यंग शन शुन की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया

कवि-चित्रकार यंग शन शुन ताइवान की बीस साल की यूनिवर्सिटी स्टूडेंट हैं। उनकी कविताएँ उनकी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व हैं। एक कवि के तौर पर उन्होंने स्कूली जीवन में अनेक पुरस्कार जीते हैं, पर पहली बार विधिवत रूप से प्रकाशित वह अपनी मातृभाषा से भी पहले हिंदी में ‘सदानीरा’ के ज़रिए हो रही हैं। वह ताइपेई से संबंध रखती हैं और शिन चू शहर की नेशनल चिंग हुआ यूनिवर्सिटी से ‘कला और डिज़ाइन’ की अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताओं का अनुवादक बस में हुई उस आकस्मिक भेंट के लिए कृतज्ञ है जिसने इस अनुवाद की नींव रखी।

— देवेश पथ सारिया

यंग शन शुन

पानी की उम्र

बारिश की बूँदें बन रही हैं एक आवरण
जैसे रखती है तुम्हारी ओढ़ी हुई उदासी
तुम्हें एक अवास्तविक दूरी पर
पर अगर तुम वेदना में घुट रहे हो
याद रखो कि तुम महासमुद्र से आए थे

जिन सफ़ेद फ़ाख़्ताओं की हम बाट जोहते थे
वे कभी नहीं आईं
सिर्फ़ उम्मीद की किरणें आकाश को भेदती हुई आईं
और हमारे बुढ़ाते चेहरों पर छितर गईं
कहते हैं कि वक़्त बहुत मेहरबान है
यदि हम उसके बुने जाल में संघर्ष नहीं करते
कोई नुक़सान नहीं होता

जब रात आती है
लोग टूटते तारे की पूँछ की ओर हथेली फैला देते हैं
हमारी तन्हा परछाईं की तरह कोमल
बिना पलकों वाला एक बड़ा-सा दैत्य
टहलता है आस-पास

सीढ़ियों पर कीचड़ के गड्ढों ने हमें घर की राह दिखाई
भारी पंखों के साथ
हम बचाते हैं झिलमिलाती बारिश को
अपनी आँखों में सदा के लिए

अक्टूबर

जैसे मैदान में एक पक्षी पतझड़ की हवा को चूमता है
हौले-हौले अपने पंखों को सँवारता हुआ
बीज भी पसार रहे हैं अपने पंख

जब तुम नदी के रास्ते उड़ जाते हो
जश्न मनाओ उन यादों का
जो धरती की हस्तरेखाओं में गहरी दबी हुई हैं

इस बीच हमारी घास को पीला कर दे रहा है सूरज
मलता हुआ मुरझाए वृक्षों की सुगंधित रोशनी

अपनी आत्मा के ईंधन को सलामत रखना हमेशा
सब्र रखो, तुम्हारा फल पकेगा आख़िरकार

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यंग शन शुन के बनाए कुछ चित्र

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देवेश पथ सारिया हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। वह मूलतः अलवर के रहने वाले हैं और आजकल ताइवान के एक विश्वविद्यालय में शोध कर रहे हैं। उनसे deveshpath@gmail.com पर बात की जा सकती है। इस प्रस्तुति से पूर्व वह ‘सदानीरा’ के लिए जॉन गुज़लोव्स्की, सू-कुंग शू, तू-फू, ली मिन-युंग और क्लेयर कॉनरॉय की कविताओं का अनुवाद कर चुके हैं।

1 Comment

  1. कुमार मुकुल दिसम्बर 19, 2020 at 8:13 पूर्वाह्न

    अच्छा काम कर रहे देवेश, संवेदनशील और मेहनती हैं वे, देश – दुनिया की ओर खोले गए अनुवाद के ये झरोखे उल्लसित करते हैं।

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