पोलिश श्रुति काव्य ::
अनुवाद : विपिन चौधरी
गौरैया और सारस
साँडोमीरज जनपद के किसानों द्वारा गाया जाने वाला गीत
वॉरसॉ से चार मील दूर एक जगह पर
एक गौरैया का विवाह हुआ एक कौए से हुआ
उन्होंने एक उत्सव किया
उसमें उन्होंने उल्लू को न्योता नहीं दिया
मगर उल्लू वहाँ आया
किसी महान् नवाबीन की तरह
वह वहीं जम गई—कोई घमंड नहीं—
और एक अनोखे जर्मन नृत्य के लिए बुलाया
बतख़ नाचती रही, हंस कूदता रहा
मुर्ग़ी पुराने वस्त्र पहने स्त्री की तरह घूरती रही
ओटलन, खंजन, चिड़िया, चाहा पक्षी ने
पाइप की धुन पर नृत्य किया
गौरैया को उल्लू का साथी बनाने की कोशिश की गई
गौरैया उल्लू की उँगली पर चढ़ गया
पागल गौरैया, मूर्ख बव्वा
तुमने इस तरह से मेरा अँगूठा क्यों काटा?
अगर हम यहाँ अकेले होते
मैं तुम्हारी हड्डी-हड्डी हिला डालता
तुम्हारी लंबी देह होने के बावजूद
मैं तुम्हें खा सकता था—पंखोंसहित समूचा
मैं गीत गाता
किसानों का नृत्यगीत
गुनगुनाता मोची
चार जूते बनाने के लिए
कटाई करता है,
दो जोड़ी जूते बनाकर कहता है :
“मेरे पास कोई धुन होती
तो मैं कोई गीत गाता
अपने संगीत की धुनों को सुरक्षित रखता
तो शायद मैं अमीर होता!”
सूरज डूबता है
किसानों का गीत
अस्त होते सूरज ने
नरमाई से पीछे मुड़कर देखा
क्या यह दुपहर है
या साँझ?
वह समझना चाहता है
क्या वह दुपहरी चाहता है
या साँझ को पलटकर देखना चाहता है
सूरज पलटकर
देख रहा है प्रिय,
सिर्फ़ तुम्हें,
मैरी!
एक पत्थर
किसानों का गीत
पत्थर के ऊपर
पत्थर
और इन पत्थरों के ऊपर और भी
पत्थर
और सबसे ऊपर के पत्थरों पर
पत्थरों का एक और ढेर
पत्थर पर पत्थर
और उन पत्थरों पर और भी पत्थर
उस पर लिखो,
कशा,
मेरे प्रिय,
केवल एक बार मेरा यह नाम लिखो।
मेरे बग़ीचे के क़रीब
कलिसज जनपद के किसानों द्वारा गाए जाने वाला गीत
मेरे बग़ीचे के क़रीब
सेब का रसीला दरख़्त बढ़ रहा है
और जैसे-जैसे इसकी शाखाएँ फैलती जाती हैं
इसके सेब चमकीले लाल होते जाते हैं
लेकिन इन्हें चुनने में मेरी मदद कौन करेगा?
मेरा यश इस सप्ताह ग़ुस्से में है
वह क्यों नाराज़ है
मैं नहीं जानती—
वह अक्सर क्यों आता था मुझे नहीं पता
पूरी गर्मियों में वह आता रहा :
मैंने उसे झेंपने के लिए एक चुंबन दिया
सर्दी के मौसम में वह फिर से आया
मैंने उसे बारिश से बाहर निकलने दिया
सारी सर्दियों वह उदास था :
मैंने उसे अपने पंख के बिस्तर में जाने दिया
वे पक्षी नहीं हैं
पोजनन जनपद के किसानों का गीत
झील के बग़ल में,
इसके किनारे पर एक पेड़ है,
एक हरा-भरा पेड़
और उस पेड़ पर,
उसके गहरे हरे रंग के बीच में
तीन पछी बैठने वाले हैं—
बस तीन
लेकिन वे पक्षी क़तई नहीं हैं
वे तीनों सभ्य पुरुष हैं
कौन सुंदर लड़की को मोहित करेगा
और वह इनमें से किसे चुनेगी :
पहला पक्षी कहता है : ‘‘तुम मेरी हो’’
दूसरा कहता है : ईश्वर की जो इच्छा हो
तीसरा पूछता है : प्यारी ख़ूबसूरत लड़की
क्या है जो तुम्हें खाए जा रहा है?
‘‘मैं मायूस क्यों न होऊँ’’
वे एक बूढ़े आदमी से मेरी शादी कर देंगे
वह आदमी बूढ़ा, बदसूरत और आलसी है
वह कभी मुझे गले नहीं लगा सकेगा
एक नया शयनकक्ष,
एक नया बिस्तर
एक हरा बिस्तर,
एक गहरा हरा बिस्तर
मुझे बताओ शयनकक्ष
सच में मुझे बताओ
तुममें से सबसे पहले यहाँ पर
कौन सोएगा?
यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के पोलिश कविता अंक में पूर्व-प्रकाशित। विपिन चौधरी से परिचय के लिए यहाँ देखें : मैंने कविता की खोज कैसे की
बहुत सुन्दर रचना है ।।