हरमन हेस के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद : सरिता शर्मा
हम में से कुछ को लगता है कि पकड़े रखना हमें मज़बूत बनाता है, लेकिन कभी-कभी पकड़ ढीली कर देना बेहतर है।
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शब्दों, लेखन और पुस्तकों के बिना न कोई इतिहास होगा और न ही मानवता की कोई अवधारणा होगी।
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किसी और आदमी के जीवन को आँकना मेरा काम नहीं है। मुझे सिर्फ़ ख़ुद को आँकना चाहिए, अपने लिए पसंद करना चाहिए और केवल ख़ुद को धिक्कारना चाहिए—केवल ख़ुद को।
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मैं अपने सपनों में रहता हूँ—यही आप महसूस करते हैं। और लोग सपनों में जीते हैं, लेकिन अपने सपनों में नहीं। यही अंतर है।
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प्यार हमें ख़ुश करने के लिए नहीं है। मेरा मानना है कि प्यार हमें यह दिखाने के लिए मौजूद है कि हम कितना सहन कर सकते हैं।
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कायर, तुम मरने के लिए तैयार हो, लेकिन जीने के लिए नहीं।
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अक्सर सबसे क़ाबिल लोग स्वयं को उन लोगों को प्यार करने से नहीं रोक पाते जो उन्हें बर्बाद कर देते हैं।
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जब आप किसी को पसंद करते हैं, तो आप उसे उसके दोषों के बावजूद पसंद करते हैं। जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उसे उसके दोषों के साथ प्यार करते हैं।
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साहसी और चरित्रवान लोग हमेशा बाक़ी लोगों को भयावह लगते हैं।
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चूँकि दुनिया मौत और आतंक से भरी हुई है, मैं बार-बार अपने दिल को सांत्वना देने की कोशिश करता हूँ और उन फूलों को चुनता हूँ जो नर्क में उगते हैं।
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आपकी आत्मा समस्त संसार है।
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अनंत काल में, कोई समय नहीं है, केवल छोटा-सा लम्हा है जिसमें बस एक चुटकुला सुनाया जा सकता है।
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आपको अपना स्वप्न ज़रूर तलाश करना चाहिए… मगर कोई भी स्वप्न सदा के लिए नहीं रहता। हर सपने के बाद दूसरा सपना आता है, और आदमी को किसी विशेष सपने से ही चिपटे नहीं रहना चाहिए।
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सज्जनता कठोरता से अधिक, पानी चट्टान से अधिक और प्यार ताक़त से अधिक मज़बूत है।
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आपका जीवन कभी वैसे नहीं रहा जैसा आप सोचते हैं, और यह अच्छी बात नहीं है। केवल वे विचार ही मूल्यवान हैं जिन्हें हम वास्तव में जीते हैं।
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यह अच्छी बात है कि आप पूछते हैं। आपको हमेशा पूछते रहना चाहिए, हमेशा संदेह करना चाहिए।
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हरमन हेस (2 जुलाई 1877–9 अगस्त 1962) प्रसिद्ध जर्मन साहित्यकार हैं। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं।
V nice,
बाहर नहीं अभी अपने अंदर झाँक तू
अपने विचारों में थोड़ा खाद फांख तू
जाग अंधेरी रात में, उगते सूरज को ताक तू
छु कर उसकी किरणों को सरपट भाग तू
सुबह की मीठी हवा में कोयल सा राग तू
भीतर का हर ले अँधेरा , ऐसे जुगनू सा जाग तू
हर सवाल का हल ढूढं , कर गुणा भाग तू ,
कहीं बाहर नहीं अपने अंदर झाँक तू ।।
– पंकज शर्मा