मरीना त्स्वेतायेवा के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
जल्द ही हम सभी पृथ्वी के नीचे सोएँगे, हम जो औरों को कभी भी इसके ऊपर सोने नहीं देते हैं।
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पंख आज़ादी तभी देते हैं, जब वे उड़ान में खुले हुए होते हैं। किसी की पीठ पर लदे वे भारी वज़न ही हैं।
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आप भेड़िए को चाहे कितना भी खिला दें, लेकिन वह हमेशा जंगल पर निर्भर रहता है।
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आपको केवल उन्हीं पुस्तकों को लिखना चाहिए जिनके न होने से आप दुखी हैं।
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जादू अनुभव से अधिक पुराना है। कहानी अभिलेख से बहुत पहले की है।
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अर्थ का अनुवाद किया जा सकता है। शब्द का अनुवाद नहीं किया जा सकता है… संक्षेप में—शब्द का अनुवाद कर सकते हैं, उसकी ध्वनि का नहीं।
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मैं कविता के रूप में ऊपर उठूँगी…
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किसी ने भी एक ही नदी में दो बार क़दम नहीं रखा है, लेकिन क्या कभी किसी ने एक ही किताब को दो बार पढ़ा है?
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जीवन एक रेलवे स्टेशन है, मैं जल्द ही घूमने निकल जाऊँगी—कहाँ के लिए? नहीं बता सकती हूँ।
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जो सबसे तेज़ जलता है, वही सबसे पहले मरता है।
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हर दिन जीवन छेद वाली बोरी की तरह होता है, और आपको इसे हर हालत में ढोना होता है।
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लेखन कितना शांत है, छपना उतना ही शोर-शराबे वाला।
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मैं बस एक घोंघा हूँ, जिसमें सागर अभी भी बज रहा है।
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कवि का रास्ता धूमकेतु की तरह है।
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मरीना त्स्वेतायेवा (8 अक्टूबर 1892–31 अगस्त 1941) सुप्रसिद्ध रूसी कवयित्री हैं। जीवन और कविता से सघन आसक्ति रखने वाली मरीना को ताउम्र अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पहले बेटी और बाद में पति की मृत्यु, प्रेम में हताशा और निर्वासन से जूझते हुए उन्होंने महज़ 49 की उम्र में आत्महत्या कर ली। उनकी रचनाएँ उनके संघर्ष का बयान हैं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और संसारप्रसिद्ध लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :
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