लुइज़ ग्लुक की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : किंशुक गुप्ता

लुइज़ ग्लुक

घोड़ा

वह घोड़ा तुम्हें ऐसा क्या देता है
जो मैं नहीं दे सकती

मैं तुम्हें अकेला देखती हूँ,
जब तुम डेयरी के पीछे खेतों में जाते हो,
किस तरह तुम कसकर थामे रहते हो
घोड़ी की अयाल

तब मुझे तुम्हारी चुप्पी का रहस्य समझ आता है :
तिरस्कार, घृणा मुझसे, शादी से। फिर भी,
तुम चाहते हो मैं तुम्हें छूऊँ; तुम रोते हो
बहुओं जैसे, पर जब मैं तुम्हें देखती हूँ तो पाती हूँ
तुम्हारे शरीर में कोई बच्चा नहीं।
तब वहाँ क्या है?

कुछ भी नहीं। सिर्फ़ जल्दी
मुझसे पहले मरने की।

सपने में मैंने तुम्हें वीरान खेतों में घुड़सवारी करते देखा
फिर तुम उतर गए : दोनों साथ चलते हुए;
अँधेरे में तुम्हारी कोई परछाईं नहीं।
क्योंकि परछाइयाँ अपनी मालिक ख़ुद होती हैं
और रात में कहीं भी जा सकती हैं,
मुझे लगा वे मेरी तरफ़ बढ़ रही हैं।

मेरी तरफ़ देखो। क्या तुम्हें लगता है मैं नहीं
समझ सकती?
इस जानवर से क्या आशय
अगर जीवन से जाने का रास्ता नहीं?

Poem Hunter से

लोरी

मेरी माँ एक चीज़ में माहिर है :
अपने प्रिय लोगों को दूसरी दुनिया भेजने में।
छोटे, नवजात शिशु—जिन्हें वह
हलराती है, फुसफुसाती हुई या मौन संगीत से।
मैं नहीं कह सकती
उसने मेरे पिता के लिए क्या किया;
जो भी किया, मैं जानती हूँ सही था।

सचमुच यह एक सी बात है,
एक व्यक्ति को तैयार करना—
नींद के लिए, मृत्यु के लिए।
ये लोरियाँ—सभी कहती हैं
डरो मत, इसी तरह ये ज़ाहिर करती हैं
एक माँ का धड़कता दिल।
जीवित लोग धीरे से शांत हो जाते हैं;
केवल मृत ही हैं जो इनकार करते हैं।

मरते लोग लट्टू की तरह होते हैं,
जैरोस्कोप्स जैसे—
वे इतनी तेज़ घूमते हैं
कि लगता है थम गए हैं।
फिर वे दूर उड़ जाते हैं :
मेरी माँ की बाँहों में,
मेरी बहन बादल थी अणुओं की,
कणों की—केवल यही फ़र्क़ है।
जब एक बच्चा सोता है,
तब भी वह पूरा होता है।

मेरी माँ ने मृत्यु देखी है;
वो आत्मा की अखंडता की बात नहीं करती।
उसने हाथों में पकड़ा है एक नवजात,
एक बूढ़ा, और जैसे तुलना करता अँधेरा
उसके चारों ओर ठोस हुआ,
बाद में पृथ्वी हो गया।

आत्मा भी दूसरी चीज़ों की तरह है :
वह कैसे अखंडित रहेगी,
एक ही अवस्था से प्रतिबद्ध,
जब वह भी आज़ाद हो सकती है?

Poem Hunter से

संगीत

लियो क्रूज सबसे सुंदर सफ़ेद कटोरे बनाता है;
मैं सोचती हूँ कुछ मुझे लाने चाहिए
लेकिन कैसे
यही सवाल है

वह मुझे सिखा रहा है
नाम मरुस्थल
की घास के;
मेरे पास एक किताब है
क्योंकि उस घास को देखना
संभव नहीं

लियो सोचता है कि आदमी जो चीज़ें गढ़ता है
वे ज़्यादा सुंदर होती हैं
नैसर्गिक चीज़ों से

और मैं कहती हूँ नहीं
और लियो कहता है
रुको और देखो।

हम पगडंडियों पर साथ चलने
की योजना बनाते हैं।
कब, मैं उससे पूछती हूँ,
कब? दोबारा कभी नहीं :
यह हम कभी नहीं कहते।

वह मुझे सिखा रहा है
कल्पना में जीना :

मरुस्थल पार करते हुए
एक ठंडी हवा चल रही है;
मैं दूर से उसका घर देख सकती हूँ;
चिमनी से धुआँ उठ रहा है

यही भट्टी है, मैं सोचती हूँ;
केवल लियो ही मरुस्थल में
कटोरे बनाता है

आह, वह कहता है, तुम फिर सपना देख रही हो

और मैं कहती हूँ तब मैं ख़ुश हूँ
कि सपना देखती हूँ
और आग अभी भी दहक रही है।

The New Yorker से


लुइज़ ग्लुक (1943-2023) वर्ष 2020 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी कवि हैं। किंशुक गुप्ता हिंदी की नई पीढ़ी से संबंध लेखक-अनुवादक-संपादक हैं। उनसे kinshuksameer@gmail.com पर बात की जा सकती है। लुइज़ ग्लुक की और कविताएँ रीनू तलवाड़ के अनुवाद में यहाँ पढ़ सकते हैं : मैं साहस तलाशती हूँ

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