बेट्टी फ्रीडन के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद : सरिता शर्मा
किसी स्त्री—और पुरुष के लिए भी—ख़ुद को तलाशने और एक व्यक्ति के रूप में जानने का एकमात्र साधन, अपना मौलिक कार्य है।
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आपके पास सब कुछ हो सकता है, मगर वह एक साथ नहीं हो सकता।
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बूढ़ा हो जाना जवानी को खो देना नहीं है, बल्कि अवसर और ताक़त का नया कार्यक्षेत्र है।
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स्त्रीवाद ने स्त्री की पुरानी छवि को नष्ट कर दिया; लेकिन वह उस विद्वेष, पूर्वाग्रह और भेदभाव को ख़त्म नहीं कर पाया जो अभी तक विद्यमान है।
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पुरुष दुश्मन नहीं है, बल्कि सहचर पीड़ित है। असली शत्रु स्त्रियों द्वारा ख़ुद की आलोचना करना है।
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कौन जानता है कि स्त्रियाँ तब क्या हो सकती हैं, जब वे अंततः अपनी मर्ज़ी से जीने के लिए स्वतंत्र हो जाएँगी।
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जब उसने स्त्रीत्व की पारंपरिक तस्वीर के अनुरूप जीना बंद कर दिया, तब वह आख़िरकार स्त्री होने का आनंद लेने लगी।
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स्त्रियों को पूरी मानव नियति में हिस्सेदारी के बजाय आधे जीवन की तस्वीर को क्यों स्वीकार करना चाहिए?
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समस्या हमेशा बच्चों की माँ या मंत्री की पत्नी होने में और—कभी भी—जो हो वह नहीं होने में होती है।
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बेट्टी फ्रीडन (4 फ़रवरी 1921-4 फ़रवरी 2006) प्रसिद्ध अमेरिकी लेखिका और स्त्रीवादी विचारक हैं। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण उनकी चर्चित कृति The Feminine Mystique से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और संसारप्रसिद्ध लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :