ग्राहम ग्रीन के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
जब हमें यकीन नहीं होता है, तब हम जीवित होते हैं।
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अगर आप सच्चाई की तलाश कर रहे हैं तो शैम्पेन झूठ पकड़ने की मशीन से बेहतर है।
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कुछ शराबों की तरह हमारा प्यार न तो पूरा हो सकता है और न ही कहीं जा सकता है।
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नफ़रत की वजह कल्पना का न होना है।
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मासूमियत एक प्रकार पागलपन है।
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ईश्वर, मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ। मैं तुमसे इस तरह नफ़रत करता हूँ, मानो तुम सच में मौजूद हो।
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मैंने प्यार को अपनी ईर्ष्या की हद से मापा।
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ईश्वर की कृपा की भयावह विचित्रता की कल्पना न तुम कर सकते हो, और न ही मैं।
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दर्द के बारे में लिखना आसान है। दुख में हम सभी सुख से अलग-अलग होते हैं, लेकिन ख़ुशी के बारे में कोई क्या लिख सकता है?
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जो हमें दर्द देता है, उसे हम बहुत आसानी से भूल जाते हैं।
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मैं आपके बारे में दोस्त के रूप में कभी नहीं सोच सकता। आप दोस्त के बिना काम चला सकते हैं।
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ज़्यादातर चीज़ें हमें तब तक निराश करती हैं, जब तक हम गहराई से नहीं देखते हैं।
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आपको इतना डरने की ज़रूरत नहीं है। प्यार सिर्फ़ इस वजह से ख़त्म नहीं होता कि हम एक-दूसरे से मिलते नहीं हैं…
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अगर हमें इंसान बने रहना है, तब हमें कभी न कभी किसी का पक्ष लेना पड़ेगा।
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काश कभी-कभार मेरे इरादे कुछ बुरे होते, तब शायद मैं इंसानों के बारे में कुछ और अधिक समझ पाता।
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दोस्ती आत्मा की बात है। यह एक ऐसी चीज़ है जिसे हम महसूस करते हैं। यह किसी चीज़ के बदले में नहीं है।
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हम मानवता से प्यार नहीं कर सकते हैं। हम केवल मानव से प्यार कर सकते हैं।
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उदासीनता और घमंड बहुत अधिक समान दिखते हैं।
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जब हम अपने पाप से प्यार करते हैं, तब हम वास्तव में शापित होते हैं।
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बचपन में हमेशा एक पल होता है, जब दरवाज़ा खुलता है और भविष्य को प्रवेश करने देता है।
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अगर हम सच्चाई को जान लें तो हम ज़्यादातर बातों को माफ़ कर देंगे।
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जब तक हम दुख उठाते हैं, हम ज़िंदा हैं।
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ग्राहम ग्रीन (2 अक्टूबर 1904-3 अप्रैल 1991) अँग्रेज़ी भाषा के प्रख्यात साहित्यकार हैं। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com और इंटरनेट पर उपलब्ध ग्राहम ग्रीन के लेखन से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनसे sarita12aug@hotmail.com पर बात की जा सकती है। ‘सदानीरा’ पर उपलब्ध कुछ और संसारप्रसिद्ध साहित्यकारों-विचारकों के उद्धरण यहाँ पढ़ें :
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