शंख घोष की कविताएँ ::
बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक

शंख घोष

बादल जैसा मनुष्य

मेरे सामने से टहलते हुए जाता है
वह एक बादल जैसा मनुष्य
उसके शरीर के भीतर प्रवेश करने पर
मालूम पड़ता है कि
सारा पानी धरती पर झड़ जाएगा।

मेरे सामने से टहलते हुए जाता है
वह एक बादल जैसा मनुष्य
उसके सामने जाकर बैठने पर
मालूम पड़ता है कि
पेड़ की छाया आ जाएगी मेरे पास।

वह देगा कि लेगा?
वह क्या आश्रय चाहता है?
या कि आश्रय में है?
मेरे सामने से टहलते हुए जाता है
वह एक बादल जैसा मनुष्य।

उसके सामने जाकर खड़े होने पर
मैं भी संभवतः कभी किसी दिन
हो सकता हूँ बादल!

यौवन

दिन रात के मध्य
पक्षियों के उड़ने की छाया
बीच-बीच में याद आता है
हमारा अंतिम मिलना-जुलना।

प्रतिहिंसा

युवती कुछ नहीं जानती
सिर्फ़ प्रेम की बातें बोलती है

शरीर मेरा सजाया भी तुमने
बीते समय में…

मैंने भी प्रतिक्रिया में रखी सब बात,
शरीर भरकर उड़ेल दी है
तुम्हारे ऊपर—
अग्नि और प्रवणता।

मेरी लड़कियाँ

लिख रहा हूँ
जल के अक्षरों से : ‘मेरी लड़कियाँ’
हर घर में
आज भी भीख माँगने के हाथों में पड़ी हुई हैं।

बातों के भीतर बातें

सभी नहीं, फिर भी
बहुत बातों के भीतर बातें खोजते हैं
सहज भाषा तुम भूल गए हो
इस मूसलाधार बारिश में
आओ नहा लें।

पानी के भीतर कितने मुक्तिपथ हैं?
कभी सोचकर देखो
अब बाधित होकर बैठे रहकर
बहुत ज़्यादा देर बैठे रहकर
सिर्फ़ बैठे रहकर

हृदय बहुत कुंठित हो चुका है
मालूम पड़ता है
अब क्या?

तुम्हारी कोई निजी गरिमामय भाषा नहीं?

क्यों आज सब समय
इतना अपने विरुद्ध बोलते हो।

तुम

मैं उड़ता फिरूँ
मैं घूमता फिरूँ
मैं सभी दिनमान रास्तों पर
जलता फिरूँ…

लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगता
जब घर लौटूँ तो
न देख पाऊँ तुम्हें

‘कि तुम हो?’

देह

आ रहा था
सनातन मैदान से निकलकर
हृदय के ऊपर
बहुत ज़्यादा दबाव
धीरे-धीरे सुलगती आग
जिसे सामने से ग्रहण कर रहा हूँ।

मेरे सामने खड़े हैं नगरवासी
जो हड़बड़ाकर चिल्लाए जा रहे हैं :

‘शरीर कहाँ है? शरीर कहाँ है?’

अब मैं यह सब कुछ नहीं सुन सकता हूँ,
पॉकेट में हैं एक धुँधला आईना,
टूटी कंघी, चादर, मुड़ी और नौका चप्पल
आ रहा था
मैं तुम्हारे लिए…!


शंख घोष (1932–2021) समादृत बांग्ला कवि-आलोचक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : निभृत प्राणों के देवता

रोहित प्रसाद पथिक नई पीढ़ी के कवि, अनुवाद और चित्रकार हैं। वह आसनसोल (पश्चिम बंगाल) में रहते हैं। उनसे poetrohit2001@gmail.com पर बात की जा सकती है।

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