तोमष पदूरा की कविताएँ ::
अनुवाद : उदय शंकर

तोमष पदूरा (1801-1871) | तस्वीर सौजन्य : wikipedia

यूक्रेन को याद करते हुए

हे बाज़!

दुनिया में बहुत सारी लड़कियाँ हैं,
लेकिन अधिकांश यूक्रेन में हैं।

वहीं मेरा दिल गिरवी है,
प्रियतमा के पास।

हे बाज़!
पहाड़ों, जंगलों और घाटियों के उस पार जाओ।

झुन-झुन-झुन… घुँघरुओं की आवाज़
मेरी मैदानी अबाबील।

हे बाज़!
जाओ, पहाड़ों, जंगलों और घाटियों के उस पार।

झुन-झुन-झुन…
मेरी धरती… झुन-झुन-झुन…।

मेरी नन्ही अबाबील,
वह वहीं रह गई है अकेली।

और मैं इधर परदेश में,
दिन उसके रात उसकी,
मुझे बहुत सताती है।

दुखी हूँ, दुखी हूँ,
उस लड़की के लिए,
यूक्रेन की हरी धरती के लिए।

दुखी हूँ, दुखी हूँ, हृदय ज़ार-ज़ार रोता है,
कि उससे अब मिल नहीं पाऊँगा।

शराब, शराब, मुझे शराब दो;
और जब मैं मरूँ,
यूक्रेन की हरी धरती में मुझे दफ़ना दो
मेरी वह प्यारी लड़की जिस पर मिट्टी डालेगी।

कॉसेक का गीत

हे कॉसेक! अभी पवित्र समय है!
चर्च की घंटिया बज रही हैं
यदि तुम आज़ादी को सर्वोपरि मानते हो,
दुश्मन,
जिसका तुम पीछा करने वाले हो
हे कॉसेक, दुश्मन को ललकारो
हुर्रे! हुर्रे!


यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के पोलिश कविता अंक में पूर्व-प्रकाशित। उदय शंकर से परिचय के लिए यहाँ देखें : कवि और संसार

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