हाइरिल अनवर की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : जितेंद्र कुमार त्रिपाठी

हाइरिल अनवर

दुआ
भक्तों के लिए

मेरे प्रभु,
विस्मय में
अब भी मैं तुम्हरा नाम पुकारता हूँ

हालाँकि यह बहुत मुश्किल है
कि तुम्हें पूरी तरह से सुमिर सकूँ

तुम्हारा प्रकाश पवित्र सौहार्द है
उसमें जो बच गया वह स्थिरता है—
मोमबत्ती की

मेरे प्रभु,
मैं खो चुका हूँ अपना आकार—
विदीर्ण

मेरे प्रभु,
मैं भटक रहा हूँ पराए देश में

मेरे प्रभु,
तुम्हारा दरवाज़ा खटखटाकर
अब मैं लौट नहीं सकता।

मस्जिद में

मैं पुकारता रहूँगा उसे
जब तक तक वह आ नहीं जाता

आख़िरकार हम हैं आमने-सामने

अब से वह मेरी छाती पर दहकेगा
मेरी सारी शक्तियाँ बुझ चुकी हैं

मेरे पसीने से लथपथ अहं को
अब कोई चोट नहीं कर सकता

यह कमरा
वह अखाड़ा है
जहाँ से हम
युद्ध के लिए जाते रहे हैं

संहार है
एक अस्वीकृत
दूसरा उन्मादी।

ईसा
सच्चे ईसाइयों के लिए

वह शरीर
रिसता रक्त
रिसता रक्त

निपात
भंग

ठहरता है मात्र एक प्रश्न पर :
क्या मैं ग़लत हूँ?

मैंने देखा है
शरीर से रिसता हुआ रक्त
मैं धँसा हुआ हूँ
इस रक्त में

प्रतिबिंबित प्रकाशमय समय की आँखों में
विनिमय किए अपने विभिन्न स्वरूप में

घाव अवग्रहित
मैं आनंदित

वह शरीर
रिसता रक्त
रिसता रक्त

अकू1अकू यानी इंडोनेशियन भाषा में—मैं

अगर मेरा अंतिम समय आ जाए तो
मैं नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे दिलासा दे
तुम भी नहीं

मुझे उन आँसुओं की ज़रूरत नहीं
मैं भेड़िया हूँ
अपने झुंड से अलग

चीरने दो गोलियों को मेरी चर्बी
मैं फिर भी डटा रहूँगा

घाव और विष दोनों ही
संग-साथ लेकर
दौड़ता रहूँगा
जब तक यह चुभता दर्द जाता नहीं
और किंचित ही परवाह किए बिना
मैं जीना चाहता हूँ
एक हज़ार साल और…


हाइरिल अनवर (1922-1949) इंडोनेशिया के राष्ट्रीय कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद के लिए columbiajournal.org से ली गई हैं। जितेंद्र कुमार त्रिपाठी से परिचय के लिए यहाँ देखें : ख़त्म होती चीज़ों पर

1 Comment

  1. अनन्त आलोक जनवरी 3, 2023 at 1:24 अपराह्न

    सुन्दर कविताएँ हैँ और अच्छा अनुवाद संग-साथ का प्रयोग समझ नहीं आया

    Reply

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