हेर्टा म्युलर के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
बदनामी मनुष्य को गंदगी से भर देती है, उसका दम घुटता है, क्योंकि वह अपना बचाव नहीं कर सकता।
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मैं सीढ़ियों पर परिहास की पात्र थी और मेरा कार्यालय एक रूमाल था।
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जब आप उम्मीद और डर को ख़त्म कर देते हैं, तब आप मर जाते हैं।
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एडगर ने कहा है कि जब हम नहीं बोलते हैं, तब हम असहनीय हो जाते हैं; और जब हम बोलते हैं, तब हम ख़ुद को मूर्ख बना रहे होते हैं।
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मैंने गंदगी में और उपेक्षित होकर अकेले रहने के लिए तड़प विकसित की।
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मौत का सामना करने के लिए आपको ज़्यादा जीवन की ज़रूरत नहीं है, बस उस जीवन की ज़रूरत है जो अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है।
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अगर केवल सही व्यक्ति को देश छोड़ना होता, तब बाक़ी सभी लोग देश में रह सकते थे।
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मौन भी बोलने का एक तरीक़ा है।
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कोई भी शहर तानाशाही में विकसित नहीं हो सकता, क्योंकि जब निगरानी की जाती है, तब सब कुछ बौना रह जाता है।
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अजनबी लोगों के साथ जुड़ने से बेहतर है कि घर पर कमरे और बग़ीचे में बदसूरत लोगों के साथ रहा जाए।
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कभी-कभी चीज़ें एक कोमलता प्राप्त कर लेती हैं, ऐसी राक्षसी कोमलता जिसकी हम उनसे उम्मीद नहीं रखते हैं।
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मैं सोचती हूँ कि आप ईमानदारी से जो सोचते हैं, उसके अनुरूप कैसे जी सकते हैं?
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युद्ध से पहले सेब का पेड़ चर्च के पीछे स्थित था। वह सेब का एक ऐसा पेड़ था जिसने अपने सेबों को खा लिया था।
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त्वचा, हड्डियों और भूरे रंग का पानी—इन तीनों के मेल में, पुरुष और स्त्री के बीच के सारे फ़र्क़ ख़त्म हो जाते हैं।
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चीज़ें इस यक़ीन से आगे बढ़ती हैं कि वे बनी रहेंगी।
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साल 2009 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हेर्टा म्युलर का जन्म रोमानिया में बनात नाम के एक गाँव में 17 अगस्त 1953 को हुआ। उनकी ख्याति उनके उपन्यासों, कविताओं और निबंधों की वजह से है। उन्होंने अपने उपन्यासों में हिंसा, क्रूरता और आतंक का भयानक रूप प्रस्तुत किया है। उनके जीवन में जो कुछ भी घटा, उन्होंने उसका बेबाकी से बयान किया है। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और संसारप्रसिद्ध लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :
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