येन शांग की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया

ताइवान के चियाई शहर में 1938 में जन्मे कवि येन शांग रिटायर्ड स्कूल टीचर थे। साल 2020 में उनका देहावसान हो गया। येन शांग उनका पेन नेम है। उनका वास्तविक नाम येन चेंग-शिंग था। उन्होंने कविता लिखने की शुरुआत 1950 में की थी। वह कविता केंद्रित पत्रिका ‘ली पोएट्री’ के एडिटर इन चीफ़ भी रहे। उनके कई कविता-संकलन प्रकाशित हुए। यहाँ प्रस्तुत कविता ‘भैंस’ किसी लोककथा जैसी महसूस होती है। येन शांग मध्यवर्गीय आकांक्षाओं और संघर्ष के कवि हैं। उन्हें अष्टपंक्ति कविता में महारत हासिल थी। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ विलियम मार के अँग्रेज़ी अनुवाद पर आधृत हैं और ‘फ़्लोटिंग बीकन : एन एंथोलॉजी ऑफ़ ताइवान पोएट्री’ पुस्तक से ली गई हैं। इस पुस्तक को उपलब्ध कराने के लिए मैं संपादक ली मिन-युंग का आभारी हूँ।

— देवेश पथ सारिया

येन शांग

भैंस

एक भैंस थी
जिसे शिकायत रहती थी हरदम
अपने पक्के रंग को लेकर
ईर्ष्या थी उसे नीले आसमान से

अचानक एक दिन
तालाब में पानी पीने को गर्दन झुकाते समय
भैंस ने पाया
कि उसके सींग आसमान की ओर इंगित हैं

भैंस ने सोचा
कि सींगों से मर जाएगा आसमान
पर आसमान तो बहुत ऊँचा था
फिर भी कभी तो आएगा वह समय
जब नीचे उतरेगा आसमान
तो भैंस से धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की

अंततः पानी पीने नीचे आया आसमान
भैंस भागी क्षितिज की ओर
पूरा दम लगाकर
और भागते-भागते गिर पड़ी ज़मीन पर
आखिरकार
उसने देखा कि उसका ख़ून चमकीला लाल था
और ज़ोर से हँसने लगी।

जन्म राशि की स्थिति

मैं हमेशा से जानना चाहता हूँ
अपनी जन्म राशि की आकाशीय स्थिति
क्या वह शानदार चमकती है

मैं हर रात आकाश ताकता हूँ
एक जाने-पहचाने चेहरे की तलाश में
पर मुझे जवाब देने वाले
होते हैं सब अजनबी

एक दिन
मैं इन सब इच्छाओं की इतिश्री कर
लौट आया था सब भटकती यात्राओं से
थका-माँदा
लाचार
एक पुराने कुएँ में डूबता-सा
अचानक सुना मैंने
कि कुएँ के शांत पानी के नीचे से
एक अकेले-से तारे ने
मेरा नाम पुकारा!

एक साधारण-सा घर

बरसात गिरती है पहाड़ों की चोटियों पर
बरसात गिरती है खेतों पर
बरसात गिरती है जलधाराओं पर
बरसात गिरती है सड़कों पर
बरसात गिरती है पेड़ों पर
बरसात गिरती है छतों पर

बरसात गिरती है
कम्बल पर
बरसात गिरती है
बच्चे के मुँह पर
(पापा! पानी!)

एक काली रात में
बरसात गिरती है।


देवेश पथ सारिया से परिचय के लिए यहाँ देखें : मैं बच निकलना चाहती थी युद्ध की चीत्कार से

1 Comments

  1. yogesh dhyani जुलाई 15, 2021 at 4:30 अपराह्न

    bahut achchi kavitayen devesh

    Reply

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