फ़िलिप जाकोते की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कुँवर नारायण

फ़िलिप जाकोते

सभी ख़ुशियाँ बहुत दूर पर होती हैं

सभी ख़ुशियाँ बहुत दूर पर होती हैं
सचमुच कितनी दूर—वह सोचता
ख़ुद भी तो वह जब एक बच्चा था
दूर अतीत में
याद आती उसे एक गंध
पसीने से भीगे टट्टू की
उसके घुटनों से पुँछ कर आती
उसकी माँ के चेहरे से स्पष्टतर

बाग़ में पेड़ों की झरती सुर्ख़ी से रँगा रास्ता

अब तो वह कभी
बाग़ के निचले हिस्से में जाता तक नहीं

हाँ, हाँ, यह सच है, मैंने देखा है मृत्यु को काम करते

‘हाँ, हाँ, यह सच है, मैंने देखा है मृत्यु को काम करते
और मृत्यु को ही नहीं, समय को भी
अपने अगल-बग़ल, अपने अंदर, अपनी कमज़ोर पड़ती आँखों में
दर्द शब्दों से परे है
लेकिन कुछ है जो नष्ट नहीं होता चाक़ू से,
जुड़ता चलता जैसे पानी जहाज़ के पीछे-पीछे’

हर फूल एक छोटी-सी रात है

हर फूल एक छोटी-सी रात है
धीरे-धीरे नज़दीक आती

लेकिन ऊपर उठती है जिधर उसकी सुगंध
वहाँ मैं जा नहीं सकता
इसी से परेशान हूँ इतना
कि देर तक बैठा रहता
इस बंद दरवाज़े के सामने

हर रंग, हर जीवन
आरंभ होता दृष्टि के छोर से
यह संसार केवल एक शिखा है
एक अदृश्य अग्नि की

मैं टहल रहा हूँ

मैं टहल रहा हूँ
एक बाग़ में

ताज़ा राख
अपनी पत्तियों की छाया में

एक धधकता अंगारा मेरे होंठों पर

  • यहाँ प्रस्तुत कविताएँ शीर्षकहीन हैं, सुविधा के लिए यहाँ पहली पंक्ति को शीर्षक बनाया गया है। — अनुवादक

फ़िलिप जाकोते (1925-2021) संसारप्रसिद्ध स्विस कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ ‘न सीमाएँ न दूरियाँ’ (विश्व कविता से कुछ अनुवाद, वाणी प्रकाशन, प्रथम संस्करण : 2017) शीर्षक पुस्तक से साभार है। कुँवर नारायण (1927-2017) सुप्रसिद्ध हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं।

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