जॉर्ज ऑरवेल के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : गार्गी मिश्र
मनुष्य होने का सार यही है कि वह दोषहीन होने की इच्छा न रखे।
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निष्ठाहीनता, स्पष्ट भाषा की दुश्मन है। जब किसी के वास्तविक और घोषित उद्देश्यों के बीच एक अंतर होता है, तब वह स्वतः ज़्यादा शब्दों और मुहावरों की तरफ़ मुड़ जाता है। उस मछली की तरह जो स्याही उगलती है।
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यह भी सच है कि कोई कुछ पठनीय तब तक नहीं लिख सकता, जब तक वह लगातार ख़ुद के व्यक्तित्व से ख़ुद को मुक्त न करता रहे।
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अच्छा गद्य एक खिड़की की तरह होता है।
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पृथ्वी की सतह से प्यार करने के लिए, ठोस वस्तुओं और अनुपयोगी जानकारियों के अवशेषों का सुख लेने के लिए, जब तक मैं स्वस्थ और जीवित हूँ—गद्य शैली के लिए दृढ़ता से महसूस करता रहूँगा।
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भाषा—कवियों और श्रमिकों की संयुक्त कृति होनी चाहिए।
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तुम्हें बहुत ज़्यादा प्रयासरत रहना चाहिए। संयत होना आसान नहीं है।
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मनुष्य तभी ख़ुश रह सकता है, जब वह यह मानकर न बैठा हो कि जीवन का उद्देश्य ख़ुश रहना है।
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शायद हमें प्यार किए जाने से ज़्यादा ज़रूरत समझे जाने की थी।
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एकमात्र अच्छा मनुष्य वह है जो मृत है।
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जॉर्ज ऑरवेल (1903-1950) विश्वप्रसिद्ध अँग्रेज़ी लेखक हैं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। गार्गी मिश्र कविता, कला और अनुवाद के इलाक़े में सक्रिय रहती हैं। ‘सदानीरा’ पर उपलब्ध संसारप्रसिद्ध साहित्यकारों-विचारकों के उद्धरण यहाँ पढ़ें : उद्धरण
अनुवाद लगता ही नहीं…. ऐसा लगता है इन शब्दों में जीवन छुपा हुआ है।