ऐन वाल्डमेन की कविता ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया
एंथ्रोपोसीन जनित अवसाद गीत
आवाज़ बेदख़ल करती है
मौसम को
और बरक़रार रहता है
तुम्हारे लिए मेरा प्यार
गाता है तुम्हारे लिए
इन ‘नए मौसमों’ में
जिन्हें ले आई है
एंथ्रोपोसीन नाम की यह बला
कुछ भी नहीं बचा
जिसे इंसान ने
बना न लिया हो
बंधक
क्या हम प्रतिकार कर सकते हैं?
क्या हम हार जाएँगे?
अपने संसार को बचाने की लड़ाई?
हम सपने देखते हैं
अपनी ही क्षणभंगुर,
टूटी हुई प्रतिकृतियों के
एक रोबोट की तरह सीमित सोच वाली
इस नए साल
कहीं परछाईं से झाँकती है
एक धूमिल-सी संभावना
आँखें खोल लेने की
पर क्या यह मुमकिन हो पाएगा?
लगभग मानव जैसा दिखने वाला एक प्राणी
जंगल से सहमा हुआ है
उसका विकास अपेक्षा से धीमी गति से हो रहा है
बल्कि वह रह गया है अपरिपक्व
हम मानवों की ही तरह
चलिए, शायद आपको महसूस हुआ
इस माहौल का तनाव
पर क्या आप तैयार हैं
इस परिदृश्य को बदल देने को?
जंगल ने आकार दिया बंदरों को
और गुफाओं को और घास के मैदानों को :
और मनुष्यों को
और अब ऐसा क्या है
जो साबित करेगा कि हम कुछ लचीले हो सकते हैं?
मानवता से कुछ अधिक परिपूर्ण?
जलवायु-परिवर्तन की मातमपुर्सी?
अपनी दुनिया के विनाश पर
हमारी बेहद कोमल प्रतिक्रिया मात्र?
सवाल
या कर्मठता?
[मेरी पृथ्वी,
मुझे तुमसे मुहब्बत है
गाती हूँ मैं तुम्हारे लिए
और हैं मेरे हिस्से आए
एंथ्रोपोसीन जनित अवसाद के ये गीत]
ऐन वाल्डमेन [जन्म : 1945] सुपरिचित अमेरिकी कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविता अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए poets.org से ली गई है। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के एंथ्रोपोसीन अंक में पूर्व-प्रकाशित। देवेश पथ सारिया हिंदी की नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनकी कविताओं की पहली किताब हाल ही में साहित्य अकादेमी से ‘नूह की नाव’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखिए : देवेश पथ सारिया