जूलिया क्रिस्तेवा के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा

जूलिया क्रिस्तेवा

दुखी व्यक्ति कट्टरपंथी और उदास नास्तिक होता है।

दुख को नाम देना, उसे बढ़ा-चढ़ाकर, उसके सबसे छोटे घटकों में विघटित करना—शोक को कम करने का निश्चित तरीक़ा है।

धर्म के विश्लेषण-योग्य होने का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि कोई ऐसा तरीक़ा है जिससे इसके बिना काम चलाया जा सके।

हमें यह मान लेना चाहिए कि कोई किसी दूसरे देश में इसलिए विदेशी बन जाता है, क्योंकि वह अंदर से पहले से ही विदेशी होता है?

माता-पिता से वंचित हो जाना—क्या स्वतंत्रता वहीं से शुरू होती है?

अकारण और अंतहीन : संगीत, लय और नृत्य।

दूसरों के लिए महत्त्वपूर्ण हुए बिना, कोई आपकी बात नहीं सुनता है।

चूँकि उसके पास कुछ भी नहीं है, वह कुछ भी नहीं है : वह सब कुछ त्याग सकता है।

वह विदेशी है, वह कहीं से भी नहीं है, वह हर जगह से है, दुनिया का नागरिक, महानगरीय है। उसे उसके मूल स्थान पर वापस न भेजें।

क्या कोई इसके सिवाय किसी अन्य शर्त पर भी लिखता है कि वह असीम भाव-विरेचन के लिए दुर्दशा की स्थिति में होता है?

प्रेम वह समय और स्थान है : जहाँ ‘मैं’ अपने आपको असाधारण बनने का अधिकार देती हूँ।

गौरव मानव-शरीर में अंतर्निहित है।

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जूलिया क्रिस्तेवा (जन्म : 1941) संसारप्रसिद्ध बल्गेरियाई-फ़्रेंच दार्शनिक और साहित्यकार हैं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और संसारप्रसिद्ध लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :

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