जो नहीं समझ सका इसका मतलब
मैं हँसा था इस पर
और मैंने अपने दोस्त बॉब मिलेव्स्की से कहा—
‘‘लोग इस ओटमील को कविता कहते हैं,
इसे गायों को खिलाना चाहिए!’’

‘ट्रू कंफ़ेशन्स’ से

पेड़ों का जीवन

यह आसान है पेड़ों के लिए

साल-दर-साल
पत्तियाँ
फिर पतझड़
हम?

हमारे बच्चों का बढ़ना धीरे-धीरे?

उनका जल्दी मर जाना?

हमारा जल्दी मर जाना?

हमारे भय और स्वप्न?

पेड़ों के लिए आसान है यह
वे ईश्वर की तरह हैं—

स्थितप्रज्ञ
साँस लेते और छोड़ते
विरक्त
इच्छाओं से
प्रेम और क्षय से

नयनहीन
उन लोगों के प्रति
जो महज़ उम्मीद के सहारे जीते हैं।

स्रोत : atunispoetry.com

हमारी चुप्पी

मेरी चुप्पी और तुम्हारी चुप्पी
बोलती है एक भाषा
जो बहुत पहले सीखी थी हमने
उस दुनिया में
जहाँ चुप्पी लहरें हिला देती थी
और हर चिड़िया
चुप्पी के पंखों पर उड़ती थी
हमारी आँखों में

और हर शब्द
जो हमने बोलना सीखा
एक प्रार्थना का हिस्सा है
जो हमें जोड़ता है सभी शब्दों से
जो बोले जाते हैं सभी लोगों द्वारा,
हर कहीं
कभी भी

चुप्पी और इन शब्दों ने
आविष्कार किया
प्रेम का

सिखाया हमें बुदबुदाना
अभिवादन का शब्द (हैलो)
सिखाया हमें आँखें खोलना

हमें जंगलों और मैदानों में
प्रविष्ट होना सिखाया
और हर चीज़ का मतलब जानना।

स्रोत : atunispoetry.com

जॉन गुज़लोव्स्की (जन्म: 1948) अमेरिकन-पोलिश कवि हैं । वह नाज़ी कैम्प में मिले माता-पिता की संतान हैं। उनका जन्म जर्मनी के एक विस्थापित कैम्प में हुआ। उनके माता-पिता पोलैंड से थे। वह अमेरिका में रहकर लेखन कर रहे हैं। वह अमेरिका के शीर्ष अमेरिकन-पोलिश कवियों में से एक हैं। उनकी कविताओं में युद्ध और कैम्पों की ज़िंदगी के जीवंत बयान हैं। देवेश पथ सारिया हिंदी की नई नस्ल से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक हैं। वह फ़िलहाल ताइवान में रह रहे हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : कवि और कच्चा रास्ता और गीत और पतझड़ के पार

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