आदम ज़गायेव्स्की की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रीनू तलवाड़

आदम ज़गायेव्स्की

लौ

ईश्वर, हमें दीजिए लंबा हेमंत
और शांत संगीत, और धैर्यवान मुख,
और थोड़ा स्वाभिमान—इससे पहले
कि बीते हमारा युग।
दीजिए हमें विस्मय
और एक लौ ऊँची, उज्ज्वल।

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रेज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह और रेनाथा गौरचींस्की, विदआउट एंड : न्यू एंड सिलेक्टेड पोएम्ज़ (2002)

जहाँ साँस है

वह मंच पर अकेली खड़ी है
और उसके पास कोई वाद्य नहीं है।
वह अपनी हथेलियाँ रखती है
अपनी छाती पर,
जहाँ साँस जन्म लेती है
और मर जाती है।
हथेलियाँ नहीं गातीं
न ही छातीं।
जो गाता है वह नि:शब्द रहता है।

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रेज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह, न्यू एंड सिलेक्टेड पोएम्ज़ (2004)

कविता ढूँढ़ती है उजास

कविता उजास ढूँढ़ती है,
कविता राजमार्ग है
जो हमें सबसे दूर तक ले जाती है।
निराशा के क्षणों में हम उजाला ढूँढ़ते हैं,
दुपहर में, भोर के धुआँरे में,
यहाँ तक कि बस में, किसी नवंबर में,
जब एक बूढ़ा साधु बग़ल में ऊँघ रहा होता है।

चीनी रेस्तराँ का वेटर अचानक सुबकने लगता है
और कोई जान नहीं पाता ऐसा क्यों।
क्या पता यह भी कोई तलाश हो,
जैसे कि समुद्र तट पर वह पल,
जब क्षितिज पर दीख पड़ा था लुटेरों का जहाज़
और रुका रहा था, बहुत देर स्थिर।
और गहन आनंद के पल

एवं असंख्य पल व्यग्रता के भी।
मुझे देखने दो, मैं पूछता हूँ।
मुझे लगे रहने दो, मैं कहता हूँ।
रात में एक ठंडी बारिश झरती है।
मेरे शहर की सड़कों और गलियों में
अंधकार चुपचाप कड़ी मेहनत करता है।
कविता ढूँढ़ती है उजास।

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रेज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह, संकलन ‘पवरूथ’ (Powrót)

बिना तैयारी के

तुम्हें लाद लेना होगा दुनिया का सारा भार
और उसे ढोना आसान कर देना होगा।
झोले की तरह कंधे पर डालो
और निकल पड़ो।

सबसे अच्छा समय शाम का है,
वसंत की शाम का,
जब शांत पेड़ गहरी साँस लेते हैं
और रात सुहानी होने का वादा करती है,
बग़ीचे में गिरी एल्म पेड़ की डंडियाँ चिटकती हैं।
समूचा भार? ख़ून और बदसूरती भी? नहीं हो सकता।
ज़रा-सी कड़वाहट चिपकी रहेगी होंठों पर
और ट्रेन में मिली वृद्धा की छूत-सी निराशा भी।
झूठ क्या बोलना?
आख़िर आनंद का अस्तित्व केवल कल्पना में होता है
और वहाँ से भी जल्द चला जाता है।
बिना तैयारी के—हमेशा बिना तैयारी के,
बड़ी हो या छोटी, केवल यही आती है हमें,
संगीत में एक जैज़ ट्रम्पेट जिस तरह हँसते-हँसते रोता है
या जब आप कोरे काग़ज़ को ताकते रहते हो
या अपनी मनपसंद कविताओं की किताब खोलकर
दुःख को धता बताने की कोशिश करते हो;
अक्सर तभी फ़ोन बज उठता है,
कोई पूछता है, क्या आप नया मॉडल आज़माना
पसंद करेंगे? नहीं, शुक्रिया।
मैं जाने हुए ब्रांड ही पसंद करता हूँ।
निराशा और नीरसता बनी रहती हैं; ऐसा दुःख
जो बेहतरीन मर्सिया भी पिघला न सके।
पर शायद कुछ है जो हमसे छुपा है,
जिसमें दुख और उत्साह गड्डमड्ड हैं
निरंतर, हर रोज़, जैसे पौ का फटना
समुद्र तट पर, नहीं, ठहरो,
उन लड़कों की हँसी की तरह,
सफ़ेद कपड़े पहने नन्हे गायक,
जो सैंट जॉन और मार्क गिरजा के कोने
पर थे, याद है?

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रेज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह, poetryinternational.com (2008)

मामूली ज़िंदगी

हमारी ज़िंदगी मामूली है,
मैंने बैंच पर छूटे
एक मुड़े-तुड़े काग़ज़
से पढ़ा था।
हमारा जीवन मामूली है,
दार्शनिकों ने मुझे बताया था।

मामूली ज़िंदगी, साधारण दिन और परेशानियाँ,
संगीत सम्मेलन, बातचीत,
शहर के बाहर खुली जगह में घूमना,
अच्छी ख़बर, बुरी—

लेकिन मक़सद और ख़याल
न जाने क्यों थे आधे-अधूरे,
अधपके।

घर और पेड़
कुछ और माँगते थे,
और गर्मियों में हरे मैदान
ढक लेते थे ज्वालामुखीय ग्रह को
समुद्र पर बेपरवाह फेंके ओवरकोट की तरह।

अँधेरे सिनेमाघर रोशनी को तरसते हैं,
जंगल गर्म उत्तेजित साँसें लेते हैं,
बादल धीमे स्वर में गाते हैं,
सुनहरा पंछी बारिश के लिए दुआ करता है।
मामूली ज़िंदगी माँगती है।

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रेज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह, द न्यूयॉर्कर (18 नवंबर 2007)

सेल्फ़ पोर्ट्रेट

कंप्यूटर,पेंसिल और टाइपराइटर के बीच
मेरा आधा दिन बीत जाता है।
एक दिन ऐसे ही आधी सदी बीत जाएगी।
मैं अजब शहरों में रहता हूँ
और कभी-कभार करता हूँ बात
अजनबियों से उन विषयों पर जो मेरे लिए अजीब हैं।
मैं संगीत बहुत सुनता हूँ :
बाख़, माहलर, शोपैं, शुस्ताकोविच।
संगीत में मुझे तीन तत्त्व दिखाई देते हैं—
निर्बलता, शक्ति और पीड़ा।
चौथे का कोई नाम नहीं है।
मैं जीवित और मृत कवियों को पढ़ता हूँ,
जो सिखाते हैं मुझे—
दृढ़ता, श्रद्धा और स्वाभिमान।
मैं प्रयत्न करता हूँ महान दार्शनिकों
को समझने का—पर उनके बहुमूल्य विचारों की
जूठन भर पकड़ पाता हूँ।
मैं पसंद करता हूँ पेरिस की सड़कों पर लंबी सैर करना
और देखना अपने साथी जनों को, ईर्ष्या, क्रोध, लालसा
से उत्तेजित; नज़र रखता हूँ चाँदी के एक सिक्के पर
कैसे वह हाथो-हाथ जाने में धीरे-से
खो बैठता है अपनी गोलाई
(सम्राट का उकेरा गया चित्र भी मिट जाता है)।
मेरे बग़ल के पेड़ व्यक्त करते हैं केवल
एक हरी, तटस्थ पूर्णता।
काले पंछी खेतों पर धीमी उड़ान भरते हैं,
धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं,
काले कपड़ों में लिपटी स्पेनी विधवाओं की तरह।
मैं अब युवा नहीं हूँ,
मगर कोई और हमेशा मुझसे बड़ा होता है।
मुझे गहरी नींद पसंद है,
जिसमें अपने होने का पता तक न रहे,
और पसंद है देहाती सड़कों पर
तेज़-तेज़ साइकिल चलाना
जब घर और पॉप्लर वृक्ष
ऐसे घुल जाते हैं
जैसे तेज़ धूप के दिनों में कपासी बादल।
कभी-कभी संग्रहालय में तस्वीरें मुझसे बातें करती हैं
और विडंबना अचानक अदृश्य हो जाती है।
अपनी पत्नी के चेहरे को देखते रहना
मुझे बहुत अच्छा लगता है।
हर इतवार मैं अपने पिता को टेलीफ़ोन करता हूँ।
हर दूसरे हफ़्ते मैं अपने मित्रों से मिलता हूँ
और इस तरह सिद्ध करता हूँ अपनी निष्ठा।
मेरे देश ने ख़ुद को एक बुराई से आज़ाद किया है। काश
इसके बाद कुछ और आज़ादी आए।
क्या मैं इसके लिए कुछ कर सकता हूँ?
मैं नहीं जानता।
असल में, जैसा अंतोनियो मचादो ख़ुद के लिए लिखते थे,
मैं सागर-पुत्र नहीं हूँ,
मैं हवा, पुदीने, और वायलिन-चेलो का पुत्र हूँ
और इस महान दुनिया के सभी रास्ते नहीं मिलते
उस जीवन से जो—अब तक—
केवल मेरा है।

स्रोत : मूल पोलिश से अँग्रज़ी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह, मिस्टिसिज़्म फ़ॉर बिगिनर्स (1997)


आदम ज़गायेव्स्की (1945-2021) संसारप्रसिद्ध पोलिश कवि हैं। उन्होंने प्रचुर मात्रा में विस्मय-बोध पाया था और अपनी कविताओं में उन्होंने विस्मय ही दिया। वह एक ऊँची उज्ज्वल लौ थे। उनके बारे में अमेरिकी कवयित्री मैरी ऑलिवर कहा करती थीं : ‘‘अब वह हमारे महानतम और सर्वाधिक सच्चे प्रतिनिधि हैं, हमारे समय के सबसे योग्य, प्रभावशाली और अहम कवि।’’ रीनू तलवाड़ से परिचय के लिए यहाँ देखें : अंतिम प्यार होता है अनूठा पतझड़ के फूल-सा

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